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35 दिनों में 221 कोरोना संक्रमितों का अंतिम संस्कार

मोक्षधाम में सवा माह के दौरान कुल 661 अंतिम संस्कार हुए

  •  सारी के 8 व निमोनिया के 11 मृतकों का भी रहा समावेश

  •  कोरोना मृतकों के सरकारी आंकडों में अब भी दिख रहा फर्क

अमरावती/प्रतिनिधि दि.8 – स्थानीय हिंदू मोक्षधाम में विगत फरवरी व मार्च माह के दौरान कुल 661 पार्थिव शरीरों का दाह संस्कार किया गया. जिसमें 221 पार्थिव शरीर कोरोना संक्रमण की वजह से मृत होनेवाले मरीजों के थे. वहीं इस दौरान 8 सारी संक्रमितों व 11 निमोनिया से पीडित मरीजों के भी पार्थिव शरीरों का अंतिम संस्कार किया. साथ ही शेष 422 अंतिम संस्कार प्राकृतिक तौर पर मृत होनेवाले लोगों के हुए.
उल्लेखनीय है कि, जिला प्रशासन तथा जिला स्वास्थ्य महकमे द्वारा दी गई जानकारी के मुताबिक विगत फरवरी माह में 94 तथा मार्च माह में 7 मार्च तक 51 कोरोना संक्रमितों की मौत हुई है. लेकिन हिंदू स्मशान भुमि में उपलब्ध आंकडों के मुताबिक फरवरी माह में 145 व जारी माह में 7 मार्च तक 76 कोरोना संक्रमितों के अंतिम संस्कार हुए है, यानी फरवरी व जारी माह में 7 मार्च तक अकेले हिंदू स्मशान भुमि में ही 221 कोरोना संक्रमित मरीजोें के शवों का अंतिम संस्कार हुआ है. जबकि सरकारी आंकडे के मुताबिक इस दौरान 145 कोविड संक्रमितों की मौत हुई है. जिसमें से निश्चित तौर पर कुछ मरीजोें का अंतिम संस्कार अन्य स्थानों पर उनके धार्मिक रीतिरिवाज के अनुसार हुए होंगे. ऐसे में सरकारी आंकडों का फर्क कुछ और भी अधिक हो सकता है.
वहीं दूसरी ओर विगत फरवरी व जारी मार्च माह के दौरान हिंदू स्मशान भुमि में सारी संक्रमण की वजह से मृत हुए 8 एवं निमोनिया संक्रमण की वजह से मृत 11 लोेगों के पार्थिव शरीरोें का भी अंतिम संस्कार किया गया है. इसके अलावा इस दौरान फरवरी माह में 341 व मार्च माह में 7 मार्च तक 81 ऐसे पार्थिव देहों का अंतिम संस्कार हुआ, जिनकी मृत्यु सामान्य परिस्थिति या अन्य कारणों के चलते हुई थी. यानी फरवरी व जारी मार्च में अब तक ऐसे करीब 422 मृतदेहों की अंतिम क्रिया हिंदू मोक्षधाम में हुई है. वहीं इस दौरान सभी तरह के अंतिम संस्कारोें की संख्या 661 रही. जिसका सीधा मतलब है कि, हिंदू मोक्षधाम में रोजाना औसतन 20 से 22 पार्थिव देहों का अंतिम संस्कार किया जा रहा है. जिसकी वजह से यहां पर अब अंतिम संस्कार हेतु जगह और साधनों की उपलब्धता कम पडने लगी है.

 

  •  गैस शवदाहिनी में होता है कोविड मृतकों का अंतिम संस्कार

बता देें कि हिंदू मोक्षधाम में कुछ वर्ष पहले गैस शवदाहिनी की व्यवस्था उपलब्ध करायी गयी थी. जिसके तहत यहां पर दो संयंत्र क्रियान्वित किये गये है. इन दिनों इसी गैस शवदाहिनी में कोरोना संक्रमण से मृत होनेवाले मरीजों के पार्थिव शरीरों का अंतिम संस्कार किया जा रहा है. हालांकि विगत दिनों गैस शवदाहिनी के संयंत्र में कुछ तकनीकी खराबी आने की वजह से कोविड मृतकों के अंतिम संस्कार भी परंपरागत रूप से लकडियों की चिता पर करने पडे. वहीं अब गैस शवदाहिनी के दोनोें संयंत्रों को दुरूस्त कर लिया गया है. ऐसे में एक बार फिर कोविड मृतकों के शवों का अंतिम संस्कार गैस शवदाहिनी में किया जा रहा है.बता दें कि, गैस शवदाहिनी में भी एक शव का अंतिम संस्कार करने हेतु करीब डेढ से दो घंटे का समय लगता है. उसके बाद ही किसी और पार्थिव देह का अंतिम संस्कार किया जा सकता है. ऐसे में बीते दिनों कोरोना संक्रमण की वजह से होनेवाली मौतों की संख्या में भी अचानक उछाल आने से यहां पर पार्थिव देहोें को भी अंतिम संस्कार के लिए इंतजार करना पड रहा है.

  •  अब महज तीन घंटे में खाली कराये जा रहे चबुतरे

उल्लेखनीय है कि परंपरागत रूप से लकडी की चिता पर अंतिम संस्कार करने के दूसरे अथवा तीसरे दिन संबंधित मृतक के परिजन आकर चिता की राख को विसर्जन करने हेतु समेटते है. ऐसे में किसी भी चबुतरे पर किसी पार्थिव देह का अंतिम संस्कार होने पर वह चबुतरा अगले दो-तीन दिनों तक अटका रहता है. और जब तक वहां से संबंधित परिजनों द्वारा राख नहीं हटायी जाती, तब तक उस चबुतरे पर किसी अन्य पार्थिव का अंतिम संस्कार नहीं किया जा सकता. इस व्यवस्था के चलते भी बीते दिनों हिंदू मोक्षधाम में अंतिम संस्कार हेतु जगह की कमी देखी जा रही थी. इस बात को ध्यान में रखते हुए अब मोक्षधाम में नियम बनाया गया है कि, यहां पर चबुतरे पर अंतिम संस्कार होने के बाद संबंधित परिवार को अगले तीन घंटे तक यहीं पर रूकना होगा. तीन घंटे के भीतर मृतदेह सहित चिता की सभी लकडियां आग में पूरी तरह जलकर राख हो जाते है. अत: तीन घंटे बाद चिता को ठंडा कर संबंधित मृतक की राख को समेट लिया जाये. ताकि किसी अन्य पार्थिव देह के लिए चबुतरा खाली हो.

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