साफ-सफाई व कचरे का ठेका या ठेके का कचरा?
शहरवासियों की जान व स्वास्थ्य का जिम्मा ठेके पर
अमरावती/प्रतिनिधि दि.24 – तीन दिन पूर्व दैनिक अमरावती मंडल ने पूरे शहर का जमीनी दौरा करते हुए शहर में व्याप्त गंदगी को लेकर स्थानीय जनप्रतिनिधियों व मनपा प्रशासन को आईना दिखाया था. जिसके तहत शहर में जगह-जगह लगे कचरे व गंदगी के ढेर, कचरे की वजह से अवरूध्द नालियों और गंदगी से बजबजाती सर्विस लाईनों का नंगा सच सबके सामने रखा गया था. चूंकि इस समय अमरावती शहर में कोविड संक्रमण की दूसरी लहर का असर जैसे-तैसे खत्म हुआ है और अब भी कोविड संक्रमण की तीसरी लहर का खतरा बना हुआ है. वहीं इस समय डेंग्यू व चिकन गुनिया जैसी संक्रामक महामारियां भी पांव पसार रही है. ऐसे में अपेक्षा की जा सकती है कि, स्थानीय जनप्रतिनिधी व मनपा प्रशासन अमरावती शहर में साफ-सफाई की ओर कडाईपूर्वक ध्यान दे, ताकि शहरवासियों के स्वास्थ्य व जीवन को सुरक्षित रखा जा सके. हालांकि प्रशासन द्वारा भी साफ-सफाई के कामों को लेकर काफी बडे-बडे दावे किये जाते है, लेकिन अमरावती मंडल द्वारा प्रकाशित सचित्र समाचार में प्रशासन के दावों की पोल खोलने के साथ ही जनप्रतिनिधियों की जनता के प्रति कथित संजीदगी को भी उजागर कर दिया है. जिसके चलते यह सवाल पूछना बेहद लाजमी है कि, आखिर अमरावती शहर में कचरे का ठेका दिया गया है, या फिर ठेके का कचरा किया गया है.
बता दें कि, अमरावती मनपा क्षेत्र में शामिल 22 प्रभागों में साफ-सफाई करने के लिए हर प्रभाग में अलग-अलग ठेकेदार नियुक्त किये गये है. साथ ही सभी प्रभागों से निकलनेवाले कचरे को संकलित करते हुए उसे कंपोस्ट डिपो तक पहुंचाने का जिम्मा एक अलग एजेंसी को दिया गया है. इन सभी ठेकेदारों पर शहर को पूरी तरह से साफ-सुथरा रखने का जिम्मा सौंपा गया है. साथ ही प्रभागों में साफ-सफाई का जिम्मा रहनेवाले ठेकेदारों पर अपने-अपने कार्यक्षेत्रवाले प्रभागों में किटनाशक दवाईयों की फवारणी व धुवारणी का भी जिम्मा सौंपा गया है. प्रतिवर्ष बारिश के मौसम में मच्छरों के जरिये डेंग्यू, चिकन गुनिया व मलेरिया जैसी बीमारियां फैलती है. जिसके मद्देनजर यह अपेक्षा किया जाना बेहद लाजमी है कि, बारिश के मौसम को देखते हुए समय रहते शहर में साफ-सफाई व कीटनाशक दवाईयों का छिडकाव किया जाये, ताकि संक्रामक बीमारियां पांव न फैला सके. किंतु तीन दिन पूर्व आधे से अधिक शहर में किये गये सर्वे से यह तथ्य उजागर हुआ है कि इस वर्ष बारिश का मौसम शुरू होने के बावजूद शहर में साफ-सफाई संबंधी कोई काम नहीं किया गया है. जिसकी वजह से पूरा शहर गंदगी से बजबजा रहा है और इसी वजह से अमरावती शहर में डेंग्यू व चिकन गुनिया की बीमारी पांव पसार रही है तथा अब तक एक दर्जन से अधिक लोगों की रिपोर्ट भी पॉजीटीव आ चुकी है.
-
40 करोड कहां हो रहे खर्च
ऐसे में सबसे बडा सवाल यह है कि, जब अमरावती शहर में साफ-सफाई से संबंधित काम ही नहीं हो रहे है, तो फिर साफ-सफाई के नाम पर खर्च किये जानेवाला पैसा आखिर कहां खर्च हो रहा है. बता दें कि, अमरावती मनपा द्वारा शहर की साफ-सफाई से संबंधित कामों पर प्रतिवर्ष 40 करोड रूपये की भारी भरकम राशि खर्च की जाती है. यह पैसा अमरावती की जनता द्वारा टैक्स के तौर पर अमरावती मनपा को अदा किया जाता है. जिसकी ऐवज में अमरावती शहरवासियों को सफाई जैसी मुलभूत सुविधा प्राप्त करने का पूरा अधिकार है. किंतु फिलहाल जिस तरह के हालात चल रहे है और शहर में साफ-सफाई को लेकर जिस तरह का दृश्य दिखाई दे रहा है, उसे देखते हुए कहा जा सकता है कि, इस मामले को लेकर ठेकेदारों की मनमानी और जनप्रतिनिधियों की अनदेखी चल रही है. जिसकी वजह से आम शहरवासी टैक्स अदा करने के बावजूद भी साफ-सफाई जैसी मुलभूत सुविधा प्राप्त करने से वंचित है. ऐसे में आम नागरिकों का जनप्रतिनिधियों व मनपा प्रशासन के प्रति काफी रोष देखा जा रहा है.
-
आखिर क्यों चलती है ठेकेदारों की मनमानी
बता दें कि, प्रभाग की साफ-सफाई का ठेका रहनेवाले ठेकेदार के पास पांच फॉगींग मशीन व पांच स्प्रे मशीन के साथ-साथ कचरा संकलन हेतु हैड्रोलिक ऑटो व मालवाहक ऑटो रहने के साथ-साथ करीब 54 कर्मचारी रहना बेहद जरूरी रहने की शर्त ठेका प्रक्रिया में तय की गई थी. किंतु हकीकत में यह तमाम साहित्य व आवश्यक मनुष्यबल संबंधीत ठेकेदार के पास उपलब्ध है अथवा नहीं इस बारे में मनपा प्रशासन के पास पुख्ता तौर पर कोई जानकारी नहीं है. ऐसे में पूरा अंदेशा है कि ठेके की निविदा प्रक्रिया पूर्ण करते समय इन तमाम शर्तों को कागजी खानापूर्ति के तौर पर पूरा किया गया और कचरे का ठेका देते समय ठेके का कचरा कर दिया गया. इसी तरह शहर के विभिन्न प्रभागों से निकलनेवाले कचरे को कंटेनर में भरकर कंपोस्ट डिपो तक पहुंचाने का जिम्मा रहनेवाले ठेकेदार द्वारा अलग-अलग प्रभागों से कंपोस्ट डिपो तक कितनी फेरियां लगायी जाती है और दिन भर के दौरान कितने कचरे की ढुलाई की जाती है, इसे लेकर भी प्रशासन के पास निश्चित तौर पर कोई पुख्ता जानकारी या आंकडे नहीं है. चूंकि खुद प्रशासन और संबंधित प्रभागों के जनप्रतिनिधि स्वच्छता संबंधी कार्यों को लेकर गंभीर नहीं है. ऐसे में बेहद स्वाभाविक है कि, इस बेहद गंभीर मसले को लेकर ठेकेदारों द्वारा मनमाने ढंग से काम किया जा रहा है.
-
आखिर जिम्मेदारी किसकी
ज्ञात रहे कि दैनिक अमरावती मंडल द्वारा तीन दिन पहले साफ-सफाई को लेकर शहर की यथास्थिति दिखाये जाने के बाद गत रोज स्थानीय विधायक सुलभा खोडके द्वारा आनन-फानन में मनपा प्रशासन के साथ एक बैठक की गई. जिसके तुरंत बाद एक पत्रकार परिषद को भी उन्होंने संबोधित किया. इस पत्रकार परिषद में खुद विधायक सुलभा खोडके ने यह स्वीकार किया कि, पार्षदों द्वारा बार-बार ध्यान दिलाये जाने के बावजूद मनपा अधिकारियों द्वारा साफ-सफाई से संबंधित कामों की ओर ध्यान नहीं दिया जा रहा है और मनपा के स्वास्थ्य निरीक्षकों व स्वच्छता अधिकारियों की ठेकेदारों पर बिल्कुल भी नजर नहीं है. किंतु विधायक सुलभा खोडके ने इस मामले को लेकर पार्षदों को यह कहते हुए क्लिनचिट दे दी कि, पार्षदों का काम तो केवल आमसभा में बैठकर नीतियां बनाने का होता है, ऐसे में सवाल पूछा जा सकता है कि, आमसभा तो पूरे महिने में केवल एक बार होती है, तो महिने के बाकी दिनों पार्षद क्या करते है, क्या यह उनका जिम्मा नहीं कि, वे अपने वार्ड या प्रभाग में साफ-सफाई के काम सही ढंग से हो रहे अथवा नहीं, इसकी ओर ध्यान रखे और अपने प्रभाग के अधिकारियों व ठेकेदारों पर पूरा नियंत्रण भी रखे. क्योंकि वार्ड व प्रभाग की जनता ने उन्हें इसी काम के लिए अपना प्रतिनिधी चुनकर मनपा के सदन में भेजा है. ऐसे में वे निश्चित तौर पर अपनी इस जिम्मेदारी से पल्ला नहीं झाड सकते. सवाल तो यह भी पूछा जा सकता है कि, अगर सबकुछ ठेके पर ही करना है, तो फिर जनप्रतिनिधियों व मनपा कर्मचारियों की भारी-भरकम फौज की जरूरत क्या है.
-
इन कामों का दिया गया है ठेका
मनपा प्रशासन द्वारा शहर के विभिन्न वार्डों व प्रभागों में सडकों व नालियों सहित खुली जगहों की साफ-सफाई करना, घरों एवं परिसर से कचरा जमा करना, इस कचरे को कचरा कंटेनर तक पहुंचाना और कंटेनरों को कंपोस्ट डिपो पर ले जाकर खाली करना जैसे कामों के लिए ठेके दिये गये है. जिसके लिए कुल 29 ठेकेदारों को जिम्मा सौंपा गया है. ठेकेदारों द्वारा नियुक्त कर्मचारियों के साथ-साथ इस काम के लिए मनपा द्वारा अपने भी 1 हजार 400 कर्मचारी साफ-सफाई संबंधी कामों के लिए नियुक्त किये गये है. जिन पर मनपा द्वारा अपनी तिजोरी में जनता द्वारा जमा कराये गये टैक्स के पैसों से रकम खर्च की जाती है, लेकिन बावजूद इसके आम जनता को साफ-सफाई जैसी मुलभूत सुविधा सही ढंग से नहीं मिल पाती.