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अब दस वर्षों से कार्यरत कर्मियों को निलंबित करने का षडयंत्र

पात्र कर्मियों को आंख दिखाई-अपात्र को कुर्सी दिलवाई!

  • तीन कर्मियों को जबरन सस्पेंड किया

  • रोजंदारी कर्मियों का संघर्ष है जारी

  • कृषि उत्पन्न बाजार समिति पद घोटाला

परतवाडा/अचलपुर प्रतिनिधि/दि.२७ – विगत दस वर्षों से कृषि उत्पन्न बाजार समिति में कार्यरत दस रोजंदारी कर्मचारियों को स्थायी नियुक्ति न देकर 14 बाहरी उम्मीदवारों को स्थायी नियुक्ति देकर घोर अन्याय कर चुके कृषि उत्पन्न बाजार समिति प्रशासन और संचालक मंडल के खिलाफ अब दिहाडी कर्मियों के संघर्ष ने भी गति पकड ली है. गौरतलब यह भी है कुल 17 पद भर्ती के लिए उच्च न्यायालय से कृषि मंडी को सशर्त अनुमति मिली है. उस अनुसार यदि औद्योगिक न्यायालय का निर्णय दस रोजंदारी कर्मियों के पक्ष में घोषित होंता है तो उस सूरत में इन सभी को स्थायी सेवा में शामिल करना होंगा. कृषि मंडी ने इस आशय का प्रतिज्ञापत्र उच्चन्यायालय में देने के बाद ही नई पद नियुक्ति की अनुमति मिली है. कुल 17 में से 14 पदों पर स्थायी नियुक्ति दी जा चुकी.अब यदि ओद्योगिक न्यायालय का निर्णय दिहा?ी कर्मियो के बाजू से घोषित होता है तो फिर इन्हें कौन से पद पर नियुक्ति देंगे. इसकी चिंता कृषि मंडी को सताने लगी है. सो, अब मनमाफिक कारण बताकर रोजंदारी कर्मचारियो को तंग किया जा रहा. बिना किसी गलती के दिहाडी कर्मियों को इतना ज्यादा सता रहे कि वो जोश में आकर अपना काम छोडकर चला जाये.
कृषि मंडी के किसान प्रेमी अन्नदाताओं द्वारा बनावटी, फर्जी कारण बताकर कर्मियों को निलंबित करने का सुनियोजित षडयंत्र रचा जा रहा. एक साथ पूरे दस दिहाडी कर्मियों को हटा देंगे, तो कृषि मंडी की भूमिका पर हर कोई शक करेंगा. इसलिये धीरे-धीरे, टप्पे-टप्पे में इन दिहाडियों को बाहर निकाल फेकने की साजिश की जा रही है. इसकी शुरुआत भी कर दी गई. पहले चक्कर में रोजंदारी कर्मियों का नेतृत्व करते अविनाश कडू, राहुल अतकरे, दादाराव खलोकार को कारण बताओ नोटिस जारी किया गया. ये तीनो भी अपना कारण बताते उसके पूर्व ही इनके निलंबन का आदेश भी जारी हो गया. अब इनकी विभागीय जांच का फरमान दिया गया, जो आल इंडिया में आज तक कहीं नही हुआ, वो अब कृषि मंडी में होंगा. आज तक किसी भी सरकारी, अर्ध सरकारी अथवा सहकारी विभाग में दिहाडी कर्मचारी के खिलाफ विभागीय जांच करने का आदेश देखने-सुनने को नही मिला है, लेकिन ये अजूबा करने का श्रेय कृषि मंडी अचलपुर को दिया जा सकता. जो जांच कानूनन रोजंदारी कर्मी को लागू ही नही होती. उस विभागीय जांच को कृषि मंडी करने जा रही.
कृषि मंडी के अन्नदाताओं की इस मनमानी व तानाशाही के खिलाफ अब सभी दस दिहाडी कर्मियों ने भी कमर कस ली है. ये सभी अब औद्योगिक न्यायालय की शरण में जाने की तैयारी कर चुके. इससे नवनियुक्त 14 स्थायी कर्मियों की नियुक्ति पर भी प्रश्नचिन्ह लग चुका. ये सभी 14 कोई फुकट में नही लगे बल्कि अपनी ज्ञान का अमूल्य भुगतान करने पर इन्हें कृषि मंडी ने नियुक्ति दी.
कृषि मंडी में पिछले 36 सौ दिनों से लगातार कार्यरत अविनाश कडू, दादाराव खलोकार, दुर्गेश अग्रवाल, नितिन पिंपलदे, उमेश माहोरे, सत्यनारायण दीक्षित, दिलीप पातालवंशी, शिवराज कडू, राहुल अतकरे, सचिन जवंजाल इन सभी ने अनेक मर्तबा कृषि मंडी को स्थायी सेवा में शामिल करने ध्यान आकर्षित किया, किंतु कभी सुनवाई नहीं हुई. रिक्त पदों पर स्थायी नियुक्ति देने के लिए दो-चार दफे ये सभी तेज तर्रार भूमिका में भी सामने आए फिर भी किसी ने इन्हें परमनेंट करने की सिफारिश तक नही की. यदि इन दस को परमनेंट कर देंगे तो फिर थाली में नमक कैसे आयेगा..? यह सोचकर पणन महासंघ पूना से नई पद नियुक्ति के लिए अनुमति ली गई. रोजंदारी कर्मियों ने इस भर्ती प्रक्रिया के खिलाफ भी उच्च न्यायालय में गुहार लगाई है. औद्योगिक न्यायालय में पहले से ही दाखिल केस भी निर्णायक मोड में है.

  • निलंबन का गवाह चारसौबीसी के जाल में

तीन कर्मचारियो को सस्पेंड करते समय सचिव ने उन पर आरोप लगाकर मामला दर्ज किया. इस फर्जी निलंबन केस में पुख्ता गवाह सहायक सचिव मंगेश भेटालू है. भेटालू खुद इन दिनों फरारी में चल रहे. रोजंदारी कर्मचारी इस मुद्दे को भी न्यायालय में रखने जा रहे है.
किसी भी रोजंदारी कर्मचारी की विभागीय जांच नहीं की जा सकती. इसके लिए कर्मचारी का स्थायी सेवक होना अनिवार्य है. उसकी सेवा पुस्तक होना भी जरूरी माना जाता. इस कारण कृषि मंडी द्वारा शुरू की गई कार्यालयीन जांच और इसके लिए आर्थिक प्रावधान कर नियुक्त की गई जांच समिति आदि ड्रामा ही कॉमेडी सर्कस समान हास्यास्पद दिखाई दे रहा.

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