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जिला बैंक से संबंधित 11 लोगों के खिलाफ अपराध दर्ज

मामला 700 करोड के निवेश का

  • नामजदों में बैंक के मैनेजिंग डाईरेक्टर राठोड व चार कर्मचारियों का समावेश, 6 ब्रोकर भी नामजद किये गये

  • नियमबाह्य तरीके से अदा किया गया था 3.39 करोड का ब्रोकरेज

अमरावती/दि.15 – किसानों की बैंक कही जाती स्थानीय जिला मध्यवर्ती सहकारी बैंक द्वारा म्युच्यूअल फंड में किये गये 700 करोड रूपये के निवेश को लेेकर विगत कई दिनों से जबर्दस्त हंगामा मचा हुआ है और हंगामे की मुख्य वजह इस निवेश की ऐवज में बैंक द्वारा अदा किये गये 3 करोड 39 लाख 23 हजार 319 रूपये का ब्रोकरेज है. जिसे लेकर बैंक की ऑडिट रिपोर्ट में स्पष्ट रूप से कहा गया है कि, यह ब्रोकरेज बैंक के अधिकारियों व कर्मचारियों तथा म्युच्युअल फंड ब्रोकर्स द्वारा आपसी मिलीभगत कर अदा किया गया और इस जरिये बैंक के साथ जालसाजी की गई. इस ऑडिट रिपोर्ट के आधार पर सहकारी बैंक पर नियुक्त प्रशासक की शिकायत के चलते मंगलवार 15 जून को सिटी कोतवाली पुलिस थाने द्वारा बैंक के तत्कालीन व्यवस्थापक जयसिंग चिमनाजी राठोड सहित कुल 11 लोगों के खिलाफ जालसाजी व धोखाधडी का अपराध दर्ज किया गया. नामजद किये गये आरोपियों में राठोड सहित बैंक के 4 अन्य तत्कालीन कर्मचारी तथा 6 ब्रोकर्स का समावेश है.
बता दें कि, 18 फरवरी 2021 को बैंक के संचालक मंडल का कार्यकाल खत्म होने के चलते सहकार आयुक्त (सहकारी संस्था, पुणे) द्वारा बैंक के संचालक मंडल को बर्खास्त करते हुए यहां पर प्रशासक की नियुक्ति की गई. इससे पहले यहां पर सहकार विभाग के सतीश भोसले बतौर प्रशासक नियुक्त थे. जिन्होंने अपने कार्यकाल में की गई जांच में पाया कि, आरबीआई द्वारा 14 जुलाई 2016 को जारी परिपत्रक के अनुसार बैंक के दैनंदिन व्यवहार में अतिरिक्त रहनेवाली निधी नॉन एसएलआर के तहत पिछले आर्थिक वर्ष के 31 मार्च को रहनेवाली कुल जमा के 10 प्रतिशत तक किसी बाहरी वित्तीय संस्था में निवेश की जा सकती है. किंतु ऐसा करने की बजाय बैंक द्वारा करीब 34 प्रतिशत तक निवेश किया गया था. यह बात ध्यान में आने पर तत्कालीन संचालक मंडल द्वारा इस पूरे निवेश का सीएपी एन्ड कंपनी नामक चार्टर्ड अकाउंटंट फर्म के मार्फत ऑडिट करवाया गया. 12 अप्रैल 2021 को प्राप्त हुई ऑडिट रिपोर्ट में कहा गया कि, नॉन एसएलआर की म्युच्युअल फंड में निवेश करते समय ब्रोकर का सहारा नहीं लिया जाना चाहिए था. किंतु बैंक के तत्कालीन अधिकारियों व कर्मचारियों द्वारा यह रकम ब्रोकर के जरिये म्युच्युअल फंड में निवेश की गई और इसके लिए 3 करोड 39 लाख 23 हजार 319 रूपये का ब्रोकरेज भी अदा किया गया. जिसके लिए बैंक के अधिकारियों, कर्मचारियों व ब्रोकरों ने आपसी मिलीभगत करते हुए बैंक के नाम की फर्जी मुहर तैयार की और फर्जी हस्ताक्षर करते हुए बैंक के साथ 3.39 करोड रूपयों की जालसाजी की. यह मामला ध्यान में आते ही तत्कालीन प्रशासक सतीश भोसले ने तुरंत ही इस ऑडिट रिपोर्ट के आधार पर सिटी कोतवाली पुलिस स्टेशन पहुंचकर अपनी शिकायत दर्ज करायी और कोतवाली थाना पुलिस ने आर्थिक अपराध शाखा के साथ मिलकर मामले की जांच-पडताल शुरू की. जिसके बाद मंगलवार 15 जून को बैंक के तत्कालीन मैनेजिंग डाईरेक्टर जयसिंग चिमनाजी राठोड, कर्मचारी निलकंठ बी. जगताप, सुधीर बी. चांदूरकर, राजेंद्र गणेराव कडू, रोहिणी सुभाष चौधरी तथा शेअर व म्युच्युअल फंड ब्रोकर अजीतपाल हरिसिंह मोंगा, निता राजेंद्र गांधी, पुरूषोत्तम रेड्डी, शोभा मधुसूदन शर्मा, शिवकुमार गोकुलदास गट्टाणी व राजेंद्र मोतीलाल गांधी के खिलाफ भादंवि की धारा 406, 409, 420, 467, 468, 471 व 120 (ब) के तहत अपराध दर्ज किया गया है.

इन लोगों के खिलाफ दर्ज हुआ अपराध

बैंक के तत्कालीन मैनेजिंग डाईरेक्टर जयसिंग चिमनाजी राठोड, कर्मचारी निलकंठ बी. जगताप, सुधीर बी. चांदूरकर, राजेंद्र गणेराव कडू, रोहिणी सुभाष चौधरी तथा शेअर व म्युच्युअल फंड ब्रोकर अजीतपाल हरिसिंह मोंगा, नीता राजेंद्र गांधी, पुरूषोत्तम रेड्डी, शोभा मधुसूदन शर्मा, शिवकुमार गोकुलदास गट्टाणी व राजेंद्र मोतीलाल गांधी

आरोपियों के खिलाफ लगी ये धाराएं

  • भादंवि की धारा 406, 409, 420, 467, 468, 471 व 120 (ब).

‘अमरावती मंडल’ ने प्रकाश में लाया था मामला

यहां यह विशेष उल्लेखनीय है कि, जिला मध्यवर्ती बैंक में हुई इस आर्थिक गडबडी और हेराफेरी के मामले को सबसे पहले दैनिक अमरावती मंडल द्वारा ही प्रकाश में लाया गया था और इसे लेकर समय-समय पर सिलसिलेवार ढंग से विस्तृत समाचार प्रकाशित किये गये थे. जिसके बाद इस मामले को लेकर पुलिस एवं सहकार क्षेत्र पर जबर्दस्त दबाव बना और मामले की जांच आगे बढी. किसानों की गाढी कमाई के 700 करोड रूपयों के निवेश और इस निवेश के नाम पर 3 करोड 39 लाख रूपयों का कमिशन अदा किये जाने के मामले को दैनिक अमरावती मंडल द्वारा बेहद गंभीरता से लिया गया था और इस मामले की तह तक जाने के सतत प्रयास जारी रखे गये. इसी का परिणाम है कि, यह मसला लगातार चर्चा में रहा और अब इस मामले को लेकर 11 लोगों के खिलाफ पुलिस द्वारा अपराध दर्ज किया गया है.

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