अमरावती/प्रतिनिधि दि.८ – तौकते तुफान से बाधित लोगों को मदद देने का निर्णय मंत्रीमंडल की बैठक में लिया गया था. जिसके बाद सरकार ने वृद्धिगत दर से अलग-अलग नुकसान को लेकर मदद की घोषणा की है. हालांकि इस निर्णय को तिलांजलि देते हुए राजनीतिक हित का ख्याल रखते हुए अनुदान वितरित किया गया है. इसलिए मामले की जांच करने की मांग को लेकर ब्रिक्स मानवाधिकारी मिशन की ओर से जिलाधिकारी को निवेदन किया गया.
निवेदन में बताया गया कि, अनुदान वितरण करते समय सरकारी निर्देशों को ताक पर रखते हुए राजनीतिक दावपेच के अलावा आर्थिक लेनदेन कर अनुदान वितरित किया गया है. घरकुल अनुदान शुरु रहते समय संबंधित लोगों को बडे पैमाने पर अनुदान दिया गया है. नियमों को ताक पर रखते हुए 1 लाख 55 हजार रुपए अनुदान की रकम की घोषणा की गई है. सर्वे के अनुसार 360 लोगों की सूचि घोषित करने के बाद आमनेर गांववासियों ने सर्वे गलत होने के संदर्भ में वरिष्ठों तक शिकायतें पहुंचाई. जिसके बाद जिले के पालकमंंत्री को भी इस बारे में जानकारी दिये जाने के बाद उन्होंने संबंधितों को पत्र भी दिया. फिर भी दखल नहीं देते हुए अनुदान का वितरण किया. परिवार प्रमुख विकलांग होने और उनका नुकसान होने पर भी उनको जानबूझकर टाला गया. अधिकांश ग्रामीण कच्चे व टिनपत्रों के घर बनाकर रहते है. उनकों मदद घोषित नहीं की गई है. इन सभी मांगों को लेकर निवेदन दिया गया. आठ दिनों के भीतर न्याय नहीं मिलने पर जिलाधिकारी कार्यालय के सामने तीव्र आंदोलन करने की चेतावनी दी गई है.
निवेदन सौंपते समय अरुण भोंगाडे, रमेश जीवनकार, सुनिल पुंड, उमेश जावरकर, प्रफुल्ला बालपांडे, सुरेश हिरुडकर, विठोबा पाटील, दशरत पाटील, मोहम्मद शरीफ दीवान, अशोक जीवनकर, चंदाबाई गौरखेडे, प्रिति सातपुते, मिना सतवे, नरेंद्र चौधरी, जावेद काजी, चोखोबा बांबुडे, मुमताज बी नुरुल्ला दिवान, हमिद शहा कादर शहा, किसान रेवतकर, सुभाष टालेकर, ओमकार बालपांडे, सुनिल पाठक, लिलाधर बोंद्रे, मोहम्मद इब्राहिम काजी, सुरेश बोडसे, रामदास रेवस्कर, जयराम वाकोडे, श्यामराव टुले, माणिकराव बोंद्रे, सुरेश बोलखडे, उकंडराव पाटील, सुनिल मांडोकर उपस्थित थे.