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30 में से 24 मरीजों में मिला डेल्टा वेरियंट

 पुणे से एनआयवी की रिपोर्ट आयी सामने

  • जिले में सौभाग्य से ‘डेल्टा प्लस’ का कोई मरीज नहीं

अमरावती/प्रतिनिधि दि.21 – विगत एक माह से अमरावती शहर सहित जिले में कोविड संक्रमित मरीजों की संख्या काफी हद तक घट गई है और अब संक्रमण की स्थिति भी लगभग नियंत्रण में है. किंतु राज्य के कुछ शहरों में कोविड वायरस के ‘डेल्टा प्लस’ वेरियंट से संक्रमित मरीज पाये गये है. इस बात के मद्देनजर शहर व जिले में कोविड पॉजीटीव पाये जानेवाले कुछ मरीजों के थ्रोट स्वैब सैम्पलों को जांच हेतु पुणे स्थित नैशनल इन्स्ट्टियूट ऑफ वायरालॉजी (एनआयवी) में भेजा गया. इसके तहत विगत जुलाई माह के दौरान जिले से कुल 30 मरीजों के थ्रोट स्वैब सैम्पल एनआईवी को भेजे गये थे. जिसमें से करीब 24 सैम्पलों में ‘डेल्टा वेरियंट’ पाया गया. हालांकि सौभाग्यवाली बात यह रही कि, जिले में अब तक ‘डेल्टा प्लस वेरियंट’ से संक्रमित कोई मरीज सामने नहीं आया है.
बता दें कि, इस समय राज्य में कोविड संक्रमण की तीसरी लहर आने की जबर्दस्त चर्चा चल रही है. जिसे ध्यान में रखते हुए प्रशासन द्वारा भी तमाम आवश्यक तैयारियां की जा रही है. किंतु अब तक अमरावती शहर सहित जिले में तीसरी लहर के कोई लक्षण दिखाई नहीं दिये है, जो एक तरह से राहत एवं समाधानवाली बात है.
विगत एक माह से अमरावती में कोविड संक्रमितों की संख्या काफी घट गई है और पॉजीटिविटी रेट भी 0.50 से नीचे आ गया है. ऐसे में अब हालात को नियंत्रण में कहा जा सकता है. किंतु राज्य के कई हिस्सों में ‘डेल्टा प्लस वेरियंट’ से संक्रमित मरीज पाये जा रहे है. ऐसे में स्थानीय संत गाडगेबाबा अमरावती विद्यापीठ में स्थापित कोविड जांच प्रयोगशाला की ओर से जुलाई माह के दौरान एनआयवी के पास शहर सहित जिले में पॉजीटीव पाये गये मरीजों में से कुल 30 मरीजों के थ्रोट स्वैब सैम्पल जांच हेतु भेजे गये. एनआयवी से रिपोर्ट मिलने के लिए करीब 20 दिनों का समय लगता है. ऐसे में पिछले माह भेजे गये सैम्पलोें की रिपोर्ट अभी हाल-फिलहाल प्राप्त हुई है. जिसके जरिये पता चला है कि, उन 30 मरीजों में से 24 लोगों के थ्रोट स्वैब सैम्पल में ‘डेल्टा वेरियंट’ पाया गया है. किंतु राहतवाली बात यह रही कि, किसी भी मरीज के सैम्पल में ‘डेल्टा प्लस वेरियंट’ नहीं मिला.

  •  क्या हैं ‘वेरियंट ऑफ कॉन्सर’

जिस समय किसी मूल वायरस में म्युटेशन होकर उसमें बदलाव होता है और उस नये वेरियंट की संक्रमण में आये मरीज पर दवाईयों का असर काफी कम पैमाने पर होता है, तो उसे ‘वेरियंट ऑफ कॉन्सर’ कहा जाता है. डेल्टा एवं डेल्टा प्लस का समावेश भी ‘वेरियंट ऑफ कॉन्सर’ में होता है. ऐसी जानकारी संगाबा अमरावती विवि की कोविड टेस्ट लैब की तकनीकी अधिकारी डॉ. नीरज धनवटे द्वारा दी गई. साथ ही उन्होंने बताया कि, राज्य में अब तक 85 लोग डेल्टा प्लस वेरियंट से संक्रमित पाये गये है. जिनमें से 10 मरीज ऐसे है, जिन्होंने संक्रमण की चपेट में आने से पहले कोविड प्रतिबंधात्मक वैक्सीन की दोनों डोज प्राप्त कर ली थी. किंतु बावजूद इसके वे ‘वेरियंट ऑफ कॉन्सर’ का शिकार हुए.

संगाबा अमरावती विवि की कोविड टेस्ट लैब के नोडल अधिकारी डॉ. प्रशांत ठाकरे ने बताया कि, हालही में राज्य के कई मरीजों में वायरस का डेल्टा म्युटेशन पाया गया. जिसके चलते उन्होंने भी अमरावती शहर सहित जिले के 30 सैम्पल एनआयवी के पास जांच हेतु भिजवाये. जिसमें 24 सैम्पलों को डेल्टा वेरियंट रहने की पुष्टि हुई. लेकिन सौभाग्य से किसी भी सैम्पल में डेल्टा प्लस वेरियंट नहीं पाया गया. उन्होंने बताया कि, डेल्टा वेरियंट में जब एक म्युटेशन की वृध्दि होती है, तब उसे डेल्टा प्लस कहा जाता है. उस समय उसका लिनेज बी.1.617.2.1 होता है. साथ ही उसे डेल्टा प्लस अथवा एवाय.1 नाम दिया जाता है. वहीं डेल्टा वेरियंट का लिनेज बी.1.617.2 होता है. अन्य वेरियंट की तुलना में डेल्टा प्लस वेरियंट काफी अधिक साबित हो सकता है. ऐसा भी डॉ. प्रशांत ठाकरे का कहना रहा.

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