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साई बाबा वाले बयान पर धीरेंद्र शास्त्री ने मांगी माफी

बोले - संतों व फकिरों का अवमान करने का नहीं था इरादा

मुंबई/दि.6 – बागेश्वरधाम के धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री विगत कुछ माह से लगातार किसी ना किसी वजह के चलते चर्चा में चल रहे है. हाल ही में धीरेंद्र शास्त्री ने साई बाबा के विषय में एक बयान दिया था. जिसे लेकर अब उन्होंने माफीनामा जारी करते हुए कहा कि, वे संतों, गुरुओं, महात्माओं और फकिरों का सम्मान करते है. साथ ही उन्होंने एक भाविक श्रद्धालु द्बारा पूछे गए सवाल का जवाब मुहावरे व कहावत के तौर पर दिया था. जिसका गलत अर्थ निकाला गया. ऐसे में अगर किसी भी व्यक्ति की भावनाएं उनके बयान से आहत हुई है, तो वे इसके लिए माफी मांगते है.
उल्लेखनीय है कि, नागपुर में आयोजित दिव्य दरबार के दरम्यान किए जाने वाले चमत्कारों के लिए बागेश्वर बाबा के रुप में विख्यात धीरेंद्र शास्त्री को अंधश्रद्धा निर्मूलन समिति द्बारा चुनौति दी गई थी. जिसके बाद धीरेंद्र शास्त्री और अंधश्रद्धा निर्मूलन समिति के बीच जमकर आरोप-प्रत्यारोप का दौर चला. साथ ही कुछ साक्षात्कारों में धीरेंद्र शास्त्री द्बारा विवादास्पद बयान भी दिए गए. जिन्हें लेकर अच्छा खासा हंगामा मचा था. वहीं इसके उपरान्त धीरेंद्र शास्त्री ने महाराष्ट्र के संत श्रेष्ठ कहे जाते संत तुकाराम को लेकर भी एक विवादास्पद बयान दिया था. जिस पर हंगामा मचने पर उन्होंने माफी मांग ली थी. वहीं अब उनके द्बारा शिर्डी के साईबाबा को लेकर दिए गए बयान पर हंगामा मचा हुआ है. इसे लेकर भी धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री ने माफी मांग ली है. बागेश्वरधाम के अधिकृत ट्विटर हैंडल से अपना माफीनामा जारी करते हुए धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री ने कहा कि, उन्होंने हमेशा ही संतों व महापुरुषों का सम्मान किया है तथा आगे भी करते रहेंगे. उन्होंने एक कहावत कहीं थी. जिसका सीधा अर्थ यह होता है कि, यदि हम अपने साथ बडी सी छत्री लगाकर खडे हो जाए और खुद को शंकराचार्य घोषित करें, तो कैसे चलेगा. हमारे शंकराचार्यों ने भगवान व देवताओं को लेकर जो कुछ कहा है, उन्होंने उस बात को दोहराया था और ऐसा करते समय उनका आशय किसी की भावनाओं को आहत करने का नहीं था. हमारे शंकराचार्यों ने ही कहा है कि, साईबाबा संत या फकिर हो सकते है. उन पर लोगों की व्यक्तिगत श्रद्धा है और यदि कोई व्यक्ति किसी संत या गुरु को ईश्वर मानता है. तो यह उसकी व्यक्तिगत आस्था है. जिसका हम विरोध नहीं करते. लेकिन हम इसका समर्थन भी नहीं करते.

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