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डॉ. बोंडे सहित पांच पर गंभीर धाराओं के तहत अपराध दर्ज

  •  नामजदोें में चौधरी, कुलकर्णी, सोनी व तायडे का समावेश

  •  पंचवटी चौक पर आंदोलनकारी छात्रों को उकसाया था

  •  पुलिस के साथ भी की थी हुज्जतबाजी

  •  घटना के 48 घंटे बाद अपराध हुआ दर्ज

अमरावती/प्रतिनिधि दि.13 – दो दिन पूर्व स्थानीय पंचवटी चौराहे पर एमपीएससी परीक्षा की तैयारी कर रहे छात्रों द्वारा जमकर नारेबाजी व प्रदर्शन किया गया था. क्योंकि इन छात्रों को जानकारी मिली थी कि, 14 मार्च को होनेवाली एमपीएससी की परीक्षा को एक बार फिर स्थगित किया गया है. एक ही वर्ष में लगातार पांचवी बार एमपीएससी की परीक्षा स्थगित होने से छात्रों का गुस्सा फूट पडा था. वहीं गाडगेनगर थाना पुलिस द्वारा आंदोलनकारी छात्रों को तितर-बितर करने हेतु सौम्य बलप्रयोग भी किया था. पश्चात पूर्व कृषि मंत्री व भाजपा नेता डॉ. अनिल बोंडे भी भाजयुमो पदाधिकारियों के साथ मौके पर पहुंचे. उनकी पुलिस के साथ जमकर हुज्जतबाजी हुई थी. जिसमें डॉ. बोंडे ने पुलिस अधिकारियों के लिए बेहद निचले स्तर के अपशब्दों का प्रयोग किया था. साथ ही आंदोलनकारी छात्रों को उकसाते हुए पुलिस द्वारा डिटेन किये गये आंदोलनकारियोें को छुडाने का भी प्रयास किया था. ऐसे में अब गाडगेनगर थाना पुलिस ने डॉ. अनिल बोंडे सहित भाजपा जिलाध्यक्ष निवेदिता चौधरी, पार्षद प्रणित सोनी तथा जिप सदस्य प्रवीण तायडे व बादल कुलकर्णी के खिलाफ बेहद गंभीर धाराओं के तहत अपराध दर्ज किया है.
इस संदर्भ में गाडगेनगर पुलिस स्टेशन के थानेदार आसाराम हिरूभाउ चोरमले द्वारा दर्ज करायी गयी शिकायत के आधार पर गाडगेनगर थाना पुलिस द्वारा यह कार्रवाई की गई है. इस शिकायत में कहा गया है कि, 11 मार्च को गाडगेनगर परिसर स्थित सरकारी तंत्रनिकेतन के पास अपरान्ह 4 बजे अचानक स्पर्धा परीक्षा की तैयारी करनेवाले विद्यार्थियों का हुजुम जमा हुआ, जो नारेबाजी करते हुए पंचवटी चौक की ओर आगे बढे. साथ ही उन्होंने चौक के बीचों-बीच बैठकर चारों ओर के यातायात को अवरूध्द किया. इसकी जानकारी मिलते ही गाडगेनगर थाना पुलिस सहित मौके पर आरसीपी, क्यूआरटी व एसआरपीएफ के पथक को बुलाकर कानून व व्यवस्था की स्थिति बनाये रखने हेतु सभी विद्यार्थियों को पुलिस वाहन में बिठाया गया. साथ ही छात्राओं को दामिनी पथक द्वारा अपने कब्जे में लिया गया. इस समय पूर्व मंत्री डॉ. अनिल बोंडे भी मौके पर पहुंचे और उन्होंने अपशब्दों का प्रयोग करते हुए पुलिस के साथ हुज्जत और गालीगलौच की. साथ ही पुलिस के कब्जे से आंदोलनकारी छात्रों को भी छुडाने का प्रयास किया. इस समय मौके पर भाजपा जिलाध्यक्ष निवेदिता चौधरी, पार्षद प्रणित सोनी, जिप सदस्य प्रवीण तायडे व भाजयुमो पदाधिकारी बादल कुलकर्णी भी आंदोलनकारियोें के साथ मौजूद थे और इन सभी ने डॉ. अनिल बोंडे का साथ देते हुए पुलिस के कामकाज में बाधा पहुंचाने और अपने कर्तव्य का निवर्हन कर रहे पुलिस कर्मियों के साथ हुज्जतबाजी व गालीगलौच करने का काम किया.
थानेदार चोरमले द्वारा दी गई शिकायत के आधार पर गाडगेनगर थाना पुलिस ने सभी आरोपियों के खिलाफ भादंवि की धारा 109, 186, 188, 189, 225, 269, 270, 191, महामारी प्रतिबंधक अधिनियम 1897 की धारा 2, 3 व 4 तथा आपत्ति व्यवस्थापन अधिनियम की धारा 51 (ब) तथा महाराष्ट्र पुलिस अधिनियम की धारा 110, 112 व 117 के तहत अपराध दर्ज किया है.

 

  • दो दिन लग गये अपराध दर्ज करने में

अमूमन सरकार के खिलाफ होनेवाले किसी भी राजनीतिक आंदोलन में पुलिस द्वारा आंदोलनकारियोें को तुरंत ही हिरासत में लेकर उनके खिलाफ विभिन्न धाराओं के तहत अपराध दर्ज करने की कार्रवाई की जाती है. इसमें भी यदि आंदोलनकारियों द्वारा पुलिस के साथ हुज्जतबाजी अथवा धमकीबाजी की जाती है, तो पुलिस द्वारा तुरंत ही बेहद संगीन धाराओं के तहत अपराध दर्ज करती है. किंतु इस मामले में पुलिस ने 11 मार्च को किसी भी आंदोलनकारी छात्र अथवा मौके पर मौजूद भाजपा नेताओं के खिलाफ कोई मामला दर्ज नहीं किया और उन्हें पुलिस हिरासत से बिना अपराध दर्ज किये ही जाने दिया गया. वहीं गत रोज ही 12 मार्च को इस मारे में पूछे जाने पर थानेदार आसाराम चोरमले ने कहा कि, फिलहाल इस मामले में किसी के भी खिलाफ कोई मामला दर्ज नहीं किया जा रहा, लेकिन इसके दूसरे दिन यानी 13 मार्च को खुद थानेदार आसाराम चोरमले ने इस मामले को लेकर शिकायत दर्ज करायी. जिसके आधार पर अब बेहद गंभीर धाराओं के तहत अपराध दर्ज किये गये है. ऐसे में सबसे बडा सवाल यह है कि, आखिर दो दिनों तक इस मामले में किसी के भी खिलाफ कोई अपराध दर्ज क्यों नहीं किया गया और अपराध दर्ज करने के लिए दो दिनों का इंतजार क्यों किया गया. साथ ही अब यह भी सवाल पूछा जा रहा है कि, क्या अब आंदोलनकारी छात्रों के खिलाफ भी गाडगेनगर थाना पुलिस द्वारा अपराध दर्ज करने की कार्रवाई की जायेंगी.

  • किस अपराध के लिए कौनसी धारा

धारा 109 – भीड को अपराध करने अथवा कानून का उल्लंघन करने के लिए उकसाना.
धारा 186 – सरकारी काम में बाधा डालना.
धारा 188- सरकारी व कानूनी आदेश का उल्लंघन करना तथा कानून व व्यवस्था के लिए खतरा पैदा करना.
धारा 189- किसी पब्लिक सर्वंट पर हमला करना तथा उसे धमकाना
धारा 225 – पुलिस कस्टडी में लिये गये व्यक्ति को गैरकानूनी तरीके से बाहर निकालने की कोशिश करना.
धारा 269 – भीडभाड होने की स्थिति में कोई संक्रामक बीमारी फैल सकती है. यह पता रहने के बावजूद सार्वजनिक स्थान पर भीड जमा करना.
धारा 270 व 271 – अपनी हरकत से जानबूझकर दूसरों के जीवन को किसी भी तरह के खतरे में डालना.
धारा 291 – किसी भी वजह के चलते सरकार अथवा कानून द्वारा लगायी गयी बंदिशों के बावजूद सडक पर आकर उत्पात मचाना और पब्लिक सर्वंट के साथ हुज्जतबाजी करना.

(इसके अलावा शहर में कोरोना संक्रमण के खतरे को देखते हुए जारी प्रतिबंधात्मक आदेशों का उल्लंघन करने को लेकर अन्य अधिनियमों की धाराओं के तहत अपराध दर्ज किया गया है.)

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