कांग्रेस को छोड़नी पड़ेगी विदर्भ की आधी सीटें
अमरावती, वाशिम,बुलढाणा में नहीं होगा पंजा
* आघाड़ी होने पर पार्टी दिक्कत में
नागपुर/दि.24- कांग्रेस प्रदेशाध्यक्ष नाना पटोले द्वारा महाविकास आघाड़ी में भी सीधे-सीधे सीटें छोड़ने पर विरोध जताया है, जिससे जगह वितरण पर आघाड़ी में मतभेद की संभावना व्यक्त हो रही है. खासकर, विदर्भ और पश्चिम विदर्भ में आघाड़ी कायम रहने पर कांग्रेस को आधी अर्थात पांच सीटों पर दावा छोड़ना पड़ सकता है. इसमें अमरावती संभाग की तीन, अमरावती, बुलढाणा और वाशिम-यवतमाल सीट का समावेश रहने की जानकारी सूत्र दे रहे हैं. इसके अलावा रामटेक और भंडारा-गोंदिया यह लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र है. जिन पर राकांपा और सेना उबाठा दावा करेगी. अमरावती, बुलढाणा और रामटेक पर उबाठा सेना का दावा रहेगा. वहीं यवतमाल और भंडारा-गोंदिया में राकांपा दावा करने के चांसेस बताए जा रहे हैं.
बहरहाल, प्रदेश कांग्रेस की बैठक में नाना पटोले ने इलेक्टीव मेरीट पर सीट बंटवारे पर जोर दिया. 16-16 का फार्मूला तय हुआ तो विदर्भ में आधे स्थान पंजे को मित्र दलों हेतु छोड़ने पड़ेंगे. इन क्षेत्रों में कांग्रेस का प्रत्याशी गत चुनाव से विजयी नहीं हुआ है, किन्तु पार्टी का जनाधार का दावा है. सीटें छोड़ने पर यहां कांग्रेस सीमित हो जाने का भी डर बताया जा रहा.
कांग्रेस की आगामी चुनाव के संदर्भ में बैठक हुई. जिसमें प्रत्येक सीट का सिंहावलोकन प्रस्तुत किया गया. उस पर पदाधिकारियों ने चर्चा की. पटोले ने कहा कि पहले पार्टी अपने नेताओं में चर्चा कर लेगी, उसके बाद मित्र दलों हेतु छोड़े जाने वाले निर्वाचन क्षेत्र का फैसला होगा. विदर्भ में लोकसभा के दस आसन है. चंद्रपुर में कांग्रेस पिछली बार विजयी रही थी. ऐसे ही नागपुर जिले के रामटेक क्षेत्र पर अनेक वर्षों से शिवसेना का कब्जा है. आघाड़ी होने पर भी उबाठा सेना रामटेक पर दावा आसानी ने नहीं छोड़ेगी. ऐसी ही परिस्थिति वाशिम-यवतमाल और बुलढाणा सीट को लेकर है.
भंडारा-गोंदिया सीट पर राकांपा ने पहले ही दावा कर रखा है. अमरावती में नवनीत राणा पिछली बार राकांपा समर्थित प्रत्याशी थी. इस बार वे भाजपा के करीब चली गई हैं. राजकीय समीकरण और पिछले चुनाव परिणामों को देखते हुए लगता है कि विदर्भ में आधी सीटें कांग्रेस को मित्र पक्षों के लिए छोड़नी पड़ सकती है. विदर्भ कांग्रेस का गढ़ रहा है. स्नातक और अध्यापक विधान परिषद चुनाव में यह बात सिद्ध हो चुकी है. इससे यह देखना दिलचस्प होगा कि कांग्रेस कौन से स्थान अपने साथीदलों को देती है?