मेरे पास कोई लिखित शिकायत नहीं की थी दीपाली ने
अपर व क्षेत्रिय वन संरक्षक रेड्डी ने ‘मंडल’ को बताया
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ट्रान्सफर की बिनती करने आये थे पति-पत्नी
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फिलहाल अमरावती मुख्यालय में है रेड्डी
अमरावती/प्रतिनिधि दि.26 – मेलघाट के गुगामल वन्यजीव विभाग चिखलदरा अंतर्गत आने वाले हरिसाल की वनपरिक्षेत्र अधिकारी दीपाली चव्हाण की आत्महत्या के मामले में अपर व प्रधान क्षेत्रिय वन संरक्षक मेलघाट टायगर प्रोजेक्ट के पीसीसीएफ रेड्डी विवादों में घिर गए है.इस मामले में उपवन संरक्षक विनोद शिवकुमार को कल सुबह नागपुर से गिरफ्तार करने के बाद कल शाम पीसीसीएफ रेड्डी का नागपुर तबादला किया गया. किंतु तबादले के बाद आज और कल शासकीय अवकाश रहने के कारण पीपीसीएफ श्रीनिवास रेड्डी ने अपना कार्यभार किसी को भी नहीं दिया. आज सुबह से वे अमरावती कैम्प परिसर स्थित पीसीसीएफ के मुख्यालय में उपस्थित थे. इसी कार्यालय में श्रीनिवास रेड्डी ने ‘दै.अमरावती मंडल’ से बातचित में उनपर लगाए जा रहे आरोपों को लेकर कई खुलासे किये. रेड्डी ने कहा कि जनवरी महिने में दीपाली चव्हाण और उनके पति राजेश मोहिते उनसे मिलने आये थे, लेकिन वे कोई लिखित शिकायत लेकर नहीं आये थे. बल्कि दीपाली का कहना था कि वह मेलघाट के जंगल में नौकरी करती है और उनके पति ट्रेझरी ऑफिस में है. जिससे वे मेलघाट से तबादला चाहती थी. रेड्डी के अनुसार इसी मुलाकात में उन्होंने दीपाली से यह भी कहा था कि उसका तबादला करना तो उनके अधिकार में नहीं है, लेकिन वह लिखित अर्जी दें तो वे वरिष्ठों तक पहुंचाकर तबादलें में मदत कर सकते है.
कल दोपहर दीपाली पर अंत्यसंस्कार के बाद उसे आत्महत्या के लिए प्रवृत्त करने के मामले में पीपीसीएफ श्रीनिवास रेड्डी को भी सहआरोपी बनाने की मोग की जा रही है. इसपर रेड्डी से पूछे गए प्रश्न के जवाब में उन्होंने कहा कि दीपाली ने आत्महत्या से पहले जो चिठ्ठी लिखी है उसे चिठ्ठी से यह स्पष्ट होता है कि मैंने कई बार उसकी मदत की. यहां तक की इसी चिठ्ठी में दीपाली ने मेरे बारे में यह भी लिखा कि ‘सर मेरी मां को घर तक पहुंचाना.’ श्रीनिवास रेड्डी ने ‘मंडल’ से बातचित में कहा कि जब से उनके पास मेलघाट व्याघ्र प्रकल्प का पदभार है तब से दीपाली को हर बार वे मदत करते आये है. व्याघ्र प्रकल्प अंतर्गत आने वाले दो गावों के पुनर्वसन के समय वहां के गांववासियों ने दीपाली पर एट्रासिटी एक्ट के तहत दो शिकायतें की थी. इन दोनों मामलों में वे हर संभव मदत करते आये है. यहां तक की ड्युटी पर रहते समय जब एक बार दीपाली की तबीयत खराब हुई, तब उसके एक मोबाइल मैसेज पर उन्होंने दीपाली को छूट्टी दी थी. इन ऑफिसियल मोबाइल मैसेज के स्क्रीन शार्ट आज भी उनके पास है और यह वे वरिष्ठों को भेजेंगे.
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कई बार शिवकुमार को रवैया बदलने की ताकीद दी
पीसीसीएफ रेड्डी ने ‘मंडल’ को बताया कि शिवकुमार के बारे में अनेकों शिकायतें आती थी. जिसपर उन्होंने कई बार शिवकुमार को कर्मचारियों के सामने भी फटकार लगाई थी. यहां तक की अपना रवैया बदलने के लिए भी उन्हें बार बार सक्त ताकीद दी गई. यह कहते हुए श्रीनिवास रेड्डी ने यह बात भी बताई कि शिवकुमार के बारे में केवल कार्रवाई करना इससे पहले इस कारण टाला गया क्योंकि वह हार्डवर्कर और नॉन करप्ट अधिकारी था. इसी कारण सभी को साथ लेकर काम करने की मैं उन्हें बार बार सलाह देता था, लेकिन उसके एक स्वभाव के कारण आज पूरा वन विभाग आरोपों के कटघरे में खडा है.
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तबादले की कार्रवाई अन्यायकारक, अधिकारी को पत्र लिखेंगे
पीसीसीएफ श्रीनिवास रेड्डी ने ‘मंडल’ से बातचित में कहा कि दीपाली की चिठ्ठी में ही यह स्पष्ट होता है कि वे हर संभव उसे मदत करते थे. रेड्डी ने यह भी मान्य किया कि दीपाली गर्भवती रहते समय शिवकुमार ने उसे जानबुझकर तीन दिन ट्रैकींग पर बुलाया था, लेकिन तीसरे दिन जब मैं ट्रैकिंग पर था तो दीपाली ने मुुझसे जब यह बात बतायी और मैंने तत्काल उसे ट्रैकिंग से भेज दिया. इस बात का भी जिक्र उसने आत्महत्या से पहले लिखित चिठ्ठी में किया है. अगर उसकी आत्महत्या के लिए मैं जिम्मेदार रहता तो क्या वह मेरे बारे में सम्मानजनक बातें लिखती. बावजूद इसके दीपाली के आत्महत्या के मामले में मेरा तबादला किया गया. इस तबादले को मैं निश्चित ही मेरे लिये अन्यायकारक मानता हूं. उसी बात का मुझे दुख है. तो क्या आप तबादलें के आदेशों के खिलाफ ‘मैट’ (प्रशासकीय लवाद) में अपील करेंगे. इसपर श्रीनिवास रेड्डी ने स्पष्ट रुप से कहा कि नहीं. सरकार के खिलाफ जाने की मेरी इच्छा नहीं. हां मेरा पक्ष मैं आज शाम तक ही एक पत्र व्दारा वरिष्ठों को भेज रहा हूं, ऐसा पीसीसीएफ श्रीनिवास रेड्डी ने ‘मंडल’ को बताया.