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भ्रष्ट कारभार, प्रशासक सरदार, जनता बेजार

अमरावती में चल रही ‘द कॉर्पोरेशन स्टोरी’

* पूर्व पालकमंत्री डॉ. सुनील देशमुख ने लगाया आरोप
अमरावती/दि.17– विगत 1 वर्ष से अमरावती महानगपालिका में प्रशासक राज चल रहा है. क्योंकि अमरावती सहित राज्य की सभी महानगपालिकाओं, नगर परिषदों व जिला परिषदों के चुनाव राजनीतिक सहित अन्य कारणों की वजह से स्थगित पडे हैं. ऐसे में अमरावती मनपा के कामकाज से संबंधित पूरे सूत्र प्रशासक के तौर पर मनपा आयुक्त प्रवीण आष्टीकर के हाथ में हैं. जो सेवानिवृत्ति के मुहाने पर पहुंच चुके हैं. ऐेसे समय आयुक्त आष्टीकर ने अपने पास रहनेवाले असीमित अधिकारों के दम पर अमरावती की जनता को अपनी शानदार कार्यशैली दिखाकर बिदाई लेने थी, लेकिन आयुक्त आष्टीकर ने अपने सेवानिवृत्ति की ‘अर्थपूर्ण’ हैप्पी एंडिंग के लिए काम करना शुरु किया. जिसके तहत कुछ चुनिंदा ठेकेदारों से हाथ मिलाते हुए अमरावती की जनता के गाढे पसीने की कमाई से मनपा को मिले पैसों से अपनी सेवानिवृत्ति तक 20 से 25 करोड रुपए जमा करने का लक्ष्य आयुक्त आष्टीकर ने तय किया है, ऐसा मनपा ही नहीं बल्कि आम लोगों में भी खुलेआम कहा जा रहा है. जिसके चलते कहा जा सकता है कि अमरावती महानगरपालिका में ‘द कॉर्पोरेशन स्टोरी’ चल रही है. जिसके तहत भ्रष्ट कारभार व प्रशासक सरदार की वजह से जनता बेजार हो गई है. इस आशय का आरोप पूर्व पालकमंत्री डॉ. सुनील देशमुख व्दारा आज यहां जारी प्रेस विज्ञप्ती में लगाया गया है.
इस प्रेस विज्ञप्ती में आयुक्त आष्टीकर के कामों को जमकर आडे हाथ लेते हुए, पूर्व विधायक डॉ. देशमुख ने कहा कि अमूमन जनप्रतिनिधियों व्दारा किए जाने वाले हस्तक्षेप की वजह से काम करना मुश्किल जाता है, ऐसी शिकायत प्रशासकिय अधिकारियों व्दारा की जाती है. ऐसे में मार्च 2022 के बाद से आयुक्त आष्टीकर के पास बेहतरीन ढंग से काम करने का मौका उपलब्ध था. लेकिन आयुक्त आष्टीकर ने इस मौके का अपने फायदे के लिए उपयोग करना शुरु किया. जिसके तहत विगत 7-8 माह के दौरान मनपा में कई विवादास्पद बेडे ठेकों को जारी करने और प्रत्येक ठेके में पहले ठेकेदार तय करते हुए, ठेकेदार के लिए सुविधाजनक रहनेवाली नियम व शर्ते तय करने का काम शुरु किया गया. जिसे लेकर स्थानीय मीडिया सहित सोशल मीडिया में तमाम किस्से व कहानियां सामने आ रहे है. कई ठेकों को जारी करने में तो ऐसी जल्दबाजी दिखाई गई है, मानो आगे चलकर कुछ दिन बाद दुनिया ही खत्म होने वाली है. परंतु ऐसी ही जल्दबाजी की वजह से कई महत्वपूर्ण मामले न्यायिक प्रक्रिया में अटक गए. साथ ही अदालत ने कई मामलों में महानगरपालिका के फैसलों को रद्द भी करने लगाया. जिससे मनपा प्रशासन ने मुंह की खाई और मनपा प्रशासन की जमकर फजीहत भी हुई.
इस प्रेस विज्ञप्ती में पूर्व पालकमंत्री डॉ. सुनील देशमुख ने सिटी बस सेवा, मनुष्यबल ठेका, नवाथे मल्टीप्लेक्स के निर्माण का ठेका, साफ-सफाई व स्वच्छता का ठेका आदि कामों के साथ ही शहर की सडकों पर व्याप्त अतिक्रमण व अब तक साकार नहीं हो पाए हॉकर्स जोन, दलित बस्ती विकास निधि, शिक्षा विभाग, मुख्य मार्गो पर वृक्षारोपण व रोड डिवायडर पर लगे वृक्षों का संगोपन, मनपा की मुख्य प्रशासकीय इमारत के नूतनीकरण, अग्निशमन विभाग के लिए साहित्य की खरीदी, घनकचरा व्यवस्थापन, सुकली कम्पोस्ड डिपो में बायोमाइनिंंग, छत्री तलाब व वडाली तालाब के विकास कामों से संबंधित विषयों को लेकर भी मनपा प्रशासन व आयुक्त आष्टीकर को जमकर घेरा है. जिसके तहत पूर्व पालकमंत्री डॉ. देशमुख ने कहा है कि इन सभी कामों का ठेका कुछ विशिष्ठ ठेकेदारों को सामने रखकर ही आवंटित किया गया. यह सर्वविदित है. परंतु मनपा में आयुक्त की देखरेख के तहत चल रहे इस भ्रष्टाचार को लेकर अमरावती शहर की विधायक सहित जिले की सांसद व्दारा साधी गई चुप्पी भी बेहद आश्चर्यजनक ऐसे में अमरावती जिले के पालकमंत्री पद का जिम्मा रहनेवाले महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री व गृहमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने इस मामले की ओर गंभीरतापूर्वक ध्यान देना चाहिए. क्योंकि उनके पालकमंत्रित्व कार्यकाल के दौरान मनपा आयुक्त स्तर पर चल रही इस भारी गडबडी के वजह से उत्तम प्रशासक के तौर पर पहचान रखने वाले डेप्युटी सीएम देवेंद्र फडणवीस की प्रतिमा भी मलिन हो रही है.

 

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