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कोरोना व लॉकडाउन का रंगोली व्यवसाय पर असर नहीं

  •  मार्केट में सजी है रंगोली की दुकाने, रंगोली के दाम पहले की तरह स्थिर

  • पर्व व त्यौहारों पर जमकर हो रही बिक्री

अमरावती/प्रतिनिधि दि.3 –   सनातनी हिंदू परंपरा में सभी तरह के पर्व व त्यौहारों सहित मांगलिक प्रसंगों पर रंगोली का अपना महत्व है और ऐसे अवसरों पर विभिन्न तरह के रंगोवाली रंगोलियों से घर के मुख्य प्रवेश द्वारा व आंगन में आकर्षक साज-सज्जा की जाती है. जिसकी वजह से त्यौहारों के सीझन में रंगोली की जमकर बिक्री होती है और विभिन्न रंगोंवाली रंगोली की काफी मांग रहती है. इस बात के मद्देनजर दशहरा व दीवाली जैसे पर्वों के चलते नवरात्र के समय से ही बाजार में रंगोली की दूकाने सजनी शुरू हो जाती है. जहां पर एक से बढकर एक आकर्षक रंगोवाली रंगोली बिक्री हेतु उपलब्ध करायी जाती है. इस बार यद्यपि कोरोना संक्रमण एवं लॉकडाउन की वजह से सभी पर्वों व त्यौहारों की चमक व भव्यता कुछ हद तक फिके पडे है, लेकिन इस दौर में भी रंगोली ने अपना महत्व नहीं खोया और सभी पर्व व त्यौहारों पर लोगों के घर-आंगन में रंगोली से की गई साज-सज्जा पहले की तरह ही दिखाई दी. इसमें भी सर्वाधिक उल्लेखनीय बात यह है कि, कोरोना और लॉकडाउन का रंगोली की बिक्री और रंगोली के दामों पर कोई असर नहीं पडा है. जहां एक ओर रंगोली की बिक्री बदस्तूर जारी है, वहीं दूसरी ओर रंगोली के दाम पहले की तरह स्थिर है.
बता दें कि, शहर में अंबादेवी मंदिर के पास गांधी चौक परिसर में रंगोली की कई स्थायी दुकाने है. साथ ही साथ इस परिसर सहित शहर के विभिन्न इलाकों में रंगोली की अस्थायी दुकाने भी लगती है और कई फूटकर विक्रेता हाथठेले पर रंगोली लेकर शहर के विभिन्न रिहायशी इलाकों में फेरी लगाते है. इन सभी विक्रेताओं द्वारा पहले भी 10 रूपये में 200 ग्राम की दर से रंगोली बेची जा रही थी और आज भी इसी दर पर रंगोली की बिक्री की जा रही है. जिनकी सभी घरों की महिलाओं द्वारा के हिसाब से जमकर खरीददारी की जा रही है.

रंगोली के सांचे व रंगोली पेन की भी जबर्दस्त बिक्री

जहां एक ओर कई महिलाओं द्वारा अपने हाथों से आकर्षक आकार-प्रकार वाली रंगोली बनायी जाती है, जिसके तहत हथेलियों की चिमटी में रंगोली लेकर उससे आकर्षक चित्र व डिजाईन साकार किये जाते है. वहीं इन दिनों बाजार में आकर्षक नकाशीवाले रंगोली के सांचे भी उपलब्ध है. साथ ही चिमटी में भरकर रंगोली निकालने में होनेवाली दिक्कत को दूर करने के लिए रंगोली पेन भी बिक्री के लिए उपलब्ध है. जिसमें रंगोली भरकर आकर्षक डिजाईन बनायी जा सकती है. इसके साथ-साथ त्यौहारों एवं मांगलिक पर्वों के अवसर पर घरों के दरवाजों पर माता के पगचिन्ह बनाने की भी परंपरा है. ऐसे में माता के पगचिन्ह के रेडिमेड सांचे भी बाजार में बिक्री हेतु उपलब्ध कराये गये है. साथ ही साथ कई देवी-देवताओं की प्रतिमाओंवाले सांचे भी बिक्री हेतु उपलब्ध है. जिनकी 5 रूपये से लेकर 100 रूपये तक बिक्री होती है. इसके अलावा इन दिनों रंगोली को आकर्षक रूप प्रदान करने के लिए विभिन्न तरह के स्टिकर भी बाजार में उपलब्ध है. जिन्हें महिलाओं द्वारा जमकर प्रसन्न किया जा रहा है.

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