60 मेगावैट से 120 मेगावैट तक पहुंची खपत
बिजली खंडित होने की वजह छोटी-मोटी
* अमेरीका, जापान भी दावा नहीं कर सकता कि बिजली नहीं जाएगी
* कार्यकारी अभियंता आनंद काटकर का स्पष्ट कहना
अमरावती/दि.11- 60-62 मेगावैट की खपत दोगुनी होकर 120 मेगावैट तक पहुंच जाने के बावजूद शहर को पर्याप्त बिजली सप्लाई की जा रही है. विभिन्न भागों में आपूर्ति खंडित होने का कारण लोकल इशू है. जिसे महावितरण बराबर निपट रही है. अमरावती में सप्लाई जारी रखने के लिए हमारे सभी अभियंता, कनिष्ठ अभियंता, अतिरिक्त कार्यकारी अभियंता के साथ लगभग 400 लोगों का स्टाफ तत्पर रहने का दावा कार्यकारी अभियंता आनंद काटकर ने आज दोपहर अमरावती मंडल से बातचीत में किया. छुट्टी के बावजूद महावितरण कर्मी काम में लगे होने का दावा कर काटकर ने स्पष्ट कर दिया कि, कंपनी के पास साधन सामग्री की कोई कमी नहीं है. लोड बढने के बावजूद सप्लाई निरंतर बनाये रखने पर जोर दिया जा रहा है.
* छोटी-मोटी खराबी
काटकर ने बताया कि, शहर में अंधड तूफान और बेमौसम बारिश के कारण बिजली गुल होने की शिकायत गलत है. दरअसल कही कोई पेड धराशाही हो जाये और वह बिजली की हाईटेंशन लाइन को तोड दे, तो सप्लाई में बाधा आएगी ही. कई भागों में छोटी-मोटी खराबी के कारण बिजली चली जाती है. इंसूलेटर गर्म हो जाते है, उस पर थोडी बारिश आ जाये, तो वह काम करना बंद कर देता है. ट्रान्सफार्मर, फीडर पर लोड बढ जाता है. बहुत सारे कारण हैं, उसे हमारे इंजिनियर्स और कर्मचारी जितना हो सके, उतनी जल्दी पूर्ववत कर रहे हैं.
* बढी खपत, फिर भी भरपूर उर्जा
आनंद काटकर ने बताया कि, जनवरी की शहर की खपत 60-62 मेगावैट थी. पिछले वर्ष अप्रैल-मई में यह खपत 80-85 मेगावैट तक पहुंची थी. इस साल और बढकर 110-120 मेगावैट हो गई है. साफ है कि, कहीं-कहीं फीडर और फेज के इशू हो जाते हैं. लोड बढ जाने से ट्रीप हो जाती है. उसे ठीक किया जाता है. अमरावती के लिए भरपूर बिजली उपलब्ध होने का दावा भी कार्यकारी अभियंता ने किया.
* स्टाफ, साधन भरपूर
आनंद काटकर ने महावितरण के पास स्टाफ और साधन सामग्री की कमी के आरोप को ठुकराया. उन्होंने कहा कि, कर्मचारी घर समान सामग्री का उपयोग नहीं कर पाते. प्रतिवर्ष उन्हें सेफ्टी बिल्ट, टॉर्च वगैरह समय पर बराबर दिये जाते हैं. इस बार भी ट्रेंडर प्रक्रिया कर सामग्री पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध कराई जा रही है. उन्होंने एक प्रश्न के उत्तर में यह भी कहा कि, पूरे शहर की एक साथ बिजली नहीं गई.
* 2500 में से कोई डीपी खराब नहीं
कार्यकारी अभियंता ने जानकारी देते हुए बताया कि, अमरावती की बिजली सप्लाई निरंतर रखने बराबर सभी कर्मचारी, अभियंता तत्पर है. 19 सेंटर पर कर्मचारी जुटे हैं. स्टाफ की कमी नहीं है. शहरभर में लगी ढाई हजार डीपी भी दुरुस्त है. लोड बढने से कहीं-कहीं फॉल्ट आ जाता है. उसे जितनी जल्दी हो सके दूर किया जा रहा है. उन्होंने दोहराया कि, नैशनल ग्रीड से बिजली अमरावती ले सकता है, ले रहा है. शहरवासियों पर घरेलू उपयोग के 23 करोड रुपए बकाया रहने के बावजूद वसूली काम रोककर सुचारु सप्लाई पर ध्यान दिये जाने का दावा आनंद काटकर ने किया.
* जापान, अमेरिका भी दावा नहीं कर सकता
इंजिनियर काटकर के अनुसार लोकल इशु कई तरह के होते हैं. कभी पेड की टहनी से लाइन खंडित होती है. कहीं जेसीबी से कोई लाइन तोड देता है. भार बढ जाता है, ऐसी समस्याएं सब जगह हो सकती है. इस बार बेमौसम बारिश और अंधड ने भी दिक्कतें पैदा की है. काटकर ने कहा कि, अमेरिका और जापान भी दावा नहीं कर सकते कि, बिजली खंडित नहीं हो सकती. महावितरण अपने उपभोक्ताओं को निरंतर बिजली आपूर्ति सुनिश्चित करता आ रहा है. राजनेताओं के दबाव-प्रभाव की बात उन्होंने खारिज की. बारिश के सीजन हेतु नियोजन बराबर किया जा रहा है.
* कर्मचारी जान हथेली पर लेकर जुटे
एमएसई वर्कर्स फेडरेशन के सर्कल सचिव अमोल काकडे ने दावा किया कि, कर्मचारी अपने जान हथेली पर लेकर रात-बेरात और दिन में 43-44 डिग्री तापमान में काम कर रहे है. बिजली सप्लाई बराबर रखने का उनका प्रयत्न है. गत 2 वर्षों से कर्मचारियों को सुरक्षा साधन उपलब्ध नहीं करवाने का आरोप काकडे ने लगाया. उन्होंने दावा किया कि, कंपनी के ढूलमूल काम के कारण कर्मचारी प्रचंड मानसिक तनाव में काम कर रहे हैं.
* राजनेता हाथ पर हाथ धरे बैठे, कोरी पत्रकबाजी
अंबानगरी का प्रत्येक एरिया बारिश के सीजन शुरु होने से पहले ही बार-बार बिजली खंडित होने की भारी समस्या से जूझ रहा है. राजनेता खामोश बैठे हैं. कोई छोटे-मोटे संगठन पत्रकबाजी से काम चला रहे हैं. बिजली खंडित होती है, तो घंटोें नहीं आती. लोग परेशान हो रहे हैं. कई लोगों के व्यवसाय बिजली पर ही आधारित है. उनका कामकाज प्रभावित होकर आर्थिक नियोजन गडबडा रहा है. शहर की विधायक ने पत्रक जारी कर बिजली कंपनी के अधिकारियों को सप्लाई सुचारु रखने का निर्देश देकर कर्तव्य की इतिश्री कर ली. उसी प्रकार बाघ का चिन्ह लगाकर सेना होने का दावा करने वाले भी आंदोलन की स्टाइल भूल गये है. पत्रक देकर मुस्कुराते हुए फोटो खींचकर मीडिया को भेज रहे हैं. अब तो उनके पास सोशल मीडिया पर फोटो अपलोड करने और अपने हाथ से अपनी पीठ थपथपाने के भी पर्याय उपलब्ध है. जिसका भरपूर उपयोग वह कर रहे हैं.