कांग्रेस ने किया किराएदारों के हितों का संरक्षण
सतत किए जाते प्रयासों को सुप्रीम कोर्ट में भी मिली सफलता
* पार्टी पदाधिकारियों ने पत्रवार्ता में दी जानकारी
अमरावती/दि.30 – पुरानी, खस्ताहाल व जर्जर इमारतों में रहने वाले किराएदारों के अधिकारों को अबादीत रखते हुए उन्हें संरक्षण देने का प्रयास कांग्रेस पार्टी द्बारा विगत लंबे समय से सतत प्रयास किए जा रहे है. जिसे खापर्डे वाला को गिराए जाने के संदर्भ में सुप्रीम कोर्ट में जारी सुनवाई में उस समय सफलता मिली, जब सुप्रीम कोर्ट ने अपना फैसला सुनाते समय खापर्डेवाडा के सभी किराएदारों को संरक्षण देते हुए कहा कि, किराएदारों को उनके कब्जे में रहने वाली जगह की एवज में नई इमारत मेें पुनवर्सन होने के संदर्भ में जब तक कोई सामंजस्य करार नहीं होता, तब तक संबंधित बिल्डर और महानगरपालिका द्बारा नई इमारत के निर्माण संदर्भ में कोई अगला कदम नहीं उठाया जा सकता. इस जरिए सुप्रीम कोर्ट ने किराएदारों के संदर्भ में कांग्रेस कांग्रेस द्बारा अपनाई गई भूमिका को सही करार दिया है. इस आशय का प्रतिपादन आज यह बुलाई गई पत्रवार्ता में कांग्रेस के शहाराध्यक्ष बबलू शेखावत तथा पूर्व महापौर विलास इंगोले व मिलिंद चिमोटे द्बारा किया गया. इस पत्रवार्ता में बताया गया कि, विगत अनेक वर्षों से अमरावती शहर की पुरानी इमारतों में किराए से रहने वाले किराएदारों को विस्थापित करने हेतु अलग-अलग प्रयास किए जा रहे है. जिसके तहत इमारतों को जर्जर व खस्ताहाल दिखाकर उसे गिराने हेतु मनपा प्रशासन पर दबाव डालने के साथ ही आर्थिक लेन-देन वाले काम भी किए जा रहे थे. शहर के कुछ बिल्डरों व जनप्रतिनियों द्बारा आपस में मिलीभगत कर लंबे समय से यह गोरख धंधा किया जा रहा था. जिसके तहत विगत कुछ वर्षों के दौरान कई पुरानी इमारतों को गिराते हुए वहां पर रहने वाले किराएदारों को खाली कराया गया था. इस बात को लेकर मनपा के पूर्व महापौर व तत्कालीन स्वीकृत सदस्य मिलिंद चिमोटे तथा पूर्व पार्षद प्रकाश बनसोड ने अनेकों द्बारा मनपा प्रशासन के समक्ष आवाज उठाई और इस संदर्भ में मुंबई उच्च न्यायालय द्बारा जारी किए गए आदेशों की जानकारी भी मनपा की सर्वसाधारण सभा व मनपा प्रशासन को दी. जिसके चलते मनपा प्रशासन ने पुरानी इमारतों के संदर्भ में सतर्क भूमिका निभानी शुरु की. लेकिन इसी दौरान 30 अक्तूबर 2022 को प्रभात चौक में राजेंद्र लॉज की इमारत ढह जाने की वजह से 5 लोगों की मौत हो गई थी. जिसकी वजह से एक बार फिर भविष्य में ऐसी घटनाओं की पुनरावृत्ति को टालने हेतु शहर की पुरानी इमारतों को गिराने की मांग जोर पकडनी शुरु हो गई थी. उस समय भी कांग्रेस पार्टी ने पुरानी इमारतों को गिराने के संदर्भ में नीति तय करने हेतु जल्दबाजी करने की बजाय तमाम कानूनी पहलूओं को देखने की मांग मनपा के सामने रखी थी. ताकि ऐसी इमारतों में किराएदार के तौर पर रहने वाले लोगों के अधिकारों को अबाधित रखा जा सके और उन्हें विस्तापित होने से बचाया जा सके. यह कांग्रेस द्बारा किए जाते प्रयासों का ही परिणाम रहा कि, 11 नवंबर 2022 को मनपा आयुक्त प्रवीण आष्टीकर ने किसी भी तरह के दबाव में आए बिना महाराष्ट्र मनपा अधिनियम 1949 की धारा 264 के तहत पुरानी व जर्जर इमारतों के संदर्भ में अपनाई जाने वाली कार्यपद्धति निश्चित की. इसके तहत कहा गया है कि, किसी भी इमारत को गिराने से पहले इसमें रहने वाले किराएदारों को उनके कब्जे में रहने वाली जगह से संबंधित प्रमाणपत्र दिया जााएगा और जब तक इमारत मालिक व किराएदार के बीच सामंजस्य करार नहीं होता, तब तक नई इमारत को बनाने की अनुमति नहीं दी जाएगी.
इस पत्रवार्ता में बताया गया है कि, राजेंद्र लॉज वाली घटना के बाद मनपा प्रशासन ने पुरानी व जर्जर इमारतों को लेकर हाईकोर्ट द्बारा सुप्रीम कोर्ट में प्रलंबित रहने वाले मामलों में स्थगनादेश को हटाने हेतु जलद गति से प्रयास करने शुरु किए थे. जिसमें से एक मामला राजकमल चौक स्थित खापर्डेवाडा का भी था. यह मामला देश के मुख्य न्यायामूर्ति डॉ. धनंजय चंद्रचूड तथा न्या. पी नरसिम्हा तथा न्यायमूर्ति जे. बी. पार्डीवाल की खंडपीठ के समक्ष 20 मार्च 2023 को अंतिम सुनवाई के लिए आया. जिस पर फैसला देते हुए सर्वोच्च न्यायालय ने इसमें अंतरभूत कानूनी प्रावधानों, युनिफाइड रेगुलेशन व अमरावती मनपा द्बारा महाराष्ट्र महानगरपालिका अधिनियम 1949 की धारा 264 का सहारा लेकर 11 नवंबर 2022 को जारी किए गए नियमों को विचार में लेते हुए निर्णय लिया गया है. जिसमें सर्वोच्च न्यायालय ने खापर्डेवाडा के सभी किराएदारों को संरक्षण प्रदान किया है और उनके कब्जे में रहने वाली जगह के संदर्भ में जब तक नई इमारत में पुनर्वसन होने के संदर्भ में सामंजस्य करार नहीं होता, तब तक बिल्डर व मनपा को नई इमारत के निर्माण संदर्भ में कोई भी अगली कार्रवाई करने से मना भी किया है और मनपा को अपनी सभी जिम्मेदारियों का पालन करने के संदर्भ में निर्देशित किया है. इस तरह से सुप्रीम कोर्ट ने एक तरह से किराएदारों के संदर्भ में कांग्रेस पार्टी द्बारा अपनाई गई भूमिका को सही ठहराया है.