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जिला बैंक को दुबारा किसानों की बैंक बनाने ‘परिवर्तन’ जरूरी

राज्यमंत्री बच्चु कडू का कथन

अमरावती/प्रतिनिधि दि.२ – सहकार क्षेत्र को हमेशा ही ग्रामीण क्षेत्र के वित्तीय विकास का मुलभूत व प्रमुख आधार माना जाता रहा है. इसी सहकार तत्व पर जिला मध्यवर्ती सहकारी बैंक की स्थापना की गई थी, ताकि जिन गांव-खेडों तक राष्ट्रीयकृत बैंकों की पहुंच नहीं है, वहां के किसानों तक वित्तीय सहायता पहुंचाते हुए उन्हेें विकास की मुख्य धारा से जोडा जाये और सहकार के जरिये उनका उध्दार किया जाये. किंतु अमरावती की जिला मध्यवर्ती सहकारी बैंक में उलटी ही गंगा बहने लगी तथा यहां पर किसानों को कर्ज उपलब्ध कराने की बजाय किसानों का पैसा कंपनियों में निवेश किया जाने लगा, ताकि कमीशन के जरिये अधिक से अधिक लाभ कमाया जा सके. ऐसे में साफ है कि बैंक की सत्ता में रहनेवाले तत्कालीन संचालकों ने इसे किसानों की बैंक की बजाय कंपनी की बैंक बनाकर रख दिया. अत: इससे अब दुबारा किसानोें की अपनी अधिकारपूर्ण बैंक बनाने के लिए बैंक की सत्ता में ‘परिवर्तन’ होना बहुत जरूरी है. इस आशय का प्रतिपादन परिवर्तन पैनल के प्रत्याशी व राज्यमंत्री बच्चु कडू द्वारा किया गया.
चांदूर बाजार सेवा सहकारी सोसायटी क्षेत्र से जिला बैंक के संचालक पद का चुनाव लड रहे राज्यमंत्री बच्चु कडू ने कहा कि, वे हमेशा किसानों व खेतीहर मजदूरों के उत्थान व विकास हेतु संघर्ष करते आये है और जीवन के जिस मोड पर उन्हें समाज के वंचित घटकोें के संघर्षपूर्ण रास्ते का ऐहसास हुआ. वहीं से उन्होंने सामान्यजनों के जीवन से दिक्कतों को कुछ हद तक दूर करने के लिए प्रयास करना शुरू किया और राजनीति के क्षेत्र में प्रवेश किया. इस समय सर्वसामान्यों द्वारा किये गये विश्वास की बदौलत वे आज राजनीति के क्षेत्र में एक लंबा सफर तय करते हुए सम्मानजनक मुकाम तक पहुंच पाये है. लेकिन बावजूद इसके मन में हमेशा यह मलाल रहा कि, किसानों व खेतीहर मजदूरों के जीवन का सबसे प्रमुख आधार रहनेवाली जिला बैंक व सहकार क्षेत्र में अब भी कुछ कमियां है. जिन्हें दूर करते हुए सर्वसामान्य गरीबोें के जीवन से आर्थिक अंधेरे को दूर किया जा सकता है. ऐसे में एक नया व कुछ अलग विभाग लेकर उन्होंने सहकार क्षेत्र में पूर्ण परिवर्तन करने का निर्णय करते हुए कदम रखा है और अब वे सहकार क्षेत्र की तानाशाही व साहूकारी प्रवृत्ति को खत्म करने के बाद ही रूकेंगे. साथ ही एक लकीरबध्द दायरे में काम करने की बजाय कुछ नये तरीके से और बैंक के सदस्यों को अधिक फायदा देनेवाले कृति प्रारूप के साथ काम करना चाहेंगे.
राज्यमंत्री बच्चु कडू के मुताबिक आये दिन बैंक में उजागर होनेवाले करोडों रूपयों के भ्रष्टाचार संबंधी मामलोें की खबरों से मन अस्वस्थ होता है. साथ ही यह भी बुरा लगता है कि, किसानों के हितों हेतु बनायी गई वित्तीय संस्था में खुद किसानों को कर्ज के लिए झगडना पडता है.
विगत 11 वर्ष के दौरान जहां बैंक द्वारा किसानोें को केवल 150 करोड रूपयोें का कर्ज दिया गया, वहीं म्युच्युअल फंड कंपनी में 700 करोड रूपयों का निवेश किया गया. साथ ही बैंक को लाभ दिलाने के नाम पर 3 करोड 39 लाख रूपये का कमीशन खाया गया. सबसे खास बात यह है कि, उस समय बैंक की सत्ता में रहनेवाले संचालक के नजदिकी व्यक्ति को बैंक की गलत नीतियों के खिलाफ कर्ज के लिए अनशन पर बैठना पडा था. ऐसे में आम किसानों व सदस्यों के प्रति बैंक के तत्कालीन सत्ताधारियों के व्यवहार की महज कल्पना ही की जा सकती है. अत: अब बेहद जरूरी हो गया है कि, जिला बैंक में चलनेवाली कुछ लोगों की मक्तेदारी को खत्म किया जाये और इस बैंक को एक बार फिर आम किसानों व सभासदों की बैंक बनाया जाये. जिसके लिए इस बार जिला बैंंक की सत्ता में ‘परिवर्तन’ होना बहुत जरूरी है. साथ ही उन्होंने यह विश्वास भी जताया कि, जिला बैंक के मतदाता इस बार परिवर्तन पैनल के प्रत्याशियों पर ही अपना भरोसा जतायेंगे और परिवर्तन पैनल जिला बैंक के चुनाव में पूर्ण बहुमत हासिल करेगा.

 

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