एक्सीडेंट में गई बेटी की जान, माता-पिता ने करवाया अवयव दान
17 साल की युवती 3 को दे गई नया जीवन
नागपुर/दि.13 – बे्रन डेड युवती को हम बचा नहीं सकते, किंतु उसके अवयव बचाए जा सकते हैं. उन्हें मिट्टी न होने दें. चिकित्सकों की यह विनती युवती की चचेरी बहन को भाई उसने युवती के पिता को समझाया. उन्होंने हामी भरी जिससे तीन लोगों को नया जीवन मिल गया.
अवयव दाता 17 साल की युवती है. 6 फरवरी को सहेली के साथ जाते समय कामठी रोड पर हादसा हो गया. युवती के सिर पर गहरी चोंट आई उसे अस्पताल में भर्ती किया गया. वहां तबीयत ठीक नहीं होने से लकडगंज के न्यू इरा अस्पताल में भर्ती किया गया. 11 फरवरी को उसे बे्रन डेड घोषित किया गया. जिससे माता-पिता सहित रिश्तेदार फूट-फूटकर रोने लगे.
* डॉक्टर्स का समुपदेशन
मस्तिष्क मृत्यु हो जाने पर भी युवती के अवयव दान की गुजारिश चिकित्सकों ने रिश्तेदारों से की. एक चचेरी बहन को अवयव दान का महत्व समझ में आ गया. उसने युवती के पिता को समझाया. उनकी हां के बाद झेडटीसीसी के अध्यक्ष डॉ. संजय कोलते और सचिव डॉ. राहुल सक्सेना को जानकारी दी गई. उनके मार्गदर्शन में झोन संयोजक वीणा वाठोरे ने आगे की प्रक्रिया पूर्ण की.
* लीवर 38 साल की महिला को
अवयव दाता युवती का लीवर न्यू इरा अस्पताल में 38 वर्षिय महिला को दिया गया. एक गुदा इसी अस्पताल के 30 साल के युवक एवं दूसरा ऑरेंज सिटी अस्पताल के 27 साल के युवक को लगवाया गया. प्रत्यारोपण शल्य क्रिया डॉ. राहुल सक्सेना, डॉ. साहील बंसल और डॉ. स्नेहा खाडे ने की. किडनी प्रत्यारोपण डॉ. एस.जे. आचार्य, डॉ. रवि देशमुख, डॉ. शब्बीर राजा, डॉ. सुहास सालपेकर, डॉ. संदीप देशमुख, डॉ. अनीता पांडे, डॉ. कविता धूर्वे, डॉ. मोहित घारपुरे ने की.
* एक अवयव दान चूका
खबर यह भी है कि गोंदिया के एक बे्रन डेड मरीज का भी अवयव दान होना था, किंतु रिश्तेदारों ने गोंदिया में ही अवयव निकालने की जिद की. जिससे वह अयवव दान होते-होते रह गया. इस बारे में डॉ. संजय कोलते ने स्पष्ट किया कि गोंदिया के किसी अस्पताल को एनटीओआरसी मंजूरी नहीं है. भविष्य में सावधानी बरती जा सकती है.