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राष्ट्रीय कीर्तनकार डॉ. डबीर के निधन से कीर्तन सम्प्रदाय में शोक

मुंबई-पुणे में 400 कीर्तनकार किए तैयार

नागपुर/दि.30- राष्ट्रीय कीर्तनकार डॉ. दिलीप बुआ डबीर के अचानक हुए निधन खबर शाम को शहर सहित संपूर्ण राज्य में फैल गई. इस राष्ट्रीय कीर्तन रत्न के निधन के कारण समृद्ध राष्ट्रीय कीर्तन समाप्त होने की भावना कीर्तन सम्प्रदान ने व्यक्त की गई. वैदर्भिय हरिकीर्तन संस्थान अंतर्गत चलाए जाने वाले कीर्तन महाविद्यालय के वे प्राचार्य थे. महाविद्यालय स्थापित करने में उनकी महत्वपूर्ण भूमिका थी. इस कीर्तनकार ने मुंबई-पुणे में 400 कीर्तनकार तैयार किए है.
कीर्तन जैसे बलशाली और कठिन प्रकार सभी के लिए संभव नहीं है. ऐसे में इस प्रकार में शास्त्रोक्त शिक्षा लेना आसान नहीं था. लेकिन मूल चंद्रपुर निवासी और बाद में नागपुर में स्थायी हुए दिलीप बुआ ने यह साध्य कर दिखाया. वक्ता दशसहस्त्रेषु प्राचार्य राम शेवालकर रामटेक के पूर्व कुलगुुरु पंकज चांदे, वरिष्ठ नारदीय कीर्तनकार मोहनबुआ कुबेर का महत्वपूर्ण सहयोग मिला. वर्ष 2001 में शुरु हुए इस महाविद्यालय से केवल नागपुर अथवा विदर्भ से ही नहीं बल्कि पुणे-मुंबई के कीर्तनकारों ने नागपुर में शिक्षा लेेते हुए इस शास्त्रोक्त शिक्षा का लाभ लिया. कीर्तन शास्त्र में बीए और एम अभ्यासक्रम उन्होंने खुद तैयार किया. बाद में मुंबई-पुणे, छत्रपति संभाजी नगर और अकोला में महाविद्यालय की शाखा गठित की. जिसमें दिलीप बुआ के प्रयास महत्वपूर्ण साबित हुए. साथ में नारदीय कीर्तन प्रकार प्रस्तुत कर उन्होंने 50 साल सेवा दी. महाविद्यालय की कमान संभालते हुए उनका यह सफर लगातार शुरु था. कीर्तन के लिए उन्होंने महाराष्ट्र सहित पूरे देश का भ्रमण किया. कोलकाता, जमशेदपुर, दिल्ली, भोपाल, जयपुर समेत संपूर्ण बृहन्महाराष्ट्र में उन्होंने नारदीय कीर्तन पहुंचाया. महाराष्ट्र शासन की ओर से चलने वाले शासकीय कीर्तन महोत्सव और कीर्तन महोत्सव शिविर के अनेक साल से मार्गदर्शक व संचालक वे थे. साथ ही नागपुर समेत विदर्भ में भव्य स्वरुप में कीर्तन महोत्सव आयोजित करने की उनकी संकल्पना थी और वह सफल हुई.

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