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मृग बहार के संतरे को मिल रहे सोने के दाम

किसानोें की मेहनत लायी रंग

अमरावती प्रतिनिधि/दि.२७ – लगातार फसलोें की बर्बादी और बारिश की बेरूखी का सामना करनेवाले किसानोें के कृषि उपज को बाजार में बेहतर दाम नहीं मिलने से किसान परेशानियोें का सामना कर रहे थे. लेकिन अब किसानों की परेशानियां दूर होते हुए नजर आ रही है. मृग बहार संतरे को सोने के भाव अब मिल रहे है. जिसके चलते किसानों की सालभर की मेहनत रंग ला रही है.
यहां बता दें कि, सोयाबीन फसल इस वर्ष विविध कीटों से प्रभावित हुई. कपास के उत्पादन में 50 फीसदी की कमी आयी. खरीफ में फसलों की बर्बादी से वरूड तहसील के किसानों की उम्मीद संतरा बगीचों पर थी. लेकिन ड्राय जोन का कलंक भी संतरा उत्पादक किसानोें का पीछा नहीं छोड रहा है. इसी घडी में राजूरा बाजार के एक किसान को मृग बहार संतरे ने एक नई उम्मीद दिखाई है. राजूरा के किसान प्रदीप भोंडे ने अपने पुश्तैनी वडाला गांव में स्थित तीन एकड खेत में से डेढ एकर खेत में संतरे के पौधे रोपित किये. जैसे-तैसे कम पानी का उपयोग करते हुए संतरे पौधों को अंकुरित करते हुए बढाने का काम किया. मृग बहार शत-प्रतिशत प्रकृति पर निर्भर रहता है. लेकिन मृग नक्षत्र समय पर आने से इस वर्ष संतरा फल पेडों पर लटकते नजर आये है. राजूरा के किसान प्रदीप भोंडे ने अनुभवी किसान और विशेषज्ञों के मार्गदर्शन में संतरे का जतन किया. बडी मेहनत से बेहतरीन संतरा फलों को पकाया. आज उनके संतरा बागान के संतरा फलों को संतरा व्यापारियों द्वारा बेहतर भाव दिया जा रहा है. 150 संतरा पेडों में से 120 संतरा पेडों से 24 टन माल का उत्पादन हुआ और वह 8.50 लाख रूपयों में बिक्री हुआ है. परिसर ही नहीं, बल्कि पूरे तहसील में इन दिनों भोंडे के संतरा बगीचे की चर्चाएं चल रही है.

संतरा बागानों से केवल फलों का उत्पादन लेना महत्वपूर्ण नहीं है, जबकि संतरे का दर्जा भी महत्वपूर्ण होता है. व्यापारी अच्छे माल को ही भाव देते है. इसलिए रंग-रूप, आकार व स्वाद पर ध्यान देना पडता है. इस वर्ष संतरे को काफी अच्छे दाम मिले है.
– प्रदीप भोंडे
संतरा उत्पादक, राजुरा बाजार

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