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ठेके पर नियुक्त कोरोना योध्दा हटाये जायेंगे काम पर से

  • कोरोना संक्रमण की रफ्तार सुस्त होते ही प्रशासन ने लिया निर्णय

  • कई ठेका कर्मियोें का करार हो चुका है खत्म

  • प्रशासन फिलहाल नूतनीकरण के मूड में नहीं

अमरावती/प्रतिनिधि दि.२१  – अमरावती जिले में जब कोरोना संक्रमण बडी तेज रफ्तार से फैल रहा था, तो हालात को संभालने के साथ ही सरकारी कोविड अस्पताल सहित कोविड हेल्थ केयर सेंटरों में मरीजों की सेवा व देखभाल के लिए राष्ट्रीय स्वास्थ्य अभियान अंतर्गत जिला एकात्मिक स्वास्थ्य व परिवार कल्याण सोसायटी द्वारा ठेका पध्दति पर तीन माह के लिए कई स्वास्थ्य अधिकारियों व कर्मचारियों की नियुक्ती की गई थी. जिनमें से अब अधिकांश लोगों की करार अवधि खत्म होती आयी है. वहीं दूसरी ओर इस समय कोरोना संक्रमण की रफ्तार भी सुस्त हो गयी है और कोविड अस्पतालों में भरती रहनेवाले मरीजों की संख्या भी घट गयी है. जिसके चलते जिला शल्य चिकित्सक कार्यालय द्वारा ठेका करार की अवधि पूर्ण करनेवाले स्वास्थ्य अधिकारी व कर्मचारियों को तुरंत प्रभाव से कार्यमुक्त करने का आदेश जारी किया गया है. इस संदर्भ में जिला शल्य चिकित्सक डॉ. श्यामसुंदर निकम के हस्ताक्षर से जारी किये गये पत्र में कहा गया कि, कोविड-१९ अंतर्गत ठेका पध्दति पर नियुक्त किये गये स्वास्थ्य अधिकारियों एवं तृतीय व चतुर्थ श्रेणी कर्मचारियों के नियुक्ती आदेश में स्पष्ट तौर पर कहा गया था कि, नियमों व शर्तों के अनुसार यह नियुक्ती ठेका पध्दति पर केवल तीन माह के लिए है और तीन माह पश्चात यह नियुक्ती अपने आप खत्म हो जायेगी. ऐसे में जिन ठेका कर्मियों की सेवा के तीन माह पूर्ण हो चुके है, उनका करार अपने आप ही खत्म हो गया है. अत: ऐसे कर्मचारियों को त्वरित प्रभाव से कार्यमुक्त किया जाये और संबंधित कोविड अस्पतालों व कोविड हेल्थ केयर सेंटरोें द्वारा कार्यमुक्त किये गये ठेका कर्मियों की सूची जिलाशल्य चिकित्सक कार्यालय में पेश की जाये.

ठेका कर्मियों में जबर्दस्त रोष व संताप

जिला शल्य चिकित्सक कार्यालय द्वारा ठेका पध्दति के जरिये अस्थायी तौर पर नियुक्त कर्मचारियों को तुरंत प्रभाव से सेवा मुक्त किये जाने का आदेश जारी होने की जानकारी मिलते ही सुपर स्पेशालीटी व पीडीएमसी के सरकारी कोविड अस्पतालों तथा विविध सरकारी कोविड हेल्थ केयर सेंटरों में काम कर रहे ठेका नियुक्त अधिकारियों व कर्मचारियों में कुछ हद तक रोष व संताप की लहर देखी जा रही है. इन लोगों का कहना है कि, यद्यपि उन्हें तीन माह की अवधि के लिए ही ठेके पर नियुक्त किया गया था, qकतु वे विगत मार्च माह से यानी आठ महिनों से पूरे समर्पित भाव के साथ अपनी सेवाएं दे रहे है और इस दौरान उन्होंने अपने प्राणों की परवाह किये बिना कोरोना संक्रमित मरीजोें को अपनी सेवाएं प्रदान की. ऐसे में उन्हेें उम्मीद थी कि, चूंकि अभी कोरोना का संक्रमण पूरी तरह से खत्म नहीं हुआ है. अत: इस बार भी उनकी सेवा एवं करार को समयावृध्दि मिलेगी. साथ ही उनकी समर्पित सेवा को देखते हुए सरकार एवं प्रशासन द्वारा उन्हें नियमित सेवा में शामिल करने पर विचार किया जायेगा, किंतु स्वास्थ्य महकमे ने अपनी जरूरत निकल जाने पर उन्हेें एक झटके के साथ दूध में पडी मख्खी की तरह बाहर निकालने का फैसला किया है. जिससे उन्हें काफी हद तक मायूसी हुई है. यदि राष्ट्रहित में सेवा हेतु तत्पर रहनेवाले लोगोें के साथ सरकार एवं प्रशासन का यहीं रवैय्या रहता है, तो भविष्य में कोई भी ऐसे समय सेवा देने हेतु आगे नहीं आयेगा. ऐसा भी कई अस्थायी स्वास्थ्य अधिकारियों व कर्मचारियों का कहना रहा.

 

सारी बातें और शर्तें पहले से ही तय थी

इस संदर्भ में प्रतिक्रिया हेतु संपर्क किये जाने पर जिलाधीश शैलेश नवाल का कहना रहा कि, कोरोना काल के दौरान जितने भी लोगों को ठेका पध्दति से सेवा में लिया गया, उन्हें पहले ही इस बात से अवगत करा दिया गया था कि, करार अवधि खत्म हो जाने के बाद उनकी सेवाएं खुद ही समाप्त हो जायेगी. इस समय कोरोना संक्रमण की रफ्तार पहले की तुलना में काफी कम हो गयी है और कोविड अस्पतालों में मरीजों की संख्या भी घट गयी है. ऐसे में बिना वजह भारीभरकम मेडिकल स्टाफ रखने का कोई टूक नहीं है. यदि भविष्य में जरूरत पडती है, तो इन लोगों की दुबारा ठेका पध्दति पर नियुक्ती करते हुए उनकी सेवाएं प्राप्त की जायेगी.

 

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यह करार खत्म करने का सही वक्त नहीं

वहीं दूसरी ओर जिले की सांसद नवनीत राणा का इस मामले में कहना रहा कि, केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय तथा विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा आगामी नवंबर, दिसंबर माह में कोरोना का संक्रमण बढने और सेकंड वेव आने का अंदेशा जताया गया है. जिसके लिए पहले से ही तमाम आवश्यक तैयारियां चुस्त-दुरूस्त व मुस्तैद रहनी चाहिए. ऐसे में जिन लोगोें के पास कोविड अस्पतालों में काम करने का सात-आठ माह का अनुभव है, उन्हें इस समय कार्यमुक्त नहीं किया जाना चाहिए, बल्कि इस बारे में दिसंबर के बाद विचार किया जाना चाहिए. यदि इन अनुभवी कोविड कर्मियों को सेवामुक्त कर दिया जाता है और इसके बाद दुबारा कोरोना का संक्रमण फैलता है, तो काफी दिक्कतोंवाली स्थिति पैदा हो सकती है.

 

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हम उन सभी के आभारी हैं

इसके साथ ही इस संदर्भ में अपनी प्रतिक्रिया देते हुए स्थानीय विधायक सुलभा खोडके ने कहा कि, जिस तरह से अल्पकाल के लिए ठेका पध्दति पर नियुक्त स्वास्थ्य अधिकारियों व कर्मचारियों ने कोरोना संक्रमित मरीजों की सेवा की और सरकार एवं प्रशासन के साथ सहयोग किया. उसके लिए हम सभी लोग उन सभी कोरोना योध्दाओं के प्रति बेहद आभारी है. लेकिन यह तमाम नियुक्तियां एक निश्चित समयावधि के लिए ही की गई थी. और जैसे-जैसे जिन-जिन लोगों की करार अवधि खत्म हो रही है, वैसे-वैसे उन लोगों को कार्यमुक्त किया जा रहा है. वहीं यदि भविष्य में दुबारा जरूरत पडती है, तो इन लोगों के अनुभवों को ध्यान में रखते हुए उन्हेें दुबारा सेवा प्रदान करने हेतु बुलाया जायेगा.

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