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दीपाली को 27 ‘शो कॉज’ नोटीस दिये थे

  • अनेक सनसनीखेज तथ्य आ रहे जांच में बाहर

  • वरिष्ठों से जानबुझकर किया जा रहा था प्रताडित

अमरावती/प्रतिनिधि दि. 8 – हरिसाल वनपरिक्षेत्र अधिकारी दीपाली चव्हाण को वरिष्ठों की ओर से एक-दो नहीं बल्कि पूरे 27 ‘शो कॉज’ नोटीस दिये गए थे. वरिष्ठों की ओर से जानबुझकर यह कार्रवाई की जा रही थी. इसी कारण जनवरी 2021 में वह वैद्यकीय अवकाश पर गई. किंतु उसे फिर बुलाया गया और उसके बाद केवल ढाई महिने में ही दीपाली को आत्महत्या करनी पडी. इस तरह के अनेकों सनसनीखेज तथ्य दीपाली की आत्महत्या के बाद जांच के दौरान सामने आ रहे है.
दीपाली कर्तव्य में तत्पर और सबसे आगे थी. पुनर्वसन, अतिक्रमण आदि सभी जिम्मेदारियां उसने कार्यकक्ष में रहकर ही पूर्ण की. किंतु कई बार उसे अतिक्रमण, पुनर्वसन के लिए मौखिक आदेश दिये जाते थे. इस आदेश पर अमल उसने करना चाहिए, इसके लिए वरिष्ठों का हमेशा ही उसपर दबाव रहता था. तत्कालीन उपवन संरक्षक शिवकुमार ही नहीं बल्कि तत्कालीन क्षेत्र संचालक श्रीनिवास रेड्डी की ओर से भी उसे कई बार मौखिक आदेश दिये जा रहे थे, इस तरह की जानकारी है. इस आदेश का पालन करते समय कई बार बाधाएं आती थी. उसके सहयोगियों के पास उसने यह बातें कहीं भी थी. उसे वरिष्ठों की ओर से दिये जाने वाले ‘शो कॉज’ नोटीस के बारे में भी वह सहयोगियों को जानकारी देती थी, ऐसा अब आत्महत्या की जांच के दौरान सामने आया है. मेलघाट के मांगिया गांव का अतिक्रमण हटाने बाबत भी उसे शिवकुमार ने मौखिक आदेश दिये थे. वहीं गांववासियों को अतिक्रमण खाली करने बाबत नोटीस नहीं दी गई थी. इसी कारण दीपाली वहां जाने के बाद उसका गांववासियों के साथ विवाद हुआ और उसपर एट्रासिटी का मामला दर्ज हुआ था. शासकीय काम के चलते ही उसपर अपराध दर्ज होने से वरिष्ठों ने उसे मदत करना अपेक्षित था. किंतु उन्होेंने भी सहयोग नहीं किया. जिससे जनवरी 2021 में 1 महिने की वैद्यकीय छुट्टी लेकर दीपाली गांव चली गई थी. इसी बीच तत्कालीन क्षेत्र संचालक ने उसे वापस बुलाया. पुनर्वसन का काम पहले पूरा कर, इस तरह के मौखिक आदेश दिये. उनके आदेश का उसने पालन किया. लौटने के बाद उसने रेड्डी से भेंट की और शिवकुमार की ओर से तकलीफ होने से उसे काम करना संभव न रहने की बात कही थी. उसपर शिवकुमार की ओर से तुझे कोई तकलीफ नहीं होगी, ऐसा मौखिक आश्वासन रेड्डी ने दिया. इन आश्वासनों पर विश्वास रखकर उसने काम शुरु किया. किंतु शिवकुमार की प्रताडना थमी नहीं. आखिर केेवल ढाई महिने में दीपाली ने आत्महत्या की.

  • संरक्षण कुटी में आखिर क्या हुआ?

बेलकुंड/खारी संरक्षण कुटी में शिवकुमार यह रात बेरात दीपाली को बुलाता था. वैद्यकीय अवकाश आधे पर छोडकर काम पर लौटने के बाद उसे इस संरक्षण कुटी में बुलाया गया था. इस समय जनप्रतिनिधि व तत्कालीन मंत्री भी उपस्थित रहने की जानकारी है. इसके बाद ही उसने आत्महत्या का मार्ग अपनाया. जिससे इस भेंट में निश्चित क्या हुआ, यह रहस्य मात्र कायम है.

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