’उन’ 53 मृतकों में कोविड के साथ ही सारी के मरीजों का भी समावेश
’मंडल’ की खबर पर प्रशासन ने जारी किया खुलासा
-
खबर से प्रशासन में दिनभर मचा रहा हड़कंप
-
सभी आंकड़ों के मिलान का काम हुआ शुरू
अमरावती / प्रतिनिध दि. 24 – गत रोज अमरावती मंडल द्वारा हिंदू श्मशान भूमि में कोविड अस्पतालों से लाए गए कोरोना मृतकों के अंतिम संस्कार और प्रशासन की ओर से कोरोना के चलते होनेवाली मौतों को लेकर जारी आंकड़ो में दिखाई देनेवाले फर्क को लेकर तथ्यात्मक खबर प्रकाशित की गई थी. जिसे लेकर बुधवार को प्रशासन व स्वास्थ्य विभाग में जबरदस्त हड़कंप मचा रहा. साथ ही इस संदर्भ में दैनिक अमरावती मंडल द्वारा जानकारी हेतु संपर्क किये जाने पर प्रशासन की ओर से बताया गया कि श्मशान भूमि में सफेद रंग के बॉडी बैग में भरकर भेजे गये पार्थिव केवल कोरोना संक्रमितों के ही नहीं थे, बल्कि उन मृतकों में सारी नामक बीमारी से मरनेवाले कई मृतकों के पार्थिव भी शामिल थे. चूंकि कोरोना और सारी के लक्षण एक समान ही होते है, तो इन दोनों बीमारियों से मृत होनेवाले मरीजों के पार्थिवों को बॉडी बैग में भरकर ही अंतिम संस्कार हेतु भिजवाया जाता है.
इस संदर्भ में जानकारी हेतु जिलाधीश शैलेश नवाल तथा जिला शल्य चिकित्सक से संपर्क किये जाने पर जानकारी दी गई कि मरीजों के साथ भेजे जानेवाले डेथ सर्टीफिकेट पर मृत्यु के कारण का स्पष्ट उल्लेख होता है, किंतु संभवत: आंकड़ों में फर्क की जानकारी देनेवाले व्यक्ति ने उस जानकारी को देखने की बजाय बॉडी बैग की गिनती करते हुए अंदाजा लगा लिया कि विगत 17 से 23 फरवरी के दौरान कोरोना से मृत हुए 53 लोगों का अंतिम संस्कार हिंदू श्मशान भूमि में किया गया है. जबकि हकीकत यह है कि इस दौरान कोरोना के चलते कुल 26 मौते ही हुई थी और शेष शव सारी से मृत हुए लोगों के थे. जानकारी दी गई कि सरकारी व निजी कोविड अस्पतालों में मृत होनेवाले कोविड संक्रमित मरीजों के अलावा पीडीएमसी व इर्विन अस्पताल में भरती रहनेवाले सारी व इली नामक बीमारी से मृत होनेवाले मरीजों के शवों को भी प्रशासन द्वारा ही अंतिम संस्कार करने के लिए भिजवाया जाता है और इस तरह के मृतकों के शवों को भी बॉडी बैग में भी भरकर स्वास्थ्य कर्मियों के साथ भेजा जाता है. जिसे देखकर आम लोग यह अंदाजा लगा लेते हैं कि संभवत: यह कोरोना संक्रमित व्यक्ति का शव है. प्रशासन के मुताबिक मरीजों व मृतकों के आंकड़ों को छिपाने या उनमें हेरफेर करने का कोई मसला ही नहीं उठता, क्योंकि प्रत्येक मरीज और हर मौत की जानकारी 24 घंटे के भीतर राज्य एवं केंद्र सरकार के पोर्टल पर अपलोड़ करनी होती है. अत: आंकड़ों में पूरी तरह से पारदर्शिता रखी जाती है. ऐसे में लोगों ने किसी भी तरह की गलतफहमी का शिकार नहीं होना चाहिए.