* मामला रेल दुर्घटना का
नागपुर/दि.29- बम्बई उच्च न्यायालय की नागपुर खंडपीठ ने कहा कि रेल दुर्घटना में मृत व्यक्ति के पास टिकट नहीं पाये जाने के एकमात्र कारण से उसके उत्तराधिकारी को मुआवजा से इनकार नहीं किया जा सकता. न्या. अभय आहूजा की एकलपीठ ने बुलढाणा के एक प्रकरण में उक्त टिप्पणी कर रेल दुर्घटना पीड़ित को 8 लाख रुपए क्षतिपूर्ति देने का आदेश मध्यरेल्वे को दिया है. इस बारे में 6 साल पहले रेल न्यायाधिकरण ने क्षतिपूर्ति दावा नामंजूर कर दिया था.
* क्षतिपूर्ति के लिए पात्र
ैजज आहूजा ने रेलवे के कानून की धारा 123 सी में दुर्घटना की परिभाषा देने का उल्लेख कर कहा कि यात्री के ट्रेन में, प्रतीक्षा कक्ष में अथवा आरक्षण और बुकिंग कार्यालय में अथवा प्लेटफार्म पर, अन्य रेल परिसर में आतंकी हमला, डाका, दंगा, आगजनी या फिर ट्रेन से यात्री के गिर जाने की घटनाएं दुर्घटना की श्रेणी में आते हैं. जिसमें घायल अथवा मृत व्यक्ति के वारिस रेल्वे से क्षतिपूर्ति हेतु पात्र हैं.
* पहले यात्री होना चाहिए
प्रतिपक्षी वकील ने अदालत में कहा कि संंंबंधित व्यक्ति का पहले वह रेल यात्री है, यह बात सिद्ध होना आवश्यक है. रेल टिकट न रहने पर उस व्यक्ति को प्रामाणिक यात्री नहीं माना जा सकता. जिससे क्षतिपूर्ति नहीं दी जा सकती. जिसका याचिकाकर्ता के वकील ने विरोध किया और कहा कि दुर्घटना होने के दौरान ट्रेन टिकट गुम हो सकती है. अदालत ने यह तर्क मान्य कर मुआवजे का आदेश दिया.
मलकापुर के वाकोडी की रहने वाली आशा काजले और अन्य दो उत्तराधिकारी को क्षतिपूर्ति दी गई. आशा का पुत्र गणेश विगत 8 फरवरी 2014 को संत गजानन महाराज दर्शन हेतु शेगांव गया था. लौटते समय ट्रेन से गिरने से उसकी मृत्यु हो गई. उसके पास यात्रा का टिकट नहीं मिला था.