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प्रस्तावित मेडिकल कॉलेज पर छाये संभ्रम के बादल

  •  सत्ता पक्ष व विपक्ष के बीच आरोप-प्रत्यारोप का दौर तेज

  •  विपक्ष ने सरकार पर लगाया विदर्भ की अनदेखी का आरोप

अमरावती/प्रतिनिधि दि.6 – राज्य की पूर्ववर्ती भाजपा-सेना युति सरकार एवं तत्कालीन मुख्यमंत्री देवेेंद्र फडणवीस के कार्यकाल दौरान अमरावती में सरकारी मेडिकल कॉलेज शुरू करने की हलचले तेज हुई थी. कालांतर में राज्य में सत्ता परिवर्तन होते ही यह विषय ठंडे बस्ते में चला गया. साथ ही विगत दो दिनों से चर्चा चल रही है कि, सरकार ने इस संदर्भ में प्राधान्य सूची में फेरबदल करते हुए अमरावती की बजाय पश्चिम महाराष्ट्र के सिंधूदूर्ग व अलिबाग जिलों के मेडिकल कालेजों को निधी आवंटन में पहली प्राथमिकता दी है. ऐसे में भाजपा सहित विभिन्न विपक्षी दलों द्वारा सरकार पर जानबुझकर विदर्भ क्षेत्र की अनदेखी करने का आरोप लगाया जा रहा है. वहीं राज्य की महाविकास आघाडी में शामिल घटक दलों के पदाधिकारियोें का कहना है कि, फिलहाल इस संदर्भ में कोई अंतिम निर्णय नहीं हुआ है और विदर्भ क्षेत्र, विशेषकर पश्चिम विदर्भ पर कोई अन्याय नहीं होने दिया जायेगा.

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 प्राधान्यक्रम नहीं बदला जाना चाहिए

संभागीय मुख्यालय रहनेवाले अमरावती जिले में मेलघाट जैसा दुर्गम आदिवासी क्षेत्र शामिल है. ऐसे में यहां पर स्वास्थ्य सेवाओं का बेहद मुकम्मल रहना जरूरी है. इस बात को ध्यान में रखते हुए ही खुद उन्होंने जिला पालकमंत्री रहने के दौरान अमरावती में सरकारी मेडिकल कॉलेज स्थापित करने हेतु तत्कालीन मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस के साथ मिलकर प्रयास शुरू किये थे. जिसके तहत तपोवन परिसर सहित कोंडेश्वर मार्ग पर दो जमीनें भी देखी गयी थी एवं इंडियन मेडिकल कौन्सिल के पास प्रस्ताव भेजते हुए इस मसले को थोडा आगे बढाया गया था. ऐसे में अब मौजूदा जनप्रतिनिधियों की जिम्मेदारी बनती है कि, वे अपने क्षेत्र के विकास को देखते हुए इस मामले को लेकर आगे बढते, लेकिन सुनने में आ रहा है कि, सबकुछ उल्टा-पल्टा हो गया है. यदि सरकार द्वारा प्राधान्यक्रम को बदलकर अमरावती जिले के प्रस्तावित मेडिकल कॉलेज की निधी सिंधुदूर्ग को दी जा रही है, तो यह अपने आप में बेहद गलत कदम है. इस समय अमरावती जिले के दो विधायक सरकार में मंत्री के तौर पर शामिल है. उन्होंने इस विषय को लेकर अमरावती के अन्य विधायकों के साथ सरकार पर दबाव बनाना चाहिए.
– प्रवीण पोटे पाटील
पूर्व राज्यमंत्री व विधान परिषद सदस्य

 

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 … अन्यथा पालकमंत्री को जिले में घुमने नहीं देंगे

पिछली सरकार के समय अमरावती जिले में सरकारी मेडिकल कॉलेज स्थापित करने हेतु प्रयास शुरू किये गये थे और इस प्रस्ताव को मान्यता देने के साथ ही इंडियन मेडिकल काउंसिल की टीम ने अमरावती शहर का दौरा भी किया था. जिसके तहत मेरे निर्वाचन क्षेत्र में एक जगह को प्रस्तावित मेडिकल कॉलेज के निर्माण स्थल के तौर पर लगभग तय किया गया था. जिसे केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने भी मंजूरी दी थी. लेकिन अब पता चल रहा है कि, राज्य सरकार में शामिल कुछ बडे व प्रभावशाली नेताओं ने अमरावती के मेडिकल कॉलेज हेतु आवंटित निधी सिंधुदूर्ग व अलिबाग के हिस्से में दे दी है. यदि यह सच है, तो सबसे बडा सवाल यह है कि, राज्य सरकार में शामिल रहनेवाले अमरावती जिले के दो-दो मंत्री क्या कर रहे है, और यदि अमरावती के हिस्से में आनेवाला मेडिकल कॉलेज सच में सिंधुदूर्ग के हिस्से में चला जाता है, तो हम समूचे जिले में जबर्दस्त आंदोलन शुरू करेंगे और पालकमंत्री को जिले में कहीं पर भी घुमने नहीं दिया जायेगा.
– रवि राणा
विधायक, बडनेरा निर्वाचन क्षेत्र

 

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हम सरकार से जरूरी निवेदन करेंगे

फिलहाल तक अमरावती के सरकारी मेडिकल कॉलेज को यहां की बजाय सिंधुदूर्ग ट्रान्सफर किये जाने के बारे में अधिकारिक तौर पर कोई जानकारी प्राप्त नहीं हुई है. हालांकि पिछले दो-तीन दिन से ऐसी कुछ चर्चाएं जरूर सुनायी दे रही है. जिसके बारे में आवश्यक जानकारियां प्राप्त की जा रही है. साथ ही हम इस बारे में अपनी सरकार के समक्ष निवेदन करते हुए अमरावती में जल्द से जल्द सरकारी मेडिकल कॉलेज शुरू करने के संदर्भ में मांग की जायेगी.
– सुनील वर्‍हाडे
जिलाध्यक्ष, राष्ट्रवादी कांग्रेस

 

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कांग्रेस व राकांपा ने हमेशा ही विदर्भ की अनदेखी व उपेक्षा ही की है

महाराष्ट्र में लंबे समय तक कांग्रेस की ही सत्ता रही और कांग्रेसी शासनकाल के दौरान विदर्भ पर हमेशा ही अन्याय होता आया है. वहीं भाजपा ने सत्ता में आने के बाद विदर्भ क्षेत्र का अनुशेष दूर करने का प्रयास किया. राज्य की पूर्ववर्ती भाजपा सरकार ने विदर्भ क्षेत्र में कई विकास परियोजनाएं शुरू करने के साथ ही अमरावती में सरकारी मेडिकल कॉलेज शुरू करने को लेकर आवश्यक प्रयास शुरू किये थे. लेकिन कांग्रेस व राकांपा ने सत्ता में आते ही विदर्भ क्षेत्र की एक बार फिर उपेक्षा करनी शुरू कर दी है. जिसके तहत विदर्भ के हिस्से में आयी विभिन्न विकास योजनाओं को पश्चिम महाराष्ट्र ले जाया जा रहा है. हमें वैसे भी राज्य की महाविकास आघाडी सरकार से कोई विशेष अपेक्षा नहीं है, लेकिन कम से कम पिछली सरकार द्वारा शुरू की गई योजनाओं को तो यथावत रखा जाना चाहिए और पश्चिम विदर्भ क्षेत्र के विद्यार्थियों के शैक्षणिक भविष्य के साथ खिलवाड नहीं किया जाना चाहिए. इतनी अपेक्षा तो रखी ही जा सकती है.
– प्रा. दिनेश सूर्यवंशी
पूर्व जिलाध्यक्ष व प्रदेश सदस्य, भाजपा

 

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अमरावती में ही बनेगा मेडिकल कॉलेज

आज ही राज्य मंत्रिमंडल की बैठक हो रही है. जिसमें निश्चित तौर पर इस विषय को लेकर आवश्यक विचार-विमर्श जरूर होगा. हमें पूरी उम्मीद है कि, जिला पालकमंत्री यशोमति ठाकुर तथा राज्यमंत्री बच्चु कडू द्वारा इस विषय को लेकर पूरजोर तरीके से सरकार के समक्ष अपना पक्ष रखा जायेगा. साथ ही जिले के सभी कांग्रेसी विधायक भी मुख्यमंत्री के समक्ष सरकारी मेडिकल कॉलेज की मांग उठायेंगे. ऐसे में हमें पूरा भरोसा है कि, अमरावती का प्रस्तावित मेडिकल कॉलेज अमरावती में ही बनेगा और प्राधान्यक्रम में कोई बदलाव भी नहीं होगा.
-बबलू देशमुख
जिलाध्यक्ष कांग्रेस

 

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सब हवा-हवाई बातें, अब तक जमीनी स्तर पर कुछ नहीं

इससे पहले जब अमरावती में कई लोगों ने सरकारी मेडिकल कॉलेज आने की खबर उडाते हुए अपने-अपने बडे-बडे बैनर व पोस्टर लगाये थे, तब भी सारी बातेें हवा-हवाई थी. इस विषय को लेकर अब तक अधिकृत तौर पर न तो सरकार की ओर से कोई पत्र मिला है, न अलॉटमेंट व सैंक्शन को लेकर कोई अधिकृत घोषणा हुई है और न ही स्थानीय स्तर पर कोई प्रशासनिक बैठक ही हुई है. केवल हर कोई ‘मैंने लाया-मैंने लाया’ का शोर करते हुए श्रेय लूटने के काम में लगा हुआ था. वहीं अब ठीक उसी तरह अमरावती के प्रस्तावित मेडिकल कॉलेज को सिंधुदूर्ग भगा ले जाने का शोर मचा रहा है. जबकि इसे लेकर भी सरकारी स्तर पर अब तक कोई अधिकृत घोषणा नहीं की गई है. ऐसे में ये सब हवा-हवाई बातें है. जिनका हकीकत से कोई वास्ता नहीं है.
– दिनेश बूब
मनपा पार्षद व शिवसेना जिला प्रमुख

 

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मौजूदा मंत्रियों व विधायकों की कार्यक्षमता पर सवालिया निशान

अगर यह खबर सच है कि, अमरावती के प्रस्तावित मेडिकल कॉलेज को प्राधान्यक्रम से हटाकर उसके स्थान पर सिंधुदूर्ग व अलीबाग जिलों को प्राधान्य सूची में शामिल किया गया है, तो सबसे बडा सवाल यह है कि, सरकार में बतौर मंत्री शामिल रहनेवाले अमरावती जिले के दो जनप्रतिनिधि क्या कर रहे है. साथ ही अन्य विधायकों द्वारा भी इस विषय पर समय रहते ध्यान क्यों नहीं दिया गया. यह अमरावती जिले का दुर्भाग्य है कि, यहां के विधायकों को सरकार में प्रतिनिधित्व मिलने के बावजूद उनकी राजनीतिक इच्छाशक्ति जिले के विकास के लिहाज से कम पड जाती है. और वे अपने खुद के और अपने निर्वाचन क्षेत्र के विकास तक ही सीमित रह जाते है. इस समय राज्य मंत्रिमंडल में अमरावती के हिस्से में एक कैबिनेट मंत्री पद व एक राज्यमंत्री पद आया है. साथ ही जिला पालकमंत्री भी मूलत: अमरावती जिले से ही है. इसके बावजूद भी अगर सरकार में अमरावती जिले की अनदेखी हो रही है, तो इसे जिले का दुर्भाग्य ही कहा जा सकता है. हम अपने स्तर पर इस संदर्भ में मुख्यमंत्री उध्दव ठाकरे से चर्चा जरूर करेंगे.
– राजेश वानखडे
शिवसेना जिला प्रमुख

 

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मौजूदा जनप्रतिनिधियों की ताकत कम पड गयी

किसी भी विकास योजना को लाने के लिए राजनीतिक इच्छा के साथ ही शक्ति का होना भी बेहद जरूरी होता है. मैंने तीन बार अमरावती का प्रतिनिधित्व करते समय दूरगामी दृष्टिकोन रखते हुए अपनी राजनीतिक इच्छाशक्ति व पहुंच का इस्तेमाल कर कई विकास परियोजनाओं को शुरू करने के साथ ही साकार भी किया. लेकिन यदि संभागीय मुख्यालयवाले जिले के मेडिकल कॉलेज का प्राधान्यक्रम बदलकर किसी जिला मुख्यालयवाले शहर को दिया जा रहा है, तो इसका सीधा मतलब है कि, स्थानीय जनप्रतिनिधियों की सरकार में ताकत कम पड गयी है. वहीं सरकार में शामिल बडे नेताओं ने भी इस तरह की हरकत से बचना चाहिए था. अमरावती के विद्यार्थियों का इससे काफी नुकसान हो सकता है. अत: यहां के प्रस्तावित मेडिकल कॉलेज के प्राधान्यक्रम को बदल दिये जाने का मैं कडा निषेध करता हूं.
– डॉ. सुनील देशमुख
पूर्व विधायक, अमरावती.

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