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कोरोना मृतकों के आंकडे में अब भी नहीं जम रहा तालमेल

प्रशासन एवं श्मशान भूमि के आकडे सुना रहे अलग-अलग कहानी

अमरावती प्रतिनिधि/दि.११ – गत रोज बुधवार 10 मार्च को जिला प्रशासन द्वारा 6 कोरोना संक्रमितों की मौत होने की जानकारी दी गई. वहीं इससे पहले 9 मार्च को केवल 3 कोविड संक्रमितों की मौत हुई थी. लेकिन हैरत और कमाल की बात यह है कि, केवल बुधवार को अकेले हिंदू श्मशान भूमि में ही 17 कोविड संक्रमित मरीजोें के पार्थिव शरीरों का अंतिम संस्कार किया गया. ऐसे में सबसे बडा सवाल यह है कि, जब दो दिनों के दौरान 9 लोगों की ही कोविड संक्रमण के चलते मौत हुई, तो अकेले बुधवार को ही हिंदू श्मशान भूमि में कोविड संक्रमितों के 17 शव कैसे पहुंचे?
उल्लेखनीय है कि, विगत अनेक दिनों से प्रशासन द्वारा कोविड संक्रमितों की मौत को लेकर जारी किये जानेवाले आंकडों और हिंदू श्मशान भूमि में होनेवाले कोविड संक्रमितों के अंतिम संस्कार के आंकडों में फर्क देखा जा रहा है. जिसे लेकर इससे पहले भी खबरें प्रकाशित की जा चुकी है. किंतु इस संदर्भ में प्रशासन द्वारा स्पष्टीकरण दिया गया था कि, कोविड संक्रमितों के साथ-साथ सारी संक्रमित मरीजों के भी शव बॉडी बैग में भरकर भेजे जाते है. साथ ही इन दिनों कई पोस्ट कोविड मरीजों की भी मौत हुई है. जिन्हें हिंदू श्मशान भूमि द्वारा कोविड संक्रमण की वजह से हुई मृत्यु माना जाता है. ऐसे में बीते दिनों हिंदू श्मशान भूमि से विस्तृत जानकारी हासिल करते हुए कोरोना सहित सारी व निमोनिया की वजह से मृत हुए मरीजों के अंतिम संस्कार के अलग-अलग आंकडे हासिल किये गये. इसके बाद भी 1 फरवरी से 8 मार्च के दौरान कोविड संक्रमितों की मृत्यु व अंतिम संस्कार के आंकडों में करीबन 76 की संख्या का फर्क देखा गया. वहीं गत रोज जहां जिला प्रशासन ने पिछले 24 घंटे के दौरान केवल 6 कोविड संक्रमितों की मृत्यु होने की जानकारी दी. वहीं बुधवार को सुबह 8 से देर रात तक कुल 26 शवों पर अंतिम संस्कार किया गया था. जिसमें से 17 शव कोविड संक्रमण की वजह से मृत हुए लोगों के थे. इनमें 9 पुरूष व 8 महिलाओं का समावेश था. ऐसे में सबसे बडा सवाल यह है कि, यदि बुधवार को 24 घंटे के दौरान केवल 6 कोरोना संक्रमितों की ही मौत हुई, तो हिंदू श्मशान भूमि में 17 कोविड मृतकों के शव कैसे पहुंचे. इस विषय को लेकर प्रशासन द्वारा हमेशा ही यह दलील दी जाती है कि, कई बार कोरोना संक्रमण की वजह से मृत होनेवाले लोगों के आंकडे कुछ तकनीकी दिक्कतों के चलते दूसरे दिन घोषित किये जाते. वहीं जिन मरीजों की मौत देर रात होती है, उनके शवों का अंतिम संस्कार दूसरे दिन करवाया जाता है. जिसकी वजह से आंकडों में फर्क आ सकता है. यदि इस लिहाज से भी हिसाब लगाया जाये, तो प्रशासन का तर्क खारिज हो जाता है, क्योंकि विगत 8 मार्च को 7, 9 मार्च को 3 और 10 मार्च को 6 कोरोना संक्रमितों की मौत होने की जानकारी प्रशासन द्वारा दी गई. यानी प्रशासन के मुताबिक विगत तीन दिनों में 16 कोविड संक्रमितों की इलाज के दौरान अलग-अलग कोविड अस्पतालों में मौत हुई. वहीं दूसरी ओर इन तीनों दिनों के दौरान हिंदू श्मशान भूमि में रोजाना ही कोविड संक्रमित मरीजों के अंतिम संस्कार का सिलसिला चल रहा था और अकेले बुधवार को ही 17 कोविड संक्रमितों के पार्थिव शरीरों का अंतिम संस्कार हुआ. ऐसे में सबसे बडा सवाल यह है कि, जब पिछले दो दिनों के दौरान केवल 10 लोगों की कोविड संक्रमण के चलते मौत हुई, तो बुधवार को एक ही दिन के दौरान 17 कोविड संक्रमितों के शवों का हिंदू मोक्षधाम में अंतिम संस्कार कैसे हुआ.
यहा विशेष उल्लेखनीय है कि, इससे पहले जनवरी व फरवरी माह के दौरान मृतक संख्या में फर्क दिखाई देने पर प्रशासन द्वारा कुछ शव सारी संक्रमित मरीजों के रहने की बात कही गयी थी. किंतु सारी सहित निमोनिया से होनेवाली मौतों का आंकडा जोडने के बाद भी आंकडों में आपसी तालमेल नहीं बैठ रहा. ऐसे में अब प्रशासन को चाहिए कि, पूरे मामले को लेकर वस्तुस्थिति को पूरी तरह से स्पष्ट किया जाये. क्योंकि अब आंकडों में दिखाई देनेवाला फर्क प्रशासन की पारदर्शिता पर सवालिया निशान लगाने लगा है.

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