शिवकुमार जैसे अधिकारियों की हो सीआयडी जांच
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आदिवासियों को बेवजह करते है तंग
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जानवरोें को जबरन जप्त कर की जाती है धनउगाही
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पूर्व पालकमंत्री प्रवीण पोटे ने सीएम उध्दव ठाकरे को लिखा पत्र
अमरावती/ प्रतिनिधि दि.27 – आदिवासी बहुल मेलघाट में रहनेवाले भोले-भाले आदिवासियों का वन विभाग के अधिकारियों द्वारा बडे पैमाने पर आर्थिक शोषण किया जाता है और उन्हें नियम व कानून बताकर अक्सर ही लूटा जाता है. ऐसे में निलंबीत उपवन संरक्षक विनोद शिवकुमार सहित उनके जैसे तमाम अधिकारियों की सीआयडी जांच की जानी चाहिए. साथ ही उनकी संपत्ति के बारे में भी पडताल की जानी चाहिए. ऐसी मांग पूर्व जिला पालकमंत्री प्रवीण पोटे पाटील द्वारा मुख्यमंत्री उध्दव ठाकरे के नाम जारी पत्र में की गई है.
इस संदर्भ में दैनिक अमरावती मंडल के साथ विशेष तौर पर बातचीत करते हुए पूर्व पालकमंत्री प्रवीण पोटे ने बताया कि, दीपाली चव्हाण आत्महत्या मामले की वजह से चर्चा में आये विनोद शिवकुमार के खिलाफ इसके पहले भी कई तरह की शिकायतें सामने आ चुकी है. विनोद शिवकुमार अक्सर ही आदिवासियों के जानवरों को चराई क्षेत्र से जप्त कर लिया करते थे और जानवरों को छोडने के बदले आदिवासियों से पैसे मांगा करते थे. पैसे नहीं देने पर जानवरों को नीलाम कर देने की धमकी तक दी जाती थी. ऐसे ही एक मामले में बीते दिनों एक आदिवासी किसान ने अपने परिवार सहित जिलाधीश कार्यालय के सामने आत्मदहन करने का प्रयास किया था. ऐसे में सहज अंदाजा लगाया जा सकता है कि, मेलघाट में वन अधिकारियों द्वारा किस तरह की आर्थिक लूट व प्रताडना का दौर चलाया जा रहा है. साथ ही खुद वनविभाग में कार्यरत कनिष्ठ अधिकारियों के साथ भी वरिष्ठ अधिकारियों का व्यवहार अच्छा नहीं है, यह बात आरएफओ दिपाली चव्हाण की आत्महत्या से साफ हो गयी है. ऐसे में राज्य सरकार को चाहिए कि, डीसीएफ विनोद शिवकुमार के खिलाफ कडी कार्रवाई करने के साथ-साथ मेलघाट में पदस्थ वन अधिकारियों की सीआयडी जांच भी करवाई जाये, ताकि अब दुबारा कोई आदिवासी इन अधिकारियों की लूट और कोई कनिष्ठ अधिकारी इनकी प्रताडना का शिकार न हो.