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बच्चों समक्ष पत्नी व उसके प्रेमी को मौत के घाट उतारा था
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जुर्माने की रकम मृतका के बच्चों को मिलेगी
अमरावती/प्रतिनिधि दि.10 – समीपस्थ बडनेरा पुलिस स्टेशन अंतर्गत आने वाले वडगांव जिरे में 18 जुलाई 2018 को घटीत दोहरे हत्याकांड में आज स्थानीय न्यायालय ने हत्यारे गजानन गजभिये को आजीवन कैद और 10 हजार रुपए जुर्माने की सजा सुनाई. इस दोहरे हत्याकांड में हत्यारे गजानन ने अपने दो मासूम बच्चों के सामने पत्नी व उसके प्रेमी को मौत के घाट उतारा था.
जानकारी के अनुसार शेंदोला बुजरुक निवासी गजानन गजभिये की पत्नी प्रियंका को 3 बच्चे थे. वर्ष 2018 में पति, पत्नी के बीच हमेशा होेने वाले झगडों से तंग आकर प्रियंका एक लडका आशिष और लडकी पूनम को अपने साथ लेकर पति से दूर रहने चली गई थी. उसने पति से अलग होकर रहने की नोंद नांदगांव पेठ पुलिस थाने में दर्ज की थी.पति से अलग रहने के बाद प्रियंका कैटरीन के काम पर जाती थी. इस समय उसकी पहचान बडनेरा थाना क्षेत्र के तहत आने वाले वडगांव जिरे गांव में रहने वाले पद्मा डोंगरे नामक महिला के साथ हुई. उसके बाद प्रियंका और पद्माबाई का बेटा महेश डोंगरे के बिच प्रेमसंबंध हो गए. इसकी खबर प्रियंका के पति गजानन गजभिये को पता चलने पर 18 जुलाई 2018 की शाम 6 बजे के दौरान गजानन दोनों की हत्या करने के इरादे से वडगांव जिरे में गया. उसने अपने दोनों अज्ञान बच्चों के समक्ष प्रियंका व महेश की निर्मम हत्या की. इन अज्ञान बच्चों के कहने पर गांव की पुलिस पटेल के पति ने बडनेरा पुलिस थाने में शिकायत दर्ज की थी. इस शिकायत पर पुलिस ने दफा 302, 450 के तहत अपराध दर्ज करते हुए बडनेरा के तत्कालीन थानेदार शरद कुलकर्णी ने न्यायालय में अभियोग पत्र दाखिल किया था. न्यायालय में सुनवाई के दौरान 9 गवाहों का परिक्षण किया गया. जिला व सत्र न्यायाधीश एस.ए.सिन्हा ने इस दोहरे हत्याकांड के लिए आरोपी गजानन गजभिये को आरोपी करार देते हुए दफा 302 में उसे आजीवन सश्रम कैद व 10 हजार रुपए जुर्माना तथा जुर्माना न भरने पर दो वर्ष अतिरिक्त कैद की सजा सुनाई तथा दफा 450 में 3 वर्ष सश्रम कैद व 5 हजार रुपए जुर्माना तथा जुर्माना न भरने पर 6 महिने सश्रम कैद की सजा सुनाई तथा जुर्माने के रुप में मिलने वाली कुल रकम 15 हजार रुपए मृतका के बच्चों को देने के आदेश दिये. इस मामले में सरकार की ओर से सहायक सरकारी अभियोक्ता एड.मंगेश भागवत ने काम संभाला तथा पैरवी अधिकारी के रुप में गणेश निशांत राव और सावरकर ने सहयोग किया.