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तीन अलग-अलग धाराओं में सुनायी गयी सजा
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सजा सुनाये जाते ही जमानत याचिका डाली, जमानत हुई मंजूर
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१५५०० का जुर्माना भी
अमरावती/प्रतिनिधि दि.१५ – राज्य की महिला व बालविकास मंत्री तथा जिला पालकमंत्री एड. यशोमति ठाकुर सहित तीन अन्य लोगों को स्थानीय जिला व सत्र न्यायालय ने एक पुलिस कर्मी के साथ मारपीट करने और सरकारी काम में बाधा उत्पन्न करने के मामले में दोषी करार देते हुए उन्हें तीन अपराधों के लिए तीन-तीन और एक माह के सश्रम कारावास की सजा सुनायी. साथ ही १५ हजार ५०० का आर्थिक जुर्माना भरने का भी निर्देश दिया. हालांकि अदालत द्वारा सजा सुनाये जाने के तुरंत बाद पालकमंत्री यशोमति ठाकुर द्वारा जमानत याचिका दायर की गई. जिसे सुनवाई पश्चात अदालत ने मंजूर कर लिया. जिसके चलते सजा सुनाये जाने के बावजूद फिलहाल जिला पालकमंत्री यशोमति ठाकुर सहित उनके सहयोगियों की गिरफ्तारी टल गयी है. यहां यह विशेष उल्लेखनीय है कि, अमरावती शहर व जिले सहित समूचे विदर्भ क्षेत्र में यह पहली बार है, जब किसी कैबिनेट मंत्री अथवा जिला पालकमंत्री को सश्रम कारावास के साथ ही आर्थिक जुर्माने की सजा सुनायी गयी है. इस संदर्भ में प्राप्त विस्तृत जानकारी के मुताबिक वर्ष २०१२ में २४ मार्च को राजापेठ से गांधी चौेक की ओर जानेवाली सडक पर वन-वे लगा हुआ था.
इस समय यहां ड्यूटी पर तैनात उल्हास रौराले नामक पुलिस कर्मी अपने एक अन्य सहयोगी पुलिस कर्मी मो. सुलतान के साथ राजापेठ की ओर से गांधी चौक की ओर जानेवाले वाहनों को वन-वे पर जाने से रोक रहे थे. इसी समय उस वक्त तिवसा निर्वाचन क्षेत्र की विधायक रहनेवाली एड. यशोमति ठाकुर अपने निजी वाहन में सवार होकर गद्रे चौक से चुनाभट्टी होते हुए गांधी चौक की ओर जा रही थी. इस समय उनके साथ वाहन में कुछ अन्य लोग भी सवार थे और यह वाहन जैसे ही चुना भट्टी के पास पहुंचा, तो ड्यूटी पर तैनात उल्हास रौराले ने इस वाहन को रूकवाया और आगे वन-वे रहने की जानकारी दी. लेकिन विधायक यशोमति ठाकुर ने इस यातायात पुलिस कर्मी की बात मानने के बदले उसके साथ वादविवाद करना शुरू किया. साथ ही अपना वाहन रोके जाने से संतप्त होकर विधायक यशोमति ठाकुर ने पुलिस कर्मी रौराले की कॉलर पकडकर उसे गाल पर तमाचे रसीद कर दिये. इस समय तक गाडी में सवार अन्य दो लोग भी नीचे उतरे और उन्होंने भी इस पुलिस कर्मी के साथ मारपीट करनी शुरू की. इस समय रौराले का सहयोगी मो. सुलतान लघुशंका करने हेतु गया था और वापिस लौटने पर जब उसने यह पूरा नजारा देखा, तो तुरंत ही दौडकर यशोमति ठाकुर और उनके समर्थकों के चंगूल से अपने सहयोगी उल्हास रौराले को छुडवाया. पश्चात उल्हास रौराले ने इस मामले को लेकर राजापेठ पुलिस थाने में तत्कालीन विधायक यशोमति ठाकुर व उनके तीन सहयोगी सागर खांडेकर, शरद जवंजाल व राजू इंगले के खिलाफ शिकायत दर्ज करायी. पश्चात मामले की जांच करते हुए राजापेठ थाना पुलिस ने स्थानीय अदालत में अपनी चार्जशिट पेश की. जिस पर स्थानीय जिला व सत्र न्यायाधीश (प्रथम) उर्मिला जोशी फालके के समक्ष सुनवाई हुई और गुरूवार को इस मामले में अपना फैसला सुनाते हुए जिला व सत्र न्यायालय ने पुलिस कर्मी के साथ मारपीट करने व सरकारी काम में बाधा उत्पन्न करने को लेकर नामजद किये गये चारों आरोपियों को दोषी करार दिया. साथ ही उन्हें धारा ३५३ के तहत तीन माह के सश्रम कारावास व १० हजार रूपये दंड, धारा ३३२ के तहत तीन माह के सश्रम कारावास व ५ हजार रूपये दंड तथा धारा १८६ के तहत एक माह के कारावास और ५०० रूपये दंड की सजा सुनायी. अदालत द्वारा सजा सुनाये जाते ही तत्कालीन विधायक व मौजूदा कैबिनेट मंत्री यशोमति ठाकुर की ओर से तुरंत ही गिरफ्तारी से बचने हेतु अदालत के समक्ष जमानत याचिका प्रस्तुत की गई. जिसे स्वीकार करते हुए अदालत ने पालकमंत्री यशोमति ठाकुर को राहत दी है. इस मामले में अभियोजन पक्ष की ओर से सरकारी वकील एड. मिलींद जोशी ने बेहद प्रभावपूर्ण तरीके से युक्तिवाद किया.
बयान से पलटनेवाले मो. सुलतान को कडी फटकार, सीपी से शिकायत
यहां यह विशेष उल्लेखनीय है कि वर्ष २०१२ में जब यह वारदात घटित हुई, तो उस समय पुलिस कर्मी उल्हास रौराले के साथ मो. सुलतान नामक पुलिस कर्मी की भी उसके साथ चुनाभट्टी परिसर में ड्यूटी लगी थी और मो. सुलतान ने ही अपने सहकर्मी रौराले को विधायक ठाकुर व उनके समर्थकों द्वारा की जा रही मारपीट से छुडाया था और उस समय राजापेठ पुलिस थाने में इस मामले को लेकर गवाही भी दी थी, लेकिन अदालत में सुनवाई के दौरान पुलिस कर्मी मो. सुलतान अपने पहले दिये गये बयान से पूरी तरह पलट गया. ऐसे में इस मामले का फैसला सुनाते समय आरोपियों को दोषी करार देने के साथ ही अदालत ने अपने बयान से पलटनेवाले मो. सुलतान को कडी फटकार लगायी. साथ ही उसके खिलाफ कार्रवाई करने के निर्देश शहर पुलिस आयुक्तालय को जारी किये.