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पांच लोगों के हत्यारे विवेक पालटकर की सजा ए मौत कायम

नागपुर हाईकोर्ट ने फांसी की सजा पर लगाई मुहर

* बेटे व बहन सहित पांच लोगों को विवेक ने उतारा था मौत के घाट
नागपुर/दि.27– अपने बेटे सहित बहन व उसकी बेटी, सास एवं अपने दामाद की क्रूरता पूर्वक हत्या करने वाले विवेक गुलाब पालटकर (40) को सुनाई गई फांसी की सजा को मुंबई उच्च न्यायालय की नागपुर खंडपीठ द्वारा कायम रखा गया है. न्या. विनय जोशी व न्या. महेंद्र चांदवाणी ने आज यह बहुप्रतिक्षित फैसला सुनाते हुए विवेक पालटकर के कृत्य को ‘रेयरेस्ट ऑफ रेयर’ बताते हुए इस जघन्य हत्याकांड के लिए फांसी की सजा को पूरी तरह से योग्य ठहराया.

बता दें कि, विवेक पालटकर की बहन अर्चना पवनकर (45) अपने पति कमलाकर मोतीराम पवनकर (48), सास मीराबाई पवनकर (76) व बेटी वेदांती पवनकर (12) के साथ दिघोरी स्थित आराधना नगर में रहा करती थी. साथ ही आरोपी विवेक पालटकर का बेटा कृष्णा पालटकर (5) भी अपनी बुआ अर्चना पावनकर के यहां रहता था. विवेक पालटकर को अपनी पत्नी की हत्या के मामले में आजीवन कारावास की सजा हुई थी. जिसे अदालत से छुडाने हेतु कमलाकर पवनकर ने करीब 5 लाख रुपए खर्च किए थे. ऐसे में कमलाकर द्वारा विवेक से बार-बार पैसे वापिस करने हेतु तगादा लगाया जाता था. जिसे लेकर दोनों में विवाद चल रहा था. इसी विवाद के चलते विवेक पालटकर ने 11 जून 2018 को आधी रात के बाद अपनी बहन के घर में घुसकर घर में मौजूद पांचों लोगों को बडी निर्ममतापूर्वक मौत के घाट उतार दिया और मौके से फरार हो गया. जिसे बाद में पुलिस ने गिरफ्तार कर अदालत के सामने पेश किया. पश्चात जिला व सत्र अदालत ने विवेक पालटकर को हत्या के मामले में दोषी करार देते हुए उसे मौत की सजा सुनाई थी.

ज्ञात रहे कि, फौजदारी प्रक्रिया संहिता की धारा 366 के मुताबिक सत्र न्यायालय द्वारा किसी आरोपी को सुनाई गई फांसी की सजा पर हाईकोर्ट की मुहर लगना अनिवार्य है. ऐसे में यह मामला हाईकोर्ट के समक्ष प्रस्तुत किया गया था. साथ ही विवेक पालटकर ने भी इस सजा के खिलाफ हाईकोर्ट में अपील दायर की थी. जिस पर 18 दिसंबर 2023 को अंतिम सुनवाई पूरी हो गई थी. पश्चात अदालत ने अपना निर्णय सुरक्षित रख लिया था और आज हाईकोर्ट की दो सदस्यीय खंडपीठ ने सत्र न्यायालय के निर्णय को कायम रखते हुए विवेक पालटकर की अपील को खारिज कर दिया है. इस मामले में अभियोजन पक्ष की ओर से एड. संजय डोईफोडे व फिर्यादी केशव पवनकर की ओर से एड. मो. अतिक ने सफल युक्तिवाद किया.

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