निजी अस्पतालों में खाली बेड की स्थिति को लेकर संभ्रम
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प्रशासन कह रहा कि बड़े पैमाने पर बेड खाली
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निजी अस्पताल खुद को बता रहे हाऊसफुल
अमरावती/प्रतिनिधि दि. 16 – इन दिनों कोरोना संक्रमित मरीजों की लगातार बढ़ती संख्या को देखते हुए प्रशासन द्वारा कई निजी अस्पतालों को कोविड अस्पताल के तौर पर काम करने की अनुमति प्रदान की गई है, जहां पर कोरोना संक्रमित मरीज भर्ती किये जा सकते हैं. प्रशासन की ओर से रोजाना सरकारी सहित निजी कोविड अस्पतालों में उपलब्ध बेड संख्या के बारे में जानकारी जारी की जाती है, जिसके मुताबिक इस समय सभी निजी अस्पतालोंं में लगभग 50 फीसदी बेड खाली है. अलग-अलग अस्पतालों में यह प्रमाण कुछ कम अधिक हो सकता है. लेकिन हैरत की बात यह है कि जब भी किसी निजी कोविड अस्पताल में किसी कोरोना संक्रमित मरीज को भर्ती करने के लिए फोन लगाया जाये या प्रत्यक्ष संपर्क किया जाये, तो वहां से एक ही जवाब मिलता है कि हमारे यहां बेड खाली नहीं है.
ऐसे में सबसे बड़ा सवाल है कि अगर निजी कोविड अस्पतालों में बेड ही खाली नहीं है, तो प्रशासन की ओर से जारी किये जानेवाले आंकड़ों में निजी कोविड अस्पतालों में बेड खाली रहने की बात क्यों कही जाती है और यदि प्रशासन की ओर से जारी किये जानेवाले आंकड़े सही हैं, तो फिर निजी कोविड अस्पतालों द्वारा मरीजों को बेड उपलब्ध कराने में आनाकानी क्यों की जाती है और हमेशा ही अपने अस्पतालों को हाउसफुल्ल क्यों बताया जाता है.
बता दें कि, जिला प्रशासन द्वारा रोजाना ही जिला सूचना अधिकारी कार्यालय के मार्फत जिले के कोविड अस्पतालों, कोविड हेल्थ केयर सेंटरों तथा कोविड केयर सेंटरों के कुल बेड, भरती मरीज संख्या एवं खाली बेड के बारे में आंकडे उपलब्ध कराये जाते है. कोविड हेल्थ केयर सेंटर व कोविड केयर सेंटर तो पूरी तरह से सरकारी है. वहीं कोविड अस्पतालों में सरकारी व निजी अस्पतालों का समावेश है. इसमें से सरकारी कोविड अस्पतालों में कभी भी बेड की उपलब्धता को लेकर कोई समस्या सामने नहीं आयी. बल्कि प्रशासन द्वारा संभावित जरूरत को देखते हुए बेड की संख्या बढाने भी काम किया गया. किंतु निजी कोविड अस्पतालों के बारे में हमेशा यह समस्या देखी गयी कि, इन अस्पतालों में जब भी कोरोना संक्रमित मरीजों को भरती करने हेतु फोन लगाया जाये, तो वहां से एक ही जवाब मिलता है कि, हमारे यहां बेड खाली नहीं है. जबकि प्रशासनिक आंकडे कुछ अलग ही कहानी कहते है. वहीं सर्वाधिक आश्चर्य इस बात को लेकर भी है कि, कई निजी कोविड अस्पतालों में जनरल बेड की व्यवस्था ही नहीं है. बल्कि वहां पर केवल वेंटिलेटर बेड, आयसीयू व ऑक्सिजन बेड की ही व्यवस्था है. ऐसे में प्रशासन द्वारा इस ओर ध्यान दिये जाने की भी जरूरत है कि, आखिर यह गडबडी कहां हो रही है.
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किस निजी कोविड अस्पताल में कितने बेड खाली
अस्पताल आयसीयू बेड ऑक्सिजन बेड जनरल बेड वेंटिलेटर बेड
अंबादेवी हॉस्पिटल 17 47 — 2
एक्झॉन हॉस्पिटल 29 36 25 00
बख्तार हॉस्पिटल 00 00 00 2
बेस्ट हॉस्पिटल 00 17 10 3
भामकर हॉस्पिटल 00 3 00 1
सिटी हॉस्पिटल 12 14 — 1
दयासागर 1 2 4 3
डॉ. बारब्दे हॉस्पिटल 6 00 2 8
दुर्वांकुर हॉस्पिटल 3 — 3 00
एकता हॉस्पिटल 8 9 — 2
गेटलाईफ हॉस्पिटल 6 2 11 3
गोडे हॉस्पिटल 35 — 20 1
हिलटॉप हॉस्पिटल 15 25 30 4
किटुकले हॉस्पिटल 1 8 — 3
कुसुमांजली हॉस्पिटल 2 00 8 4
महावीर हॉस्पिटल 13 5 5 2
ऑर्चिड हॉस्पिटल 00 00 1 1
रिम्स हॉस्पिटल 5 51 — 3
श्रीपाद हॉस्पिटल 1 7 32 2
श्री साई हॉस्पिटल 3 — 5 8
सनशाईन हॉस्पिटल 3 19 — 00
यादगीरे हॉस्पिटल 2 00 4 2
झेनिथ हॉस्पिटल 29 36 — 00
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सभी कोविड अस्पतालों पर हैं पूरी नजर, प्रशासन द्वारा आंकडे है सही
इस संदर्भ में जिलाधीश शैलेश नवाल से संपर्क किये जाने पर उन्होंने बताया कि, प्रशासन द्वारा सभी निजी व सरकारी कोविड अस्पतालों, कोविड हेल्थ केयर सेंटरों और कोरोंटाईन सेंटरों में भरती हर एक मरीज का रोजाना ब्यौरा लिया जाता है. किस अस्पताल में कुल कितने बेड की व्यवस्था है, वहां कितने बेड पर मरीज भरती है और कितने बेड खाली है, इसके लेकर रोजाना आंकडे उपलब्ध कराये जाते है. यदि इसके बावजूद किसी निजी कोविड अस्पताल द्वारा बेड उपलब्ध रहने के बावजूद मरीजों को बेड उपलब्ध कराने में आनाकानी की जाती है, तो उसके बारे में जिलाधीश कार्यालय अथवा मनपा के हेल्पलाईन क्रमांक से संपर्क किया जा सकता है. ऐसे मामलों में संबंधितों के खिलाफ आवश्यक कार्रवाई की जायेगी.