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कहीं अंधेरे में तीर तो नहीं चला रही राजापेठ पुलिस

मामला धैर्य परमार के अपहरण व हत्या का

  • पांच दिन की जांच और तीन दिन के पीसीआर के बावजूद पुलिस के पास कोई सुराग नहीं

अमरावती प्रतिनिधि/दि.१० – विगत एक सप्ताह से अमरावती शहर सहित जिले में डेढ माह की आयुवाले धैर्य परमार नामक बच्चे के अपहरण और हत्या का मामला लगातार चर्चा में बना हुआ है, लेकिन अब तक पुख्ता तौर पर यह पता नहीं चल पाया है कि, आखिर मात्र डेढ माह की आयुवाला धैर्य परमार अपने बेडरूम के पलंग से घर के आंगन में स्थित कुएं के गहरे पानी में कैसे जा गिरा. जहां पर उसकी फेफडों में पानी घुस जाने की वजह से मौत हो गयी.
बता दें कि, स्थानीय न्यू प्रभात कालोनी निवासी दिलीप चौहान की बेटी नम्रता परमार अपनी प्रसूति के लिए अपने पिता के घर आयी हुई थी और डेढ माह पूर्व उसने एक प्यारे से बच्चे को जन्म दिया था. जिसका नाम धैर्य रखा गया. विगत सप्ताह रविवार 29 नवंबर की दोपहर एएसआई दिलीप चौहान अपनी पत्नी जयश्री चव्हाण के साथ एक विवाह समारोह में शामिल होने हेतु गये थे. इस समय घर में उनका बेटा प्रणव चौहान, बेटी नम्रता परमार व डेढ माह का नाती धैर्य परमार थे. अपरान्ह करीब डेढ बजे नम्रता परमार अपने बेटे धैर्य को दूध पिलाकर वॉश रूम गयी. और लब वॉश रूम से वापिस लौटी तो धैर्य अपने पलंग पर दिखाई नहीं दिया. जिसके चलते नम्रता को लगा कि, शायद प्रणव धैर्य को अपने कमरे में ले गया होगा, लेकिन धैर्य वहां पर भी नहीं था. जिसके बाद धैर्य परमार की खोजबीन करनी शुरू की गई और उसका कहीं कोई पता नहीं चला. पश्चात दूसरे दिन धैर्य का शव घर को आंगन में ही स्थित कुएं से बरामद हुआ था. जिसके बाद मानो हडकंप मच गया और पुलिस ने मामले की सघनतापूर्वक जांच करनी शुरू की. किंतु अगले पांच दिनों तक पुलिस के हाथ कोई महत्वपूर्ण सुराग नहीं लगा. ऐसे में पुलिस ने संदेह एवं परिस्थितिजन्य साक्ष्यों के आधार पर धैर्य की मां नम्रता परमार को गिरफ्तार करते हुए उसका पुलिस कस्टडी रिमांड हासिल किया. हालांकि पुलिस इससे पहले भी नम्रता परमार सहित उसके भाई प्रणव चौहान से दो बार बेहद कडाईपूर्वक पूछताछ कर चुकी थी, लेकिन नतीजा कुछ भी नहीं निकला. वहीं तीन दिन के पीसीआर के बाद भी पुलिस नम्रता परमार से कोई खास जानकारी हासिल नहीं कर पायी. जबकि, इस दौरान पुलिस ने नम्रता परमार के साथ पूछताछ के सारे हथखंडे अपना लिये थे. ऐसे में सबसे बडा सवाल यह है कि, कहीं ऐसा तो नहीं की संदेह और परिस्थितिजन्य साक्ष्य के नाम पर राजापेठ थाना पुलिस अंधेरे में तीर चला रही है. क्योंकि पुलिस द्वारा की जानेवाली पूछताछ में शातीर से शातीर अपराधी भी टूट जाता है और अपना जूर्म कबूल कर लेता है. लेकिन पढी-लिखी और बेहद समझदार रहने के साथ ही एक संभ्रांत परिवार से वास्ता रखनेवाली नम्रता परमार ने अब तक अपना जुर्म कबूला नहीं है. जिसकी वजह से अंधेरे में तीर चलाने की आशंका काफी पुख्ता होती नजर आ रही है.

  • अगर आरोपी घर में ही था, तो पुलिस डॉग रेलवे पटरी की ओर क्यों गया?

इस पूरे मामले में एक सबसे महत्वपूर्ण तथ्य की अनदेखी हो रही है, ऐसा कहा जा सकता है. याद दिला दें कि, सोमवार 30 नवंबर की सुबह जब धैर्य परमार का शव घर के आंगन में स्थित कुएं से बरामद हुआ था, तो पुलिस ने मामले की तफ्तीश शुरू करते हुए यहां पर अपने प्रशिक्षित कुत्ते को भी लाया था. जिसने घर से निकलकर करीब 300 मीटर की दूरी पर स्थित रेलवे पटरी की ओर दौड लगायी थी और वहां से आगे का रास्ता पुलिस डॉग खोज नहीं पाया था. उल्लेखनीय तथ्य यह है कि, जिस समय पुलिस डॉग को घटनास्थल पर लाया गया, तब घर के आंगन में नम्रता परमार सहित घर के सभी सदस्य मौजूद थे. ऐसे में सवाल पूछा जा सकता है कि, यदि पुलिस के संदेह के मुताबिक आरोपी घर का ही कोई सदस्य है, तो फिर पुलिस डॉग ने उस सदस्य की ओर बढने की बजाय घर से बाहर निकलकर रेलवे पटरी की तरह दौड क्यों लगायी? शायद अब तक की जांच में इस महत्वपूर्ण तथ्य की जबर्दस्त तरीके से अनदेखी हुई है और पांच दिनों की जांच के बाद भी जब पुलिस इस मामले में कोई महत्वपूर्ण सुराग हासिल नहीं कर पायी, तो मामले की जांच को लेकर लगातार बढते दबाव की वजह से मृतक धैर्य की मां नम्रता परमार को संदेह व परिस्थितीजन्य साक्ष्यों के आधार पर गिरफ्तार किया गया. हालांकि इससे भी पुलिस कोई खास उपलब्धि हासिल नहीं कर पायी. जिसकी वजह से यह सवाल अब भी अपनी जगह पर बना हुआ है कि, आखिर मात्र डेढ माह की आयुवाला धैर्य परमार अपने पलंग से हटकर घर के आंगन में स्थित कुएं के गहरे पानी में कैसे जा गिरा.

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