चिखलदरा/दि.15 – चिखलदरा में सिडको का काम वर्ष 2005 से एक अधिसूचना के आधार पर शुरु हुआ था. जिसके तहत चिखलदरा, मोथा, शहापुर व लवादा इन पांच गांवों में विकास, सर्वे व नियोजन की जिम्मेदारी सिडको को दी गई थी. साथ वर्ष 2016 तक सर्वे व नियोजन करने के बाद उसके विकास का काम होना था. लेकिन वर्ष 2016 के बाद सिडको के संदर्भ में कोई आदेश जारी नहीं हुआ. ऐसे ेमें सिडको का कार्यालय वर्ष 2016 के बाद एक हिसाब से अवैध तरीके से चल रहा है और इस कार्यालय में पदस्त 8 से 10 कर्मचारी खाली बैठे रहने का वेतन ले रहे है. इस कार्यालय के कई बडे अधिकारी दौरे के नाम पर गायब रहते है. ऐसे में सिडको का यह कार्यालय चिखलदरा के लिए एक तरह से सफेद हाथी साबित हो रहा है.
उल्लेखनीय है कि, करीब 3 साल पहले शिवसागर प्वॉईंट के विकास का काम शुरु किया गया था. जो आज 3 साल बाद भी पूरा नहीं हो पाया है. वहीं पूरा होने से पहले ही यह काम कबाड में तब्दिल होता जा रहा है. जिसके चलते चिखलदरा में पर्यटन हेतु आने वाले सैलानियों ने इस प्वॉईंट का आनंद नहीं उठा पा रहे है. सिडको कार्यालय के पास और कोई दूसरा काम नहीं है. साथ ही जनप्रतिनिधि भी इस ओर ध्यान देने के लिए तैयार नहीं है. ऐसे में इस कार्यालय की वजह से यह एक ओर राज्य सरकार का प्रतिवर्ष करोडों रुपयों का नुकसान हो रहा है. वहीं दूसरी ओर चिखलदरा क्षेत्र का विकास भी प्रभावित हो रहा है. जिसके चलते यहां पर घूमने-फिरने हेतु आने वाले पर्यटकों की संख्या में काफी हद तक कमी देखी जा रही है. अत: इस ओर समय रहते ध्यान दिया जाना बेहद जरुरी है.