सावधान : लापरवाह होकर आधार और पैन कार्ड जेरॉक्स के लिए न दें
मुंबई में बिक्री होती है इन दस्तावेजो की फोटोकॉपी
मुंबई/दि.31 – लोग अकसर अपने आधार कार्ड, पैन कार्ड और ड्राइविंग लाइसेंस समेत अन्य निजी दस्तावेज किसी अनजान फोटोकॉपी यानी जेरॉक्स करने वाले दुकानदार के हाथों में सौंप देते है. चिंता की बात यह है कि, इस दौरान आप दुकानदार पर नजर नहीं रखते. ऐसे में कई बार आपके दस्तावेज आपकी आंखों के सामने से चुरा लिए जाते है और आने वाले समय में आप भयंकर मुसीबत में फंस जाते है, क्योंकि मुंबई में कई ऐसे गिरोह सक्रिय है जो फोटोकॉपी करनेवाले दुकानदारों से संपर्क कर आपके दस्तावेज खरीद रहे है. उन्हें वह साइबर अपराधियों के हाथों मुंहमांगे दामों पर बेच कर लाखों रुपए की कमाई कर रहे है.
* भीडभाड वाली दुकानों पर अधिक खतरा
सबसे अधिक जेरॉक्स की दुकानें रेलवे स्टेशनों अथवा शैक्षणिक संस्थानों के आसपास आपको दिखाई देती है. चूंकि, यहां भीड जुटती है, इसलिए लोग बिना अतिरिक्त सावधानी के इन दुकानों से दस्तावेज का जेरॉक्स कराते है. साइबर सेल से जुडे सूत्रों के मुताबिक, पिछले दिनों उन्हें इस प्रकार की जानकारी प्राप्त हुई है कि, पीडित ने किसी को कोई दस्तावेज नहीं दिया, फिर भी उनके साथ साइबर फ्रॉड हो गया. पुलिस ने जब केस की गहराई से छानबीन की तो पता चला कि, इनके दस्तावेज कहीं और से लीक हुए थे. इसके बाद पुलिस उन दुकानों की जांच में जुट गई जो किसी शैक्षणिक संस्थान अथवा भीड भाड वाले स्थानों पर मौजूद थी. पीडित ने इन्हीं में से किसी दुकान से प्रिंट आउट निकलवाए थे.
* जल्दबाजी का फायदा उठाते है आरोपी
नॉर्थ रीजन से जुडे एक वरिष्ठ साइबर पुलिस अधिकारी ने बताया कि, आसपास के जिलो में कई शैक्षणिक संस्थानों के पास स्टेशनरी और फोटोकॉपी की दुकानें है. इनकी निगरानी करने वाली कोई सरकारी एजेंसी नहीं है. यहां लोग दस्तावेज जेरॉक्स करवाते समय दुकानदारों पर ध्यान नहीं देते. इसका फायदा उठाते हुए दुकानदार आधार कार्ड, पैन कार्ड या अन्य दस्तावेज की एक कॉपी अपने पास रख लेते है या फिर कॉपी खराब निकले होने की बात कहकर उसे रद्दी की टोकरी में फेंक देने का नाटक करते है. साइबर पुलिस के अनुसार, इन फेंकी हुई कॉपी को अथवा एकस्ट्रा फोटोकॉपी को ये लोग चंद पैसों की खातिर साइबर क्राइम से जुडे लोगों को बेच देते है. जैसा कि, इन दिनों पैसा लेकर अपना बैंक खाता बेचने का चलन है. साइबर अपराधी इन दस्तावेज की मदद से फर्जी बैंक खाते खोलकर उनका इस्तेमाल ठगी की रकम जमा करने के लिए करते है.
* इसलिए कम होती है रिकवरी
साइबर सेल को अंदेशा है कि, ऐसे गैर-कानूनी काम कुछ कॉल सेंटर में कार्यरत लोग भी करते है, जो विभिन्न नेटवर्क प्रदाता मोबाइल कंपनियों से मिलनेवाले डाटा को दस्तावेज खरीदने वाले गिरोह के हाथों बेच देते है. इन दस्तावेज में से महत्वपूर्ण जानकारी लेकर साइबर अपराधी किसी बैंक में फर्जी तरीके से खाता खोलकर उसमें ऑनलाइन फ्रॉड से जुटाई रकम जमा करते है. शिकायत दर्ज होने के बाद भी पुलिस इन बदमाशों को आसानी से पकड नहीं पाती है. अगर वे पकडे भी जाते है, तो पुलिस इनसे ऑनलाइन फ्रॉड से संबंधित राशि रिकवर नहीं कर पाती है. जांच में पता चला है कि, यह रकम अधिकतर किसी स्टूडेंट या अनजान व्यक्ति के आधार कार्ड से खोले गए बैंक खातों में मिलती है. हालांकि, इसकी जानकारी सिर्फ साइबर अपराधी को ही रहती है. इसलिए पुलिस कार्रवाई की भनक लगते ही बदमाश इन खातो से पैसा निकाल लेते है. इसलिए सामान्य अपराध की अपेक्षा साइबर अपराध में रिकवरी दर काफी कम है. हालांकि, लोगों में जैसे-जैसे जागरूकता आ रही है. वैसे-वैसे रिकवरी बढने लगी है. हाल ही में महाराष्ट्र साइबर पुलिस 30 करोड रुपये फ्रीज करने में सफल रही.
* क्या करना चाहिए
– जेरॉक्स कराते समय अतिरिक्त सावधानी बरतें.
– रद्दी की टोकरी में खराब पेपर फेंकने से मना करना चाहिए.
– खराब जेरॉक्स पेपर मांगकर खुद डिस्पोज करें.
– जेरॉक्स कराते समय हडबडी नहीं दिखाएं.
– शक होने पर दुकानदार से सवाल करना चाहिए.