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परतवाडा के बुजुर्ग की कैंसर और दिल की शल्यक्रिया एक साथ

नागपुर में चिकित्सकों का कमाल

नागपुर/दि.22 – परतवाडा के एक 65 वर्षीय रुग्ण की बायपास सर्जरी हेतु जांच पडताल बाद फेफडे में कर्करोग का निदान होने से चिकित्सकों ने कमाल करते हुए दोनों शल्यक्रिया एक साथ कर मरीज को नया जीवन दिया है. मध्य भारत में अपनी तरह का यह पहला ऑपरेशन बताया जा रहा. उसी प्रकार एनेस्थेशिया तज्ञ का काम बडा महत्वपूर्ण था. जो डॉ. श्रीकांत बोबडे ने संपूर्ण सावधानी से पूर्ण किया. मरीज अब बेहतर महसूस कर रहा है. शीघ्र ही अस्पताल से छुट्टी दे देने की जानकारी हृदयरोग तज्ञ डॉ. सौरभ वार्ष्णेय और कैंसर तज्ञ डॉ. काशिफ सैयद ने दी.
* भाग्यशाली व्यक्ति
डॉक्टर्स ने शल्यक्रिया के बाद बताया कि, यह व्यक्ति बडा नसीबवाला है. उसके फेफडे में बना कर्करोग का ट्यूमर शल्यक्रिया से ठीक होने वाला रहा और आरंभिक स्टेज में रहने से शरीर में यह कर्करोग नहीं फैला. क्रेसेंट अस्पताल में शरीर के दो महत्वपूर्ण अंगों की दोनों बडी शल्यक्रिया एक साथ करने का कारनामा हुआ.
* मरीज की हालत बेहतर
डॉ. काशिफ सैयद ने रुग्ण को पहले देखा था. परतवाडा से दिल का दौरा पडने के कारण उसे नागपुर लाया गया था. उसकी हालत स्थिर थी. डॉ. काशिफ सैयद ने कहा कि, एंजियोग्राफी में बडे ब्लाकेजेस दिखे थे. जिससे कोरोनरी आर्टरी बायपास ग्राफ्ट (सीएबीजी) का निर्णय किया गया. अर्थात बायपास सर्जरी की जानी थी. तभी विभिन्न टेस्ट में मरीज के बाये फेफडे में एडेनोकार्सिनोमा नाम का कर्करोग भी बढता नजर आया. यह भी पाया गया कि, ट्यूमर अधिक नहीं फैला है. शल्यक्रिया से उसे हटाया जा सकता है.
* एक साथ दोनों ऑपरेशन
डॉ. सौरभ वार्ष्णेय ने बताया कि, कर्करोग विशेषज्ञ ने पहले बायपास सर्जरी करने का सुझाव दिया. कर्करोग का ट्यूमर बाद में दिल के मजबूत होने पर हटा लेने की बात सोची गई. किंतु यह मुद्दा ध्यान में आया कि, इस बीच कहीं कर्करोग शरीर के अन्य भागों में न फैल जाये. यह एक बडा खतरा था. इसलिए सभी ने मिलकर बैठक कर दोनों ऑपरेशन एक साथ करने का निर्णय किया. सभी तैयारी पूर्ण की. दिल की शल्यक्रिया के समय विशेषज्ञ खून को पतला कर उसकी निरंतर आपूर्ति सुनिश्चित करनी पडती है. जबकि कर्करोग की शल्यक्रिया के समय खून की आपूर्ति रोकनी पडती है. ऐसे में बडी कठिन तथा चुनौतीपूर्ण शल्यक्रिया को सभी के सहयोग और तालमेल से की गई. कर्करोग तज्ञ डॉ. गोपाल गुर्जर ने कहा कि, ट्यूमर अन्य भागों में नहीं फैला था. जिससे शल्यक्रिया संभव हो सकी. यह रुग्ण बडा किस्मतवाला है, उसे एक साथ दोनों बडे खतरे से बचा लिया गया हैं.

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