विदर्भ के शोषण से हो रहा पश्चिम महाराष्ट्र का विकास
जय विदर्भ पार्टी ने दोहरायी स्वतंत्र विदर्भ राज्य की मांग
अमरावती/प्रतिनिधि दि.22 – 1 मई 1960 को नागपुर करार का प्रलोभन देते हुए विदर्भ प्रदेश को जबरन महाराष्ट्र में शामिल किया गया और यहीं से विदर्भ राज्य के बुरे दिन शुरू हो गये. क्योंकि इतने वर्षों के दौरान विदर्भ का शोषण करते हुए पश्चिम महाराष्ट्र का विकास किया गया. जिसकी वजह से विदर्भ क्षेत्र विकास की दौड में लगातार पिछडता चला गया. ऐसे में विदर्भ क्षेत्र की गरीबी, बेरोजगारी, भूखमरी के साथ-साथ नक्सलवाद व किसान आत्महत्या जैसे मामलों के लिए पूरी तरह से अब तक महाराष्ट्र की सत्ता में रहनेवाले सभी दल जिम्मेदार है. इस आशय का प्रतिपादन जय विदर्भ पार्टी द्वारा बुलाई गई पत्रकार परिषद में पार्टी के संस्थापक राम नेवले द्वारा किया गया.
जिला मराठी पत्रकार संघ के वालकट कंपाउंड परिसर स्थित मराठी पत्रकार भवन में बुलाई गई पत्रवार्ता में जय विदर्भ पार्टी द्वारा स्वतंत्र विदर्भ राज्य के निर्माण हेतु संघर्ष शुरू करने की घोषणा करते हुए कहा गया कि, महाराष्ट्र से अलग हुए बिना विदर्भ राज्य के किसानों व नागरिकों का विकास होना संभव नहीं है. क्योेंकि यहां के प्राकृतिक संसाधनों का पश्चिम महाराष्ट्र द्वारा अपने हितों के लिए दोहन किया जाता है. जिसके बदले विदर्भ क्षेत्र के हिस्से में कुछ भी नहीं आता. ऐसे में यदि विदर्भ राज्य को महाराष्ट्र से अलग करते हुए यहां के संसाधनों का इसी क्षेत्र विकास हेतु प्रयोग किया जो, तो विदर्भ प्रदेश के सभी 11 जिलों का विकास करना संभव है. साथ ही इस पत्रवार्ता में यह भी कहा गया कि, स्वतंत्र विदर्भ राज्य के गठन होने के बाद यहां के 11 जिलों व 120 तहसीलोें की पुर्नरचना करते हुए 20 से 25 जिलों व 250 से अधिक तहसीलों के निर्माण का कार्य जय विदर्भ पार्टी द्वारा की जायेगी और जल्द ही पार्टी की ओर से व्यापक स्तर पर सदस्यता अभियान भी चलाया जायेगा.
इस पत्रवार्ता में पार्टी के महासचिव विष्णु आष्टीकर, उपाध्यक्ष रंजना मामर्डे व मुकेश मासूरकर, कोषाध्यक्ष सुयोग निलदावार, सहसचिव अरूण केदार व गुलाबराव धांडे जिलाध्यक्ष राजेंद्र आगरकर, जिला उपाध्यक्ष सतीश प्रेमलवार, शहर समन्वयक डॉ. विजय कुबडे, कार्यकारिणी सदस्य प्रकाश लढ्ढा, श्याम आठवले, अरूण मुणघाटे, सुदाम राठोड, कृष्णाजी भोंगाडे, मारोतराव बोथले, गणेश मसराम, पांडूरंग बिजवे, उत्तमराव पेठे, अशोक हांडे व विजय मोहोड आदि उपस्थित थे.