खेल सामग्री विक्रेताओं पर भी कोरोना का साया
शालेय व कनिष्ठ महाविद्यालय स्तर की हजारों स्पर्धाएं रद्द
अमरावती/प्रतिनिधि दि.22 – कोरोना महामारी ने हरएक क्षेत्र को प्रभावित किया है. इस महामारी का सबसे ज्यादा असर खेल स्पर्धाओं के साथ ही खेल सामग्री विक्रेताओं पर भी हुआ है. खेल सामग्री विक्रेताओं की दूकानें बंद रहने से वे भी परेशानियों से जूझ रहे हैं.वहीं शालेय व कनिष्ठ महाविद्यालय स्तर की हजारों स्पर्धाएं रद्द होने से खिलाड़ियों की प्रैक्टिस पर भी असर हुआ है. शालेय व कनिष्ठ महाविद्यालय स्तर की हजारों से अधिक स्पर्धाएं रद्द होने से खिलाड़ियों को विभाग से लेकर राष्ट्रीय स्तर तक चमकने का मौका छीन गया है. 3 लाख से अधिक खिलाड़ियों की उम्मीदों के दो साल बर्बाद हो गये हैं.
यहां बता दें कि बीते वर्ष कोरोना विपदा के चलते गत 24 मार्च को लॉकडाउन की घोषणा की गई. संक्रमण कम होने के बाद अनेक क्षेत्रों में छूट दी गई. लेकिन इसमें भी खेल क्षेत्रों को अलग रखा गया. गत जनवरी माह से कुछ खिलाड़ियों ने प्रैक्टिस शुरु की. क्रीड़ा विकास पटरी पर लौटते समय ही फिर से मार्च माह में कोरोना की दूसरी लहर आयी और खेल क्षेत्र की उम्मीदें तोड़ दी. अमरावती संभाग में तकरीबन 1 हजार से अधिक स्पर्धाएं रद्द हुई है. जिसका सीधा असर 2 लाख 83 हजार खिलाड़ियों पर हुआ है. खेल स्पर्धाएं रद्द होने और प्रैक्टिस भी बंद होने से खेल प्रशिक्षकों की भी मूसीबतें बढ़ी है. हालात यह है कि अमरावती संभाग के 2 लाख 83 हजार खिलाड़ी खेल स्पर्धाओं से वंचित है. इनमें अमरावती के 63 हजार, अकोला के 45 हजार, बुलढाणा 49 हजार, वाशिम 32 हजार, यवतमाल के 54 हजार खिलाड़ियों का समावेश है.
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खेल सामग्री विक्रेताओं की भी बढ़ी दिक्कतें
शहर में खेल सामग्री विक्रेताओं की छोटी-बड़ी दूकानें है. यहीं नहीं तो सड़क किनारे लकड़ी के बल्ले, बेट बनाकर बेचने वाले भी नजर आते हैं. लेकिन लॉकडाउन के चलते ये दूकानें बंद है. खिलाड़ियों की प्रैक्टिस का सिलसिला थम जाने से कोई भी सड़क किनारे बेट-बल्ला बेचने के लिये बैठे कारिगरों के पास नहीं जा रहे हैं. जिसके चलते उन पर भी भूखमरी की नौबत आन पड़ी है.