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बाल सूर्य को प्रभात अर्ध्य देने के साथ पूरा हुआ छठ पर्व

  •  इस बार छत्री तालाब पर पहुंचे कुछ चुनिंदा लोग

  • अधिकांश लोगों ने कोरोना के चलते अपने घरों पर ही मनाया त्यौहार

  • कई घरों में सामूहिक रूप से हुआ छठी मईया का पूजन

अमरावती/प्रतिनिधि/दि.21 – विगत बुधवार 18 नवंबर को कार्तिक मास की विनायक चतुर्थीवाले दिन नहाय-खाय के साथ शुरू हुआ छठ पर्व शनिवार 21 नवंबर को कार्तिक सप्तमी के दिन प्रभात बेला में उगते सूर्य को अर्ध्य अर्पित करने के साथ ही समाप्त हुआ. बता दें कि, इस पर्व के तहत कार्तिक षष्ठमी की शाम अस्तांचलगामी सूर्य को अर्ध्य प्रदान किया जाता है. जिसके बाद सप्तमी की सुबह उदीयमान होते सूर्य को अर्ध्य प्रदान कर छठ पूजा के पर्व का पारण किया जाता है. यह संभवत: इकलौता ऐसा पर्व है, जिसमें डूबते सूर्य की पहले पूजा की जाती है. मान्यता के मुताबिक डूबते सूर्य को वृध्द सूर्य माना जाता है और उगते सूर्य को बाल सूर्य माना जाता है. इसके तहत पहले बुजुर्गों का पूजन करते हुए फिर नई पीढी का आवाहन किया जाता है.
छठ पूजन के इस पर्व में सबसे पहले विनायक चतुर्थीवाले दिन भात अथवा रोटी के साथ लौकी के साग का सेवन किया जाता है. पश्चात गुरूवार की सुबह चने की दाल व चावल से बननेवाले सरना, गुड से बननेवाली रसिया खीर और चावल के आटे से बननेवाले पिठ्ठा का सेवन कर व्रतियों द्वारा उपवास करना शुरू किया जाता है. यह व्रत निराहार व निर्जला रहने के चलते इसे काफी कठीन माना जाता है और यह व्रत सप्तमी की सुबह उगते सूर्य को अर्ध्य प्रदान करने तक चलता है. यानी छठ माता का व्रत करनेवाले भाविक श्रध्दालु करीब 48 घंटे तक बिना भोजन व पानी के रहते है. वहीं षष्टमीवाले दिन शाम के समय किसी नदी अथवा तालाब पर डलिया में गेहू व आटे से बननेवाले ठेकूवा, चावल के आटे व गुड की चाचणी से बने लडूआ सहित नारियल, केला, संतरे, अनार व गन्ने आदि सामग्री को सजाकर छठ मईया का पूजन किया जाता है और डूबते सूर्य को अर्ध्य दिया जाता है. वहीं सप्तमी को प्रात:काल के दौरान एक बार फिर नये सिरे से तमाम सामग्री तैयार कर उसे डलिया में सजाया जाता है और उगते सूर्य को अर्ध्य अर्पित किया जाता है.

गोवर्धन पूजन के बाद पूरा होता है व्रत

सप्तमी की सुबह नदी अथवा तालाब किनारे उदीयमान सूर्य को अर्ध्य अर्पित करने के बाद घर लौटने पश्चात व्रती महिलाओं द्वारा अपने घर के आंगन में गाय के गोबर को थापकर गोवर्धन पूजन किया जाता है. जिसके बाद सभी को ठेकुआ व लडुआ सहित फलों की प्रसाद सामग्री वितरित करने के साथ ही उसे व्रतधारी श्रध्दालु द्वारा ग्रहण करते हुए अपने व्रत को छोडा जाता है.

 इस बार छत्री तालाब पर नहीं रहा गहमागहमी का माहौल

बता दें कि, प्रति वर्ष स्थानीय छत्री तालाब परिसर में सामूहिक छठ पूजन कार्यक्रम का आयोजन किया जाता है. जहां पर अमरावती में रहनेवाले बिहार प्रांत के सभी लोग बडे हर्षोल्लास के साथ छठ माता का पूजन करने हेतु पहुंचते है. किंतु इस बार कोरोना संक्रमण के खतरे और सोशल डिस्टंसिंग के नियमों को देखते हुए छत्री तालाब पर ऐसा कोई आयोजन नहीं किया गया. बल्कि सभी लोगों ने अपने-अपने घर परिवार में छठपूजन का आयोजन करते हुए उसे पारिवारिक स्तर पर मनाया. इसके अलावा कुछेक स्थानों पर यह आयोजन परिचितों के साथ सामूहिक तौर पर भी मनाया गया. साथ ही छत्री तालाब सहित रेवसा एवं शहर के अन्य कुछ जलस्त्रोतवाले परिसर में भी लोगों ने सोशल डिस्टंसिंग के नियमों का पालन करते हुए छठ माता का पूजन कर डूबते व उगते सूर्य को अर्ध्य प्रदान किया, एवं सप्तमी की सुबह उदीयमान सूर्य को अर्ध्य प्रदान करने के साथ ही छठ पूजन का पर्व संपन्न हुआ.

दिनेशसिंह के घर पर हुआ सामूहिक छठ पूजन

स्थानीय रूख्मिनी नगर परिसर निवासी सामाजिक कार्यकर्ता व उद्योजक दिनेशसिंह के घर पर छठपूजन हेतु सामुहिक कार्यक्रम आयोजीत किया गया था. जहां पर छठ मईया में आस्था रखनेवाले कई लोगोें ने उपस्थित रहकर डूबते व उगते सूर्य को अर्ध्य प्रदान किया. बता दें कि, प्रतिवर्ष छत्री तालाब पर आयोजीत होनेवाले सामूहिक छठ पूजन के कार्यक्रम में दिनेशसिंह की अच्छीखासी भूमिका रहती है. किंतु इस वर्ष छत्री तालाब पर छठ पूजन पर्व की अनुमति नहीं मिलने के मद्देनजर दिनेशसिंह एवं परिवार द्वारा अपने घर पर ही छठपूजन किया गया. जिसमें उनके परिचितों ने बडे हर्षोल्लास के साथ हिस्सा लिया.
इस अवसर पर दिनेश सिंह, अंजना सिंह, अनिता सिंह, नितेश सिंह, राजकिशोर सिंह, जयेशभाई राजा, संजय थोरात, गोपाल अग्रवाल, प्रवीण अन्ना, जयप्रकाश अग्रवाल, राजेश अग्रवाल, विनोद बत्रा, सुरेश अग्रवाल, छेदीलाल अग्रवाल, प्रमोद अग्रवाल, हरिशचंद्र गोयल, विजय अग्रवाल, शैलेश अग्रवाल, अंजु कंसल, अनिता कंसल, रजनी अग्रवाल, नम्रता अग्रवाल, सोनल राजा, कमला अग्रवाल, डॉ. छाया थोरात, अभिलाषा अग्रवाल, अलका अग्रवाल, रश्मी अग्रवाल आदि उपस्थित थे. इसके साथ ही साईनगर से सटे चंद्रावती नगर निवासी गौतम पांडे, संजय पांडे, कुंदन पांडे के निवास स्थान पर सूर्यदेवता को अर्ध्य अर्पित कर छठ माता का पूजन किया गया.

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