सन 2048 तक शहर की जनसंख्या होगी 10.45 लाख, रोजाना 135 लीटर पानी की पडेगी जरुरत
जलापूर्ति योजना को विस्तार देने के साथ ही गंदे पानी के निस्सारण हेतु युद्धस्तर पर काम की जरुरत
* कई वर्षों से अधर में लटका पडा है विस्तारित जलापूर्ति व भूमिगत गटर योजना का काम
अमरावती /दि.25– विगत कुछ वर्षों के दौरान अमरावती शहर का बडी तेजी से विस्तार हो रहा है. कुछ वर्ष पहले तक महज 3 से 4 किमी के दायरे में बसे शहर का दायरा अब रहाटगांव से लेकर बडनेरा तक हो गया है और शहर के चारों ओर रिहायशी बस्तियों का विस्तार हो रहा है. जिस तरह से विगत कुछ वर्षों के दौरान शेगांव व रहाटगांव जैसे ग्रामीण क्षेत्रों को मनपा की सीमा में शामिल किया गया. उसी तरह से आने वाले कुछ वर्षों के दौरान शहर की सीमाएं और भी विस्तारित होने की संभावना बनी हुई है. जिसके मद्देनजर अनुमान लगाया जा रहा है कि, वर्ष 2048 के आते-आते अमरावती शहर की जनसंख्या 10 लाख 45 हजार के आसपास हो जाएगी. जाहीर है कि, जनसंख्या में होने वाली वृद्धि तथा नये-नये रिहायशी इलाकों के विस्तार को देखते हुए शहर में मूलभूत सेवाओं का भी विस्तार और विकास करने की जरुरत पडेगी. परंतु शहर में विगत लंबे समय से मजीप्रा की विस्तारित जलापूर्ति योजना के साथ ही शहर की रिहायशी बस्तियों से निकलने वाले गंदे पानी के निस्सारण हेतु चलाई गई भूमिगत गटर योजना का काम आधा अधूरा और प्रलंबित पडा हुआ है. जिससे पूरा करने हेतु युद्धस्तर पर काम किए जाने की जरुरत है.
उल्लेखनीय है कि, गत रोज ही राज्य के उच्च व तंत्रशिक्षा मंत्री तथा जिला पालकमंत्री चंद्रकांत पाटिल की अध्यक्षता के तहत जिला नियोजन समिति की बैठक हुई. साथ ही पालकमंत्री पाटिल ने मनपा मुख्यालय पहुंचकर भी एक विशेष बैठक ली. इन दोनों बैठकों में अमृत-2 अभियान अंतर्गत सिंभोरा से अमरावती तक जलापूर्ति हेतु किए जाने वाले कामों के साथ ही अमरावती शहर के भीतर रिहायशी बस्तियों से निकलने वाले गंदे पानी के निस्सारन हेतु चलाई जा रही भूमिगत गटर योजना के कामों को पूरा करने से संबंधित प्रस्तावों पर विस्तारपूर्वक चर्चा की गई. इस समय जनप्रतिनिधियों द्वारा दिए गए सुझावों तथा प्रशासन की ओर से पेश किए गए प्रस्तावों का समिति के अध्यक्ष व पालकमंत्री चंद्रकांत पाटिल ने गहन अध्ययन किया. साथ ही अमरावती शहर में जलापूर्ति के कामों सहित भूमिगत गटर योजना के कामों को जल्द से जल्द गतिमान करने हेतु आवश्यक दिशा-निर्देश भी जारी किए. साथ ही इन कामों के लि निधि की कोई कमी नहीं पडने देने की बात कही. ऐसे में उम्मीद की जा सकती है कि, आगामी कुछ वर्षों के दौरान 983.92 करोड रुपए की लागत से मजीप्रा की विस्तारित जलापूर्ति योजना साकार होगी. साथ ही आधी-अधूरी पडी भूमिगत गटर योजना को भी 1718 करोड रुपयों की लागत से साकार किया जाएगा.
* आये दिन जलापूर्ति होती है लीकेज के चलते खंडित
– सिंभोरा बांध से अमरावती तक नई पाइप-लाइन डालने की जरुरत
– 983.92 करोड रुपयों की लागत से विस्तारित जलापूर्ति योजना का प्रस्ताव
बता दें कि, अमरावती शहर को पीने हेतु नियमित तौर पर साफ-सूथरा पानी उपलब्ध कराने के लिए वर्ष 1986 में अमरावती जलापूर्ति योजना को मंजूरी दी गई थी. जिसे वर्ष 1994 में कार्यान्वित किया गया था. इसके तहत मोर्शी के सिंभोरा में स्थित अप्पर वर्धा बांध से नेरपिंगलाई होते हुए अमरावती के तपोवन परिसर स्थित जलशुद्धिकरण केंद्र तक 55 किमी लंबी जलापूर्ति पाईप-लाईन डाली गई थी. जिसमें से सिंभोरा बांध से नेरपिंगलाई तक 1400 मिमि व्यास वाली एमएस उर्ध्ववाहिनी तथा नेरपिंगलाई से तपोवन जलशुद्धिकरण केंद्र तक 1500 मिमि व्यास वाली पीएससी गुरुत्ववाहिनी डाली गई थी. इसके अलावा अमरावती शहर में 35 किमी लंबी ट्रान्समिशन पाईप-लाईन तथा 1600 किमी लंबी वितरण पाईप-लाईप का जाल बिछाया गया था और 15 जलकुंभ साकार करते हुए अमरावती शहर को रोजाना करीब 10 लाख लीटर पानी की आपूर्ति करनी शुरु की गई. वर्ष 2016 की जनसंख्या को ध्यान में रखते हुए शुरु की गई इस योजना के तहत रोजाना प्रतिव्यक्ति 120 लीटर पानी की आपूर्ति का नियोजन किया गया था. वर्ष 1986 में 78 करोड रुपए की मान्यता से मंजूरी प्राप्त इस योजना की कालावधि वर्ष 2016 में खत्म हो गई थी. पश्चात भविष्य की जरुरतों को देखते हुए वर्ष 2016 में अमृत-1.0 अभियान अंतर्गत 122.58 करोड रुपए की योजना को तकनीकी मंजूरी दी गई थी. जिसे वर्ष 2016 में ही 114.35 करोड रुपयों की प्रशासकीय मंजूरी प्राप्त हुई थी. उस समय यह अनुमानित किया गया था कि, अमरावती शहर में सन 2023 तक 8.84 लाख व सन 2048 तक 10.45 लाख जनसंख्या रहेगी और रोजाना प्रतिव्यक्ति 135 लीटर जलापूर्ति की जरुरत पडेगी. अमृत-1.0 योजना के कामों को भौतिक स्तर पर पूरा कर लिया गया है. परंतु तकनीकी तौर पर अमरावती शहर में जलापूर्ति को नियमित रखने हेतु अब भी कई काम किए जाने बाकी है. जिनमें सबसे पहले तो सिंभोरा से अमरावती तक पुरानी पाईप-लाईन के समांतर नई पाईप-लाईन डाले जाने की जरुरत है. क्योंकि वर्ष 1986 से 1994 के बीच डाली गई पूरानी पाईप-लाईप अब कालबाह्य हो चुकी है. जिसमें आए दिन लीकेज होता रहता है. जिसकी वजह से अक्सर ही अमरावती शहर की जलापूर्ति ठप हो जाती है और हर बार लीकेज को दुरुस्त करने के लिए महाराष्ट्र जीवन प्राधिकरण को लाखों रुपयों का खर्च करना पडता है. ऐसे में अमृत-1.0 योजनांतर्गत जलशुद्धिकरण केंद्र की क्षमता 95 दशलक्ष लीटर से बढाकर 156 दशलक्ष लीटर किए जाने के बावजूद भी पीएससी गुरुत्ववाहिनी से 156 दशलक्ष लीटर पानी की आपूर्ति करना संभव नहीं है. जिसके साथ ही 2055 की अनुमानित जरुरत को ध्यान में रखते हुए फिलहाल अस्तित्व में रहने वाली उर्ध्ववाहिनी भी पर्याप्त साबित हो सकती है. जिसके चलते मौजूदा उर्ध्ववाहिनी व गुरुत्ववाहिनी के समांतर नई पाईप-लाईन डाले जाने की जरुरत है. जिससे संबंधित यांत्रिक व विद्युत कामों के लिए 983.92 करोड रुपए की लागत वाला प्रस्ताव तैयार करते हुए मजीप्रा के सदस्य सचिव के पास भेजा गया है. साथ ही इस प्रस्ताव को मान्यता व मंजूरी हेतु गत रोज जिला नियोजन समिति की बैठक में भी पालकमंत्री चंद्रकांत पाटिल के समक्ष रखा गया. जिसे लेकर पालकमंत्री ने अपनी अनुकूलता दिखाई.
* ढाई दशक से आधी अधूरी पडी है शहर की भूमिगत गटर योजना
– 3 चरणों में निधि मिलने के बावजूद अब तक काम नहीं हुआ पूरा
– अब 1718 करोड रुपयों की लागत वाला प्रस्ताव हुआ पेश
बता दें कि, तत्कालीन पालकमंत्री जगदीश गुप्ता के कार्यकाल दौरान अमरावती शहर के रिहायशी इलाकों में स्थित घरों से निकलने वाले मल व गंदे पानी के योग्य निस्सारण हेतु वर्ष 1997-98 के दौरान 123.04 करोड रुपए की लागत से भूमिगत गटर योजना को अस्तित्व में लाया गया था. उस समय सरकारी अनुदान, विशेष सहायता अनुदान व लोकवर्गणी के जरिए 47.13 करोड रुपए प्राप्त हुए थे. जिसे खर्च कर योजना के काम को आगे बढाया गया था. वहीं कर्ज के तौर पर अपेक्षित रहने वाले 82.03 करोड रुपए अप्राप्त है. इस समय शहर के पांचों झोन में 108.45 किमी लंबाई वाली मलवाहिनीे का काम पूरा करते हुए 30.50 दशलक्ष लीटर की क्षमता वाले मलशुद्धिकरण केंद्र के निर्माण का काम शुरु किया गया था, जो शत-प्रतिशत पूरा हो चुका है और मार्च 2013 से मलशुद्धिकरण केंद्र कार्यान्वित हो चुका है. इसके साथ ही पंपींग स्टेशन क्रमांक-4 का निर्माण पूरा करते हुए उसे भी कार्यान्वित कर दिया गया है. इसके अलावा बडनेरा शहर में 7.16 किमी लंबाई वाले मलवाहिनी डालने का काम पूरा हो चुका है. इसके पश्चात वर्ष 2008-09 में 141.93 करोड रुपयों की लागत वाली युआईडीएसएसएमटी योजना को मंजूरी प्रदान की गई. जिसके तहत तीन चरणों में किए जाने वाले विभिन्न कामों हेतु निधि प्राप्त हुई. जिसमें से शहर के झोन क्रमांक-4 व 5 में मलवाहिनी डालने के साथ ही शहर के विभिन्न इलाकों में उर्ध्ववाहिनी डालने और 44 दशलक्ष लीटर की क्षमता वाले मलशुद्धिकरण का काम पूर्ण करते हुए उससे कार्यान्वित कर दिया गया है. इसके पश्चात भूमिगत गटर योजना के शेष पडे कामों को पूरा करने के लिए अमृत-1.0 अभियान अंतर्गत 81.78 करोड रुपए की लागत से किए जाने वाले कामों को मंजूरी दी गई. जिसमें केंद्र सरकार की ओर से 50 फीसद तथा राज्य सरकार एवं स्थानीय स्वायत्त संस्था की ओर से 25-25 फीसद अनुदान मिलना था. 81.78 करोड रुपए की इस योजना हेतु अब तक 41.36 करोड रुपए प्राप्त हुए. जिसमें से 20.21 करोड रुपए खर्च करते हुए झोन क्रमांक 4 व 5 में रहने वाले 24646 संपत्ति धारकों में से 8422 संपत्ति धारकों के कनेक्शन जोडने का काम पूरा कर लिया गया है. साथ ही मलवाहिनियों में रहने वाली गैप को भरने का काम भी पूरा हो चुका है. वहीं झोन क्रमांक-2 व 3 की संयुक्त मलवाहिनी सहित पुशथ्रु पद्धति से रास्ता दुरुस्त करने एवं कठोरा व नवसारी के नाले पर लघुबांध बनाने का काम अधूरा पडा है. जिसकी वजह से भूमिगत गटर योजना की संकल्पना अब तक पूरी तरह से साकार नहीं हो पायी है और एक तरह से इस योजना का काम अधर में ही लटका हुआ है.
ऐसे में अब अमृत-1.0 की मूल योजना पर आधारित अमृत-2.0 योजना को मंजूरी देते हुए 1718 करोड रुपए का प्रस्ताव तैयार किया गया है. ताकि 121 चौरस किमी क्षेत्रफल वाले अमरावती मनपा क्षेत्र के अमरावती शहर स्थित 8 झोन व बडनेरा शहर स्थित 2 झोन में भूमिगत गटर योजना से संबंधित प्रलंबित कामों को पूरा किया जा सके. साथ ही केंद्र सरकार के मंजूर कृति प्रारुप में अमरावती शहर भूमिगत गटर योजना का समावेश करने का भी निवेदन किया गया है. इस प्रस्ताव को भी डीपीसी की बैठक सहित मनपा प्रशासन के साथ हुई बैठक में जिला पालकमंत्री चंद्रकांत पाटिल ने काफी गंभीरता से लिया और शहरवासियों की जरुरत व सुविधा को देखते हुए भूमिगत गटर योजना के कामों को जल्द से जल्द पूरा करवाने हेतु अपनी ओर से हर संभव प्रयास करने की बात कही. जिसके चलते उम्मीद जताई जा सकती है कि, आने वाले वक्त में अमरावती शहर को जमीन पर खुली रहने वाली बदबूदार नालियों से छूटकारा मिलेगा और घरों से निकलने वाला गंदा पानी भूमिगत गटर योजना के तहत बनाए जाने वाले सीवरों के जरिए वेस्टेज वॉटर ट्रीटमेंट प्लाँट तक पहुंचाया जाएगा. जहां से प्रक्रिया के बाद शुद्ध किए गए पानी को सिंचाई जैसे कामों में लाया जा सकेगा.