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जब तक ठोस सबूत नहीं, आत्महत्या के लिए उकसाने का दोषी नहीं मान सकते

नागपुर प्रतिनिधि/दि.११ – बॉम्बे हाईकोर्ट की नागपुर खंडपीठ ने अमरावती निवासी शिक्षिका को आत्महत्या के लिए उकसाने के आरोप से निर्दोष बरी किया है. ज्योति बनकर व उनके पति प्रकाश बनकर पर वसंतराव शेडके को आत्महत्या के लिए उकसाने का मामला दर्ज किया गया था. पुलिस में दर्ज मामले के अनुसार, वसंतराव शेडके ने प्रकाश बनकर को 15 लाख रुपए ब्याज पर दिए थे. 5 मई 2020 को वसंतराव अपने घर पर यह बताकर निकले थे कि वे बनकर से अपने 15 लाख रुपए वापस लेने जा रहे हैं, लेकिन उस रात वे घर नहीं लौटे. अगले दिन उनकी लाश एक तालाब में मिली. सुसाइड नोट में उन्होंने लिखा कि, बनकर द्बारा पैसे न लौटाए जाने से तनाव में आकर वे आत्महत्या कर रहे है. मृतक के पुत्र संजय शेडके की शिकायत पर 6 मई 2020 को पुलिस ने प्रकाश बनकर व उनकी पत्नी ज्योति बनकर के खिलाफ आत्महत्या के लिए उकसाने का मामला दर्ज किया था, जिसके बाद आरोपी दम्पति ने हाईकोर्ट की शरण ली थी. सभी पक्षों को सुनकर हाईकोर्ट ने माना कि जरुरी नहीं है कि किसी परिस्थिति में यदि कोई व्यक्ति होगा जब उसमें उकसावा, साजिश और गलत मंशा साफ हो सके. किसी को भी आत्महत्या के लिए उकसाने के आरोपी को तब ही दोषी करार दिया जा सकता है. जब आरोपी के खिलाफ पर्याप्त सबूत मौजूद हो. यह मामला कोर्ट में विचाराधीन रहते प्रकाश बनकर का निधन हो गया था. कोर्ट ने अब उनकी पत्नी को भी मामले से बरी कर दिया है.

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