* 11 जिलों का प्रतिनिधित्व किया था वरिष्ठ लिंगाडे ने
अमरावती/दि.3- नव निर्वाचित विधान परिषद सदस्य धीरज लिंगाडे अपने पिता रामभाऊ लिंगाडे के नक्शेकदम पर चल रहे हैं. आज अमरावती स्नातक सीट से धुरंधर राजनीतिज्ञ डॉ. रणजीत पाटिल को पराजित करनेवाले धीरज के पिता ने 80 के दशक में विदर्भ में ऐसा ही कमाल कर दिखाया था. बहरहाल धीरज ने बुलढाणा जिले में पहले कांग्रेस और बाद में शिवसेना को मजबूत किया. उन्हें सेना व्दारा दी गई जिम्मेदारी का इस तरह खूबी से निर्वहन किया कि दो विधायक चुनकर लाए. धीरज लिंगाडे के परिवार में मां तथा पत्नी और दो बेटे हैं. पत्नी का नाम पद्मजा और बेटे वेदांत एवं सोहम हैं.
* 1972 में रामभाऊ का पहला चुनाव
लिंगाडे परिवार ने विधान परिषद के तीन चुनाव लडे. उनके पिता रामभाऊ ने 1972 में नागपुर स्नातक निर्वाचन क्षेत्र का चुनाव लडा. उस समय उनकी उम्र मात्र 25 वर्ष थी. कुछ समय पहले ही एलएलबी की डिग्री प्राप्त की थी. नागपुर क्षेत्र उस समय 11 जिलों तक व्याप्त था. बावजूद इसके रामभाऊ ने अपने तत्कालीन जनसंघ प्रतिस्पर्धी को कडी टक्कर दी. वे मात्र 1300 वोटो से पीछे रह गए. रामभाऊ का उस समय चुनाव खर्च 3 हजार रुपए रहा. उनके पास तब एक स्कूटर था.
* इंदिराजी ने की प्रशंसा
जनसंघ के मुख्यालय में युवा रामभाऊ व्दारा प्रतिद्बन्दी को दी गई टक्कर की सर्वत्र चर्चा रही. तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने भी प्रशंसा की. उपरांत नागपुर में हुए अखिल भारतीय सम्मेलन में इंदिराजी आई. लिंगाडे परिवार ने दूसरा चुनाव 1978 में लडा. रामभाऊ ने अकोला-बुलढाणा स्थानीय स्वराज्य संस्था से उच्च सदन पहुंचने का मान प्राप्त किया. अब उनके सुपुत्र धीरज लिंगाडे ने भी चुनाव लडा. पहले ही प्रयास में धीरज को सफलता प्राप्त हुई हैं.
* अल्प परिचय
6 अप्रैल 1972 को जन्मे धीरज लिंगाडे बीए पदवीधर हैं. उन्होंने बुलढाणा शिवसेना जिला प्रमुख के रुप में 3 साल प्रभावी कार्य किया. चिखली, मेहकर, सिंधखेड राजा विधान सभा निर्वाचन क्षेत्र का जिम्मा उनहें दिया गया था. जिसमें से दो सीटों पर उन्होंने पार्टी की विजय सुनिश्चित की. ऐसे ही पक्ष प्रमुख उद्धव ठाकरे व्दारा दी गई जिम्मेदारियों का समय-समय पर निर्वहन किया है. वे बुलढाणा शहर व परिसर में रामभाऊ लिंगाडे नागरी सहकारी पतसंस्था के माध्यम से विविध समाजिक उपक्रम चलाते हैं. उन्होंने आयएमए को भवन बनाने अपनी जगह प्रदान कर दी. ऐसे ही शहर के नागरिकों को 24 घंटे कार्डियक रुग्णवाहिका उपलब्ध करवाई. तैराकों के लिए तालाब बनवाया और भी अनेक कार्य सतत जारी हैं.