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स्वयं अथवा वकील व्दारा देना होगा जवाब
अमरावती/प्रतिनिधि दि. 10 – हरिसाल की वनपरिक्षेत्र अधिकारी दीपाली चव्हाण आत्महत्या मामले में राज्य महिला आयोग ने निलंबित अपर प्रधान मुख्य वन संरक्षक एम.एस.रेड्डी को ‘शो कॉज’ नोटीस जारी किया था. किंतु रेड्डी ने जवाब पेश करने चाहिए, महिला आयोग से समय मांगा है. महिला आयोग ने उन्हें 30 अप्रैल तक जवाब पेश करने के लिए समय दिया है. अब 30 अप्रैल तक वकील व्दारा अथवा स्वयं रेड्डी को जवाब दाखिल करना होगा.
मेलघाट व्याघ्र प्रकल्प अंतर्गत गुगामल वन्यजीव के निलंबित उपवन संरक्षक विनोद शिवकुमार को पुलिस ने गिरफ्तार किया है. दीपाली की सुसाईड नोट के आधार पर वन विभाग ने अपर प्रधान मुख्य वनसंरक्षक रेड्डी का निलंबन किया. किंतु राज्य महिला आयोग के पास प्राप्त शिकायतों के चलते एम.एस.रेड्डी को 29 मार्च को नोटीस भेजकर आठ दिन के भीतर अपना कहना रखने के निर्देश राज्य महिला आयोग की सदस्य सचिव अनिता पाटिल ने दिये थे. किंतु नोटीस प्राप्त होते ही रेड्डी ने महिला आयोग को जवाब देने के लिए कुछ दिन का अवधि मांगा. फिलहाल वन विभाग ने उन्हें निलंबित किया है. जांच शुरु रहने की बात रेड्डी ने महिला आयोग को बताई. किंतु दीपाली आत्महत्या मामले में जो कुछ जवाब पेश करना होगा, वह वकील व्दारा अथवा स्वयं आकर महिला आयोग को पेश करना होगा. उसके लिए रेड्डी को 30 अप्रैल तक ‘डेडलाइन’ दी गई है.
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आरोपी विनोद शिवकुमार का तबादला क्यों नहीं
दीपाली चव्हाण आत्महत्या मामले के प्रमुख आरोपी रहने वाला निलंबित उपवन संरक्षक विनोद शिवकुमार का कार्यकाल जुलाई 2020 में खत्म हुआ था. किंतु अपर प्रधान मुख्य वनसंरक्षक एम.एस.रेड्डी के आशीर्वाद से विनोद शिवकुमार का तबादला रोख रखा. व्याघ्र प्रकल्प में कुछ गैर व्यवहार करने के लिए विनोद शिवकुमार की समय समय पर रेड्डी मदत लेते थे. उसी कारण समयावधि खत्म होने के बाद भी विनोद शिवकुमार गुगामल वन्यजीव विभाग में उपवन संरक्षक पद पर कायम था. वनपरिक्षेत्र अधिकारी, वनपाल, वनमजदूर आदि पर लगातार अन्याय करता था, इस तरह की जानकारी सामने आयी है. रेड्डी व शिवकुमार यह दोनोें ही एक ही सिक्के के दो पहलू रहने की बात दीपाली की आत्महत्या से स्पष्ट होती है.
रेड्डी ने जवाब पेश करने के लिए समय मांगा है. वन विभाग ने उनका निलंबन किया है. उन्हें मुख्यालय में उपस्थित रहने से आदेश है. इसी कारण दीपाली आत्महत्या मामले में रेड्डी को 20 अप्रैल तक अपना कहना रखने के लिए अवधि दिया है.
– अनिता पाटिल, सदस्य सचिव, राज्य महिला आयोग