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मिट्टी के गणेश प्रतिमा की मांग बढी

गणेशोत्सव पर कोरोना का असर

  • नेहरु मैदान में पर्यावरण पुरक मुर्तियों की ३५ दुकानें लगी

  • कलाकारों ने प्लास्टर ऑफ पैरिस का त्याग किया

  • पर्यावरण पुरक कलर का किया गया उपायोग

  • कुंभार मिट्टी कला सुधार समिति की शानदार पहल

अमरावती प्रतिनिधि/ दि.२० – कोरोना महामारी का गणेश उत्सव पर भी भारी असर दिखाई दे रहा है. इस बार प्लास्टर ऑफ पैरिस की गणेश प्रतिमाओं पर प्रतिबंध लगाया गया है. इसे देखते हुए कुंभार मिट्टी कला सुधार समिति ने शानदार पहल करते हुए नेहरु मैदान में मिट्टी की गणेश प्रतिमा बिक्री के लिए ३५ दुकानें लगाई है. यहां साडु मिट्टी से निर्मित प्रतिमाओं पर पर्यावरण पुरक कलर का उपयोग कर मुर्तियां उपलब्ध कराई है. इस बारे में कुंभार मिट्टी कला सुधार समिति के अध्यक्ष प्रभाकर रोतले ने द्गदैनिक अमरावती मंडलद्घ से इस बारे में बताया कि मिट्टी से विभिन्न वस्तू बनाने का उनका पैतृक व्यवसाय है. पिछले पांच वर्षाेंं से वे प्लास्टर ऑफ पैरिस की मुर्तियां बनाना छोडकर पूरी तरह से मिट्टी की मुर्तियां निर्माण करने का काम कर रहे है. कुंभार मिट्टीकला सुधार समिति में ३५ परिवार के सदस्य काम कर रहे है. नेहरु मैदान में इन परिवारों की ३५ दुकानें लगाई गई है. मनपा व्दारा उपलब्ध कराई गई अस्थायी दुकानों में मिट्टी की गणेश प्रतिमाएं बिक्री के लिए उपलब्ध कराई गई है.
प्रभाकर रोतले ने जानकारी देते हुए बताया कि अमरावती जिले में मुर्ति निर्माण करने लायक मिट्टी उपलब्ध नहीं है. फिलहाल नागपुर जिले के सावरगांव से मिट्टी लाकर गणेश प्रतिमाएं निर्माण की गई है. प्राकृतिक पर्यावरण को केमिकल युक्त कलर से नुकसान न हो इस बात का ध्यान रखते हुए वॉटर कलर, क्लोरोसेंट कलर, डिस्टेंबर जैेसे पर्यावरण पुरक कलर का उपयोग किया गया है. कोरोना वायरस का ध्यान रखते हुए इस बार अधिकतम ३ फीट उंचाई तक ही मुर्तियां तैयार की गई है. आम समय में मिट्टी की ५ फीट तक ही मुर्ति निर्माण की जाती है. मिट्टी की मुर्ति में मेहनत काफी लगती है. इन दुकानों में ५०० रुपए से लेकर ४ हजार रुपए कीमत तक मिट्टी की गणेश प्रतिमाएं उपलब्ध कराये जाने की बात भी प्रभाकर रोतले ने बतायी.

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