मुख्य समाचारविदर्भ

पृथ्वी ट्रैवल्स के संचालक चव्हाण को मिली सशर्त राहत

हाईकोर्ट ने दिया जप्ती टालने के लिए 15 लाख जमा करने का आदेश

  •  बैंक ने 6 जुलाई को जारी की थी बसों के जप्ती की नोटीस

  •  कर्ज के बकाया भुगतान के लिए बैंक ने उठाया जप्ती का कदम

नागपुर/प्रतिनिधि दि.4  – कोविड महामारी के खतरे को देखते हुए लागू किये गये लॉकडाउन की वजह से अमरावती महानगर पालिका की परिवहन सेवा में बसों का संचालन बंद रहने की वजह से विगत डेढ वर्ष के दौरान काफी आर्थिक नुकसान हुआ और बसें खरीदने हेतु बैंक से लिये गये कर्ज की अदायगी नहीं हो पायी. जिसकी वजह से बैंक द्वारा बसों की जप्ती के लिए भेजी गई नोटीस को पृथ्वी ट्रैवल्स के संचालक विपीन चव्हाण द्वारा नागपुर हाईकोर्ट में चुनौती दी गई. जहां पर न्या. सुनील शुक्रे व न्या. अनिल किलोर की खंडपीठ ने पृथ्वी ट्रैवल्स के संचालक विपीन चव्हाण से कहा कि, यदि वे बैंक के पास 15 लाख रूपये जमा करा देते है, तो कोर्ट द्वारा बैंक की जप्ती नोटीस पर अस्थायी रोक लगा दी जायेगी. इसके साथ ही याचिकाकर्ता को बैंक में आगामी एक सप्ताह के भीतर निधी जमा कराने के आदेश भी दिये गये है.
बैंक की जप्ती नोटीस को चुनौती देते हुए याचिकाकर्ता द्वारा कोर्ट को बताया गया कि, मनपा की परिवहन सेवा का ठेका हासिल करने के साथ ही बसों की खरीदी के लिए बैंक से कर्ज लिया गया था और बैंक ने 5 करोड रूपये की क्रेडीट लिमीट दी थी. कोविड संक्रमण के चलते लॉकडाउन लागू होने के बावजूद नवंबर 2020 तक बैंक को 5 करोड 19 लाख 94 हजार 270 रूपये का भुगतान किया जा चुका है और शेष बचे भुगतान को अदा करने की इच्छा भी है. किंतु इसके लिए बैंक द्वारा थोडा समय दिया जाना चाहिए. याचिकाकर्ता के मुताबिक यदि कोविड महामारी का संकट नहीं होता, तो काफी पहले ही कर्ज की अदायगी हो चुकी होती, क्योंकि कोविड संक्रमण काल से पहले नियमित तौर पर कर्ज की किश्तें अदा की जा रही थी.
इस याचिका पर सुनवाई के बाद अदालत ने आदेश जारी करते हुए कहा कि, 26 मार्च 2021 को बैंक द्वारा याचिकाकर्ता को पत्र भेजते हुए 26 लाख 66 हजार 159 रूपये अदा कर कर्ज खाते को नियमित करने की सूचना दी गई है. किंतु याचिकाकर्ता कोविड संक्रमण की दूसरी लहर में बसों का संचालन पूरी तरह बंद हो जाने के चलते इस विकल्प का लाभ उठाने में सक्षम नहीं रहा. जिसकी वजह से बैंक द्वारा 6 जुलाई 2020 को बसों की जप्ती करने हेतु नोटीस जारी की गई. चूंकि अब नियमानुसार बैंक से कोई राहत मिलना संभव नहीं है, तो यदि याचिकाकर्ता द्वारा बैंक में 15 लाख रूपये जमा किये जाते है, तो बैंक द्वारा जारी की गई जप्ती की नोटीस पर अस्थायी रोक लगायी जा सकती है. लेकिन यदि एक सप्ताह के भीतर यह पैसा जमा नहीं कराया जाता, तो यह राहत निरस्त कर दी जायेगी. साथ ही अदालत ने प्रतिवादी पक्ष के नाम पर भी नोटीस जारी कर इस बारे में तीन सप्ताह के भीतर जवाब पेश करने का निर्देश जारी किया.

Back to top button