किसानों के जीवन की दशा और दिशा बदल देंगे केंद्रीय कृषि विधेयक
पूर्व कृषि मंत्री डॉ. अनिल बोंडे का कथन
अमरावती/प्रतिनिधि दि.६ – प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्ववाली केंद्र सरकार द्वारा लाये गये तीन विधेयकों की वजह से कृषि क्षेत्र में आमूलाग्र परिवर्तन होने जा रहा है और ये तीनों विधेयक किसानों के जीवन की दशा व दिशा में सकारात्मक बदलाव लायेंगे. जिसके लिए देश के सभी किसानों की ओर से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी व कृषि मंत्री नरेंद्रqसह तोमर के प्रति आभार ज्ञापित किया जाना चाहिए. इस आशय का प्रतिपादन राज्य के पूर्व कृषि मंत्री तथा भाजपा किसान मोर्चा के प्रदेशाध्यक्ष डॉ. अनिल बोंडे ने किया. कृषि विधेयकों के संदर्भ में दैनिक अमरावती मंडल के साथ विशेष तौर पर बातचीत करते हुए डॉ. अनिल बोंडे ने बताया कि, अब तक किसानों को अपनी उपज कृषि उत्पन्न बाजार समिती में ही लाकर बेचना अनिवार्य था, लेकिन इस विधेयक की वजह से किसान अब अपनी उपज को फसल मंडी के अलावा बाहर कहीं पर भी बेचने के लिए स्वतंत्र है और वह केवल अपने शहर व राज्य में ही नहीं बल्कि अन्य राज्यों अथवा अन्य देशों में भी अपना माल सीधे तौर पर बेच सकता है. हालांकि इसके बावजूद कृषि उत्पन्न बाजार समितियों का अस्तित्व भी बना रहेगा और किसान वहां पर भी अपना माल बेच सकेंगे. ऐसी व्यवस्था बनायी गयी है. ऐसे में खुले बाजार व फसल मंडी के बीच दामों को लेकर प्रतिस्पर्धा बढेगी और किसानों को अपनी फसलों के लिए अच्छे दाम मिलेंगे. इसी तरह ई-ट्रेडींग के माध्यम से जहां पर अच्छे दाम होंगे, किसान वहां पर अपना माल बेच सकेगा. इस जरिये अन्न प्रक्रिया करनेवाले उद्योजक, निर्यातक व फूटकर व्यवसाय करनेवाले व्यापारी किसी भी बिचौलियों के बिना किसानों से सीधे उनकी उपज खरीद सकेंगे. इसमें दोनों ही पक्षों का फायदा होगा. पूर्व कृषि मंत्री डॉ. अनिल बोंडे के मुताबिक किसानों द्वारा इलेक्ट्रॉनिक प्लेटफार्म का प्रयोग करने पर उनका कृषि उत्पन्न बाजार समिती तक माल ढुलाई, सेस, दलाली, मापारी व तोलाई आदि खर्च खत्म हो जायेंगे. और उन्हें उनकी मेहनत का पूरा पैसा मिलेगा. इसके अलावा इस विधेयक के जरिये किसान खुद को व्यापारी कंपनियों एवं प्रक्रिया उद्योग करनेवाले उद्योजकों के साथ जोड सकेंगे. साथ ही कृषि करार के माध्यम से बुआई अथवा सीझन से पहले ही संभावित उपज की कीमत किसानों की सहमति से तय की जायेगी और बुआई से पहले ही किसान अपनी उपज की कीमत को लेकर आश्वस्त रहेगा. इसके बाद यदि फसल कटाई के समय बाजार के दाम पहले से तय दामों से अधिक होते है, तो किसानों को उसका लाभ मिलेगा. लेकिन यदि बाजारभाव कम होते है, तो उन्हें करार में रहनेवाले भाव का संरक्षण मिलेगा. ऐसे में इस विधेयक की वजह से बाजार की अस्थिरता और तेजी-मंदी का कोई प्रतिकूल परिणाम किसानों पर नहीं पडेगा. इसके साथ ही उन्होंने बताया कि, इस करार के अंतर्गत किसानों को कंपनियों से अत्याधूनिक कृषि तंत्रज्ञान, कृषि संबंधी उपकरण तथा उत्तम बीजों व खादों का फायदा मिलेगा और संग्रहण व दलाली का खर्च नहीं रहने की वजह से किसानों की आय में निश्चित तौर पर वृध्दि होगी. इस विधेयक के बाद किसी भी तरह का विवाद उत्पन्न होने पर उसे एसडीओ कार्यालय में पंच कमेटी द्वारा हल किया जायेगा और ३० दिनों के भीतर उपविभागीय अधिकारी अर्थात प्रांत अधिकारी को निर्णय देना होगा. इस निर्णय पर जिलाधीश के पास अपील की जा सकेगी और जिलाधीश को भी अगले ३० दिनों के भीतर निर्णय देना अनिवार्य होगा. जिलाधीश के निर्णय के बाद कंपनी कोर्ट या हाईकोर्ट में नहीं जा सकेगी और यह विवाद एसडीओ व जिलाधीश के स्तर पर ही हल करना होगा. साथ ही दोषी पाये जाने पर कंपनी को करार की पूरी रकम दंड सहित किसानों को अदा करनी होगी और इस करार में किसानों को अपनी उपज का मूल्य निर्धारित करने की आजादी है. माल बेचने से पहले या बाद में अधिकतक तीन दिनों के भीतर कंपनी द्वारा किसानों को भुगतान किया जाना आवश्यक किया गया है और करार करने के बाद व्यापारियों अथवा कंपनियों को किसानों के खेत से माल उठाना होगा. ऐसे में किसानों का माल ढुलाई का खर्च भी बच जायेगा.
विपक्ष केवल अपनी राजनीति चमकाने कर रहा विरोध
पूर्व कृषि मंत्री डॉ. अनिल बोंडे के मुताबिक केंद्र सरकार द्वारा पारित तीनों विधेयक किसानों को आर्थिक आजादी देनेवाले, कृषि उपज के भाव बढानेवाले और खेती किसानी की उत्पादन क्षमता बढानेवाले है, लेकिन इसके बावजूद विपक्षी दलों द्वारा केवल अपनी राजनीति चमकाने के लिए इन विधेयकों का विरोध किया जा रहा है और किसानों में संभ्रम का माहौल फैलाया जा रहा है, जबकि इस विधेयक की सभी धाराएं स्वामीनाथन समिति की सिफारिशों पर आधारित है और शेतकरी संगठन के प्रणेता स्व. शरद जोशी द्वारा किसानों को आर्थिक आजादी देने की जो मांग की गई थी, वह इस विधेयक के जरिये पूरी हो चुकी है. साथ ही नीति आयोग द्वारा तैयार किये गये टास्क फोर्स ने सभी राज्यों के मुख्यमंत्रियों की सिफारिशों को भी पूरी तरह से स्वीकार किया है और इस टास्कफोर्स ने मध्यप्रदेश के तत्कालीन मुख्यमंत्री कमलनाथ सहित अन्य राज्यों के मुख्यमंत्रियों द्वारा की गई सिफारिशों को स्वीकार किया है. इसके अलावा इस विधेयक में जिन बातों का उल्लेख है, वे तमाम बातें कांग्रेस ने सन २०१९ के अपने चुनावी घोषणापत्र में कही थी. लेकिन आज जब उन तमाम बातों को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी व केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्रqसह तोमर ने पूरा कर दिया है, तो कांग्रेस पार्टी द्वारा इस विधेयक का विरोध किया जा रहा है. इससे समझा जा सकता है कि, कांग्रेस का विरोध केवल नाम के लिए है और इस विरोध में कोई राम नहीं है.