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जिलाधीश नवाल का अपने कार्यालय के आसपास ही ध्यान नहीं

कलेक्ट्रेट के बगल में कोविड नियमों की ‘ऐसी-तैसी’

  • क्या आंख मूंदकर सोया हुआ है प्रशासन?

  • व्यापारियों व आम नागरिकों पर चलाया जा रहा कार्रवाई का डंडा

  • आंदोलनों व धरनों में भी सांप निकल जाने पर लाठी पीटता है प्रशासन

अमरावती/प्रतिनिधि दि.24 – इस समय जिला प्रशासन द्वारा शहर सहित समूचे जिले में कोविड प्रतिबंधात्मक नियमोें को बेहद कडाई के साथ लागू करने हेतु तमाम तरह की सख्ती बरत रहा है. लेकिन ठीक जिलाधीश कार्यालय के बगल में सोशल डिस्टंसिंग जैसे नियमों की खुलेआम धज्जिया उड रही है, जिसकी ओर जिलाधीश शैलेश नवाल सहित प्रशासनिक अधिकारियोें का कोई ध्यान नहीं है. वहीं यदि किसी दूकान में 4 से अधिक और विवाह में 25 से अधिक लोग मिल जाते है, तो प्रशासन द्वारा तुरंत कार्रवाई का डंडा घुमा दिया जाता है.
बता दें कि, जिलाधीश कार्यालय के ठीक पीछे कामगार आयुक्त का कार्यालय है. जहां पर इन दिनों निर्माण कामगारों को निर्माण साहित्य सुरक्षा कीट का वितरण किया जा रहा है. इस कीट को प्राप्त करने इन दिनों कामगार आयुक्त कार्यालय में निर्माण कार्य मजदूरों की जबर्दस्त भीड उमड रही है और लोगबाग कतार में एक-दूसरे से बेहद सटकर खडे होते है. साथ ही साथ यहां पर कई लोग बिना मास्क लगाये भी खडे दिखाई देते है. ऐसे में यहां सोशल डिस्टंसिंग सहित कोविड प्रतिबंधात्मक नियमों का खुलेआम उल्लंघन होता दिखाई दे रहा है और यहां पर एक-दूसरे के संपर्क में आने से लोगों की कोविड संक्रमित होने की संभावना से इन्कार नहीं किया जा सकता.
उल्लेखनीय है कि, इन दिनों शहर सहित जिले में लगातार बढती कोविड संक्रमितों की संख्या को देखते हुए जिलाधीश नवाल द्वारा कई तरह के प्रतिबंधात्मक नियम लागू किये गये है. जिनका उल्लंघन करने पर व्यापारियों सहित आम नागरिकों के खिलाफ कडी कानूनी व दंडात्मक कार्रवाई की जा रही है. इसके तहत यदि किसी व्यापारिक प्रतिष्ठान में चार से अधिक लोग पाये जाते है या किसी विवाह समारोह में 25 से अधिक लोग उपस्थित होते है, तो तुरंत ही प्रशासन द्वारा कार्रवाई की जाती है. किंतु खुद सरकारी कार्यालयों में भीडभाड का यह आलम है. जिसकी ओर जिलाधीश सहित स्थानीय प्रशासन का कोई ध्यान नहीं है. ऐसे में सबसे बडा सवाल यह है कि, क्या सारे नियम और कानून व्यापारियों व आम नागरिकों के लिए ही है और सरकारी अधिकारियों व कार्यालयों को इसमें कोई छूट दी गई है या फिर सरकारी कार्यालयों में भीडभाड होने पर वहां कोविड संक्रमण फैलने का खतरा नहीं होता?
इसी तरह इन दिनों अक्सर ही किसी न किसी मुद्दे को लेकर शहर में प्रमुख चौक-चौराहों सहित खुद जिलाधीश कार्यालय के सामने राजनीतिक व सामाजिक संगठनों द्वारा अच्छाखासा मजमा इकठ्ठा करते हुए धरने व प्रदर्शन जैसे आंदोलन किये जाते है. इस तरह के आंदोलन हो जाने के बाद प्रशासन द्वारा आंदोलन में शामिल लोगों के खिलाफ मामले दर्ज किये जाते है. सवाल यह है कि, जब शहर में आपत्ति व्यवस्थापन अधिनियम एवं संक्रामक महामारी प्रतिबंधात्मक अधिनियम सहित संचारबंदी कानून लागू है, तो आंदोलन के लिए एक ही स्थान पर इतने सारे लोगोें को इकठ्ठा होने की अनुमति ही कैसे दी जाती है और आंदोलन को पहले ही क्योें नहीं रोका जाता. क्या आंदोलन होने तक कोरोना खुद रूका रहता है और आंदोलन खत्म होने के बाद फैलता है, तब आंदोलनकारियों के खिलाफ कार्रवाई की जाती है.
ऐसे में बेहद जरूरी है कि प्रशासन द्वारा जिस तरह शहर के व्यापारिक प्रतिष्ठानों व व्यवसायिक क्षेत्रों में नियमों का पालन करवाया जाता है, ठीक उसी तरह सरकारी कार्यालयों में भी प्रतिबंधात्मक नियमोें का पालन करवाया जाये और नियमों का उल्लंघन होने पर सरकारी कार्यालयों के खिलाफ भी कानूनी व दंडात्मक कार्रवाई की जाये. अन्यथा इसे प्रशासन का व्यापारियों व आम नागरिकों के साथ दूजाभाव कहा जा सकता है.

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