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चिखलदरा में चल रहा है सिडको का अवैध कार्यालय

  •  प्राईवेट कंपनी सिडको के दस्तावेज नगर परिषद से जिलाधिकारी कार्यालय तक माने जा रहे अहम

  •  सिडको के पास सिर्फ प्लैनिंग एथारिटी की ऑर्डर

  •  2016 के बाद आज तक नहीं मिली डेवलपमेंट एथारिटी की ऑर्डर

चिखलदरा/दि.8 – मेलघाट में क्या-क्या अवैध चल सकता है, इसका एक ताजा उदाहरण सामने आया है, जों की चौंकानेवाला है. तत्कालीन वित्त राज्यमंत्री तथा पालकमंत्री डॉ. सुनील देशमुख के प्रयासों से वर्ष 2008 में यहां सिडको द्वारा पात्र गांव चिखलदरा, शहापुर, आलाहडोह, लवादा, मोथा के विकास के लिए सिडको प्राधिकरण की अधिसूचना राज्यपाल द्वारा जारी की गई थी. जिसके तहत प्लैनिंग एथारिटी के तौर पर सिडको को नियुक्त किया गया था. तत्पश्चात सिडको ने पुरे पांच गांव का सर्वे कर प्लैनिंग तैयार कर नक्शा तथा पूरी रिपोर्ट सबमिट करके वर्ष 2016 में अपना काम खत्म कर दिया था. जिसे आज तक मंजुरात नहीं मिल पाई.
इसके बाद सिडको को या अन्य किसी एजन्सी को शासन द्वारा डेवलपमेंट एथारिटी करके नियुक्त करना आवश्यक था, मगर सिडको कार्यालय (कंपनी) अपना ऑफिस लेकर यहां बैठी है तथा शासकीय प्रशासन के अधिकारी तथा कार्यालय नगर परिषद से लेकर जिलाधिकारी कार्यालय तक इस अवैध कार्यालय (कंपनी) के एनओसी तथा परमिशन को (निर्माण) अहम दस्तावेज मानकर प्रशासकीय कार्य कर रहे है. जो कि एक प्रकार से जनता तथा शासन-प्रशासन के साथ धोखा है. ज्ञात रहे कि सिडको को शासन ने आज तक एक रूपया भी नहीं दिया है. पूरा पैसा सिडको कंपनी ही लगा रही है. ऐसे में दो ही पर्याय दिखाई देते है या तो शासन इस कार्यालय को परमिशन दे या डेवलपमेंट एथारिटी नियुक्त करे, या यह कार्यालय के कोई भी दस्तावेज शासकीय कामों में उपयोग में न लाते हुए स्वतंत्र रूप से इस कंपनी को अपना पैसा खर्च करके काम करने दे.

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