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सुधारित प्रस्ताव देने के बाद मिलेगी चिखलदरा स्कॉयवॉक को परमिशन

अब तक काम पर किये गये 22 करोड खर्च

  •  प्रकल्प के लिए विदर्भ में सर्वदलीय एकता की जरूरत

  •  तीन त्रृटियों के कारण रोकी गई एनओसी

चिखलदरा/प्रतिनिधि दि.12 – केंद्रीय वन एवं पर्यावरण मंत्रालय द्बारा चिखलदरा स्कॉयवॉक को रेड सिग्नल ऐसी खबरे प्रकाशित की जा रही है. मगर सच्चाई यह है कि, संबंधित मंत्रालय द्बारा प्रस्ताव में कमी रहने के चलते उसे खारिज किया है. जिसे सांसद नवनीत राणा द्बारा नागपुर में ली गई मिटिंग में स्पष्ट करते हुए केंद्रीय पर्यावरण मंत्रालय को पुन: प्रयास त्रृटियां दुरुस्त कर प्रस्तुत करने की बात कही गई हैं, जिसमें नैशनल बोर्ड ऑफ वाईल्ड लाईफ के अप्रुवल, पर्यावरण को इस कारण कोई धोका है या नहीं, वन्य प्राणियों पर इसका परिणाम होगा या नहीं, इसे लेकर स्पष्टीकरण के साथ पुन: प्रस्ताव प्रस्तुत करने के बाद इस प्रकल्प को मान्यता मिलने का विश्वास सांसद राणा को है. इस बारे में सिडको के सुत्रों से मिली जानकारी के अनुसार संबंधित नया प्रस्ताव प्रस्तुत करने के लिये एक एजेन्सी नियुक्त की जाये, जो केंद्रीय स्तर के प्रकल्प तैयार करने वाली हो. इसका प्रयास किया जाएगा. जिसका खर्च सिडको द्बारा उठाया जायेगा.
अब तक स्कॉयवॉक के प्रकल्प पर 22 करोड रुपए खर्च होने की बात भी सामने आयी है. मगर सिडको द्बारा प्रस्ताव बनाते हुए पहले ही जानकारों की टीम के मार्गदर्शन में प्रस्ताव तैयार क्यों नहीं किया गया, यह सबसे बडा प्रश्न है. मगर 2019 से शुरु किये गये इस प्रकल्प में सिडको की उदासिनता तथा अनुभवी व्यक्तियों की टीम की कमी भी देखी जा रही है. जिसे देखते हुए सिडको को इसके लिए अब तत्पर होना होगा. क्योंकि 15 दिनों से काम बंद होनेवाला है. सूत्रों तथा इस काम को करने वाले प्रोजेक्ट मैनेजर मिश्रा का कहना है कि, हमारा सिविल काम खत्म हो गया है. अब केबल डालने का कार्य शुरु करना है. मगर परमिशन नहीं मिलने के चलते हम आगे का काम नहीं कर सकते. जिसके मद्देनजर 15 दिनों बाद काम रोकना हमारी मजबूरी है.
पुन: प्रस्ताव तैयार करने तथा उसे प्रेझेन्ट करने में लगेगे. 6 माह तब तक काम रुकने तथा कंपनी यहां से वापस जाने की भी संभावना है. ऐसे में विदर्भ के सभी पार्टियों के सांसदों व विधायकों सहित सर्वदलिय नेताओं को समूचे देश सहित दुनिया में अपना एक अलग स्थान रखनेवाले इस प्रकल्प के लिए एकजूट होना होगा. साथ ही विदर्भ क्षेत्र में पर्यटन व रोजगार के लिए महत्वपूर्ण रहने वाले इस प्रकल्प के लिये पार्टीवाद तथा श्रेय लेने की होड से बचते हुए सभी को विदर्भ के इस प्रकल्प के लिए आपसी मतभेद भुलाकर एक साथ प्रयत्न करने की जरुरत है. अन्यथा यह प्रकल्प भी पिछले भिमकुंड के पावर बिजली प्रोजेक्ट की तरह पर्यावरणवादियों कारण भेंट चढ जायेगा.
जनता में चर्चा है कि, यदि इस समय पूर्व मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ही राज्य के मुख्यमंत्री रहे होते तो बिना किसी दिक्कत के उनका यह ड्रीम प्रोजेक्ट अब तक अवश्य ही पूरा हो जाता.

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