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उपलब्धि से ज्यादा जिम्मेदारी की तरह है डीन का पद

  • पीडीएमसी के नवनियुक्त डीन डॉ. अनिल देशमुख का कथन

  • मेडिकल शिक्षा के साथ ही मरीजों के इलाज का स्तर उंचा उठाना पहली प्राथमिकता

अमरावती/प्रतिनिधि दि.३१  – विदर्भ क्षेत्र की सबसे बडी शिक्षा संस्था श्री शिवाजी शिक्षा संस्था द्वारा संचालित डॉ. पंजाबराव देशमुख स्मृति मेडिकल कालेज व अस्पताल के डीन पद पर नियुक्त होना यद्यपि जीवन का सबसे स्वर्णिम अवसर है. qकतु फिर भी यह मेरे लिये उपलब्धि कम है और जिम्मेदारी अधिक है. जिसका निर्वहन करने के लिए मैं अपनी ओर से पूरी गंभीरता व संजीदगी के साथ प्रयास करूंगा, ताकि इस महाविद्यालय के जरिये जहां एक ओर कुशल व निष्णात विशेषज्ञ डॉक्टर तैयार हो. वहीं दूसरी ओर कॉलेज द्वारा संचालित अस्पताल में भरती होनेवाले दूरदराज के आम मध्यमवर्गीय व गरीब मरीजों का बेहतरीन इलाज हो सके. इस आशय का प्रतिपादन पीडीएमसी के नवनियुक्त डीन डॉ. अनिल देशमुख ने किया.
बता दें कि, शनिवार ३१ अक्तूबर को पीडीएमसी के निवर्तमान डीन डॉ. पद्माकर सोमवंशी अपना कार्यकाल पूरा करने के बाद सेवानिवृत्त हो गये और उनके स्थान पर इसी महाविद्यालय के पैथालॉजी विभाग प्रमुख डॉ. अनिल टी. देशमुख को नये डीन के रूप में नियुक्त किया गया है. जिसके बाद उन्होंने शनिवार को ही अपना पदभार ग्रहण किया. पीडीएमसी के डीन का पदभार ग्रहण करने के बाद डॉ. अनिल देशमुख दैनिक अमरावती मंडल के साथ विशेष तौर पर मुखातिब थे. जिसमें उन्होंने उपरोक्त प्रतिपादन किया. इस अवसर पर बतौर डीन उनकी प्राथमिकताओं के संदर्भ में पूछे जाने पर डॉ. अनिल देशमुख ने कहा कि, पीडीएमसी एक मेडिकल शिक्षा संस्थान होने के साथ ही यहां पर अस्पताल भी है. ऐसे में उन्हें जहां एक ओर इस बात पर ध्यान देना है कि, उनके कालेज से एक से बढकर एक बेहतरीन डॉक्टर तैयार होकर निकले है, वहीं कालेज से संलग्नित अस्पताल में दूरदराज के क्षेत्रों से आकर भरती होनेवाले मरीजों का बेहतरीन इलाज हो. इसके साथ ही चूंकि वे विगत लंबे समय से इसी संस्था के साथ जुडे हुए है. अत: उन्हें यहां के सभी स्तर के सहयोगियोें की समस्याओं व दिक्कतों का बखूबी अंदाजा है और वे हर विभाग की जरूरत व कामकाज संबंधी परेशानियों से परिचित है. अत: व्यवस्था को चाकचौबंद व कामकाज को चुस्त-दुरूस्त रखने के लिए बहुत जल्द आवश्यक कदम उठायेंगे. साथ ही पीडीएमसी में कार्यरत हर एक व्यक्ति के हितों पर पूरा ध्यान देंगे. ए. टी. के उपनाम से परिचित डॉ. अनिल देशमुख ने कहा कि, वर्ष १९८५ में स्थापित पीडीएमसी का ३५ वर्षों का शानदार इतिहास रहा है और वे इस परंपरा को आगे बढाने पर पूरा ध्यान देंगे. जिसमें यहां के हर एक घटक को शामिल किया जायेगा. डॉ. देशमुख के मुताबिक पीडीएमसी १ हजार से अधिक डॉक्टरों व कर्मचारियों के परिवार की तरह है और अब उन्हें इस परिवार के मुखिया की जिम्मेदारी दी गई है. जिसका वे समर्पित भाव से निर्वहन करेंगे.

समाज जागृति पर भी होगा काम इस साक्षात्कार के दौरान डॉ. अनिल देशमुख ने कहा कि, मेडिकल छात्रों को चिकित्सा पध्दति की शिक्षा देने और पीडीएमसी के अस्पताल में भरती होनेवाले मरीजों का इलाज करने के साथ-साथ वे समाज के सभी घटकों को स्वास्थ्य के प्रति जागरूक करने का नियमित अभियान चलायेंगे, ताकि हर तरह के संक्रामक रोगों के प्रसार को पहले ही रोका जा सके. इसके लिए समूचे शहर में समय-समय पर पीडीएमसी की ओर से स्वास्थ्य जागृति रैली व शिविर का आयोजन करने के साथ ही स्वास्थ्य जांच शिविर जैसे कार्यक्रम भी आयोजीत किये जायेंगे. इस जरिये जहां एक ओर समाज को स्वास्थ्य के प्रति जागरूक किया जा सकेगा. वहीं दूसरी ओर मेडिकल विद्यार्थियों को उनकी सामाजिक जिम्मेदारियों का ऐहसास कराया जायेगा.
मुलभूत ढांचे को और मजबूत करेंगे इस बातचीत के दौरान डॉ. अनिल देशमुख ने कहा कि, उन्हें पीडीएमसी के डीन पद की जिम्मेदारी बडे खास मौके पर दी गई है. इस समय कोरोना का संक्रमण पूरी तरह से खत्म नहीं हुआ है और पीडीएमसी अस्पताल में भी २०० बेड का कोविड वॉर्ड कार्यरत है. साथ ही यहां पर कोरोना सदृश्य लक्षण रहनेवाले सारी संक्रमित मरीजों का भी इलाज किया जाता है. वहीं विभिन्न तरह की बीमारियों से जूझ रहे मरीज भी पीडीएमसी अस्पताल में बेहतरीन इलाज की उम्मीद लेकर भरती होते है. ऐसे में यहां पर बेहतरीन चिकित्सा सुविधाओं को लेकर तमाम आवश्यक संसाधनों व सुविधाओं को जूटाने का काम किया जायेगा. साथ ही नर्सिंग एवं पैरामेडिकल स्टॉफ को भी अत्याधूनिक चिकित्सा पध्दति के संदर्भ में अपडेट व अपग्रेड किया जायेगा. इसके अलावा पीडीएमसी व अस्पताल के सभी घटकों को साथ लेकर संस्था की बेहतरी के लिए तमाम जरूरी कदम उठाये जायेंगे.

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