शिक्षक बैंक को नागरी बैंक बनाने का चल रहा षडयंत्र
5 विपक्षी संचालकों ने पत्रवार्ता में लगाये आरोप
* अविश्वास प्रस्ताव को बताया लोकतंत्र की हत्या
अमरावती /दि.5- जिला परिषद शिक्षक सहकारी बैंक वेतनभोगी शिक्षक कर्मचारियों की बैंक है. जिसे नागरी सहकारी बैंक में तब्दिल करने का षडयंत्र बैंक के मौजूदा सत्ताधारी संचालकों द्वारा रचा जा रहा है. जिसके खिलाफ आवाज उठाने पर और इसे लेकर बैंक के सदस्यों को जागरुक किये जाने पर बैंक के सत्ताधारी दल ने अपने पास रहने वाले संख्या बल का दुरुपयोग करते हुए 5 विपक्षी संचालकों के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव पारित कर उन्हें संचालक मंडल से भी बाहर कर दिया. यह सीधे-सीधे विपक्ष का गला घोटने और लोकतंत्र की हत्या करने जैसा कदम है. इस आशय का आरोप शिक्षक सहकारी बैंक के संचालक मंडल से बाहर किये गये प्रभाकर झोड, मंगेश खिरडे, गौरव काले, संजय नागे व मनोज चोरपगार द्वारा लगाया गया.
यहां बुलाई गई पत्रवार्ता में इन पांचों निलंबित सांसदों द्वारा बताया गया कि, सेवा निवृत्त सभासदों को लेकर बैंक के संचालक मंडल द्वारा सदस्यों के बीच गलत जानकारी फैलाई जा रही है. क्योंकि बैंक के अध्यक्ष व 2 संचालक शिक्षक पद से सेवानिवृत्त हो चुके है और नियमानुसार सेवानिवृत्त सभासदों को बैंक में मतदान करने व चुनाव लडने का अधिकार नहीं होता, बल्कि वे बैंक में निधि रखने व तमाम आर्थिक व्यवहार करने के अधिकारी होते है. ऐसे में अपने पद को बचाये रखने हेतु संचालक मंडल द्वारा सेवा निवृत्त सदस्यों को चुनाव नहीं लडने देने पर बैंक का 60 करोड रुपयों का नुकसान होने का झूठ फैलाया जा रहा है. साथ ही वेतनभोगी कर्मचारियों की इस बैंक को नागरी सहकारी बैंक बताने का प्रयास किया जा रहा है. इस पत्रवार्ता में यह भी कहा गया कि, जिन 5 संचालकों को बैंक के सत्ताधारी दल ने अपनी ताकत का प्रयोग करते हुए अविश्वास प्रस्ताव पारित कर बैंक से बाहर कर दिया है. उन पांचों संचालकों का विविध संगठनों व सामाजिक क्षेत्र में काफी बडा योगदान है और उन्हें बैंक के सदस्यों ने बडे विश्वास के साथ लोकतांत्रिक तरीके से संचालक चुना था. ऐसे में इन पांचों संचालकों को संचालक मंडल से बाहर करते हुए बैंक के सत्ताधारी दल ने बैंक के मतदाता सदस्यों का भी अपमान किया है.
इसके अलावा इस पत्रवार्ता में यह आरोप भी लगाया गया कि, अविश्वास प्रस्ताव पारित करने के लिए बैंक के 16 संचालकों द्वारा उपस्थित की गई 6 वजहें बेहद हास्यास्पद है. साथ ही बैंक सत्ताधारी दल द्वारा बडे पैमाने पर बैंक में आर्थिक गडबडियां की जा रही है. जिसके खिलाफ आवाज उठाने पर 6 हास्यास्पद वजहों को आगे करते हुए बैंक के पांचों संचालकों के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव पारित किया गया. इस पत्रवार्ता में पांचों संचालकों सहित किरण पाटिल, नीलकंठ यावले, गजानन चौधरी, सुभाष सहारे, प्रमोद ठाकरे, समीर चौधरी, ऋषिकेश कोकाटे, गजानन कलंबे, संदीप देशमुख, नामदेव ठाकरे, नामदेव मेटांगे, प्रज्वल घोम, रविकिरण सदांशिव, चंद्रशेखर रामटेके, विनोद वानखेडे व सतीश नांदणे आदि उपस्थित थे.