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सुप्रीम कोर्ट के फैसले को लेकर अलग-अलग दावे-प्रतिदावे

मुंबई दि.11 – महाराष्ट्र में चल रहे सत्ता संघर्ष को लेकर सुप्रीम कोर्ट में जारी सुनवाई के बाद आज 5 सदस्यीय संविधानपीठ ने 16 विधायकों की अपात्रता के विषय को छोडकर अन्य याचिकाओं पर अपने विचार व्यक्त किए. जिसमें से संविधानपीठ के कुछ निरीक्षण ठाकरे गुट के पक्ष में रहे. वहीं कुछ निरीक्षण शिंदे गुट के पक्ष में दर्ज किए गए. इसके साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने 16 विधायकों की पात्रता या अपात्रता तय करने का अधिकार विधानसभा अध्यक्ष के पास रहने की बात कहीं. साथ ही महाराष्ट्र में हुए सत्ता संघर्ष में राज्यपाल की भूमिका को लेकर अपनी कुछ आपत्तियां दर्ज करने के साथ ही मामले का अंतिम फैसला करने हेतु बडी बेंच गठित करने का सुझाव भी दिया. ऐसे मेें अब सुप्रीम कोर्ट की 5 सदस्यीय संविधानपीठ द्बारा कहीं गई बातों को लेकर अलग-अलग राजनीतिक दलों द्बारा विभिन्न तरह की प्रतिक्रियाएं दी जा रही है. जिसमें सुप्रीम कोर्ट का फैसला अपने ही पक्ष व हक में रहने के दावे व प्रतिदावे किए जा रहे है.

* शिंदे गुट के 16 विधायक अपात्र होंगे, सुनील प्रभू रहेंगे प्रतोद – ठाकरे गुट
सुप्रीम कोर्ट का फैसला आते ही ठाकरे गुट की ओर से सबसे पहली प्रतिक्रिया सामने आयी. जिसके तहत सुप्रीम कोर्ट में मौजूद ठाकरे गुट के नेता अनिल परब ने अदालत से बाहर आते हुए कहा कि, अब 16 विधायकों की अपात्रता का मामला राहुल नार्वेकर के सामने फैसले के लिए जाएंगा और उस समय ठाकरे गुट वाली शिवसेना के सुनील प्रभू सदन में पार्टी के प्रतोद रहेंगे. जिनके आदेश को मान्य करना ही पडेगा. ऐसे में 16 विधायकों की अपात्रता आज से ही तय है.

* उद्धव ठाकरे ने इस्तीफा देकर की थी गलती
– राकांपा प्रमुख शरद पवार पहले ही जता चुके है नाराजी
उल्लेखनीय है कि, सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में साफ तौर पर कहा कि, उद्धव ठाकरे ने अपनी मर्जी से इस्तीफा दिया था. यदि उन्होंने इस्तीफा नहीं दिया होता, तो हम स्थिति को ‘जैसे थे’ करने का प्रयास करते. साथ ही उनकी सरकार को दुबारा वापिस लाया जा सकता था. ऐसे में स्पष्ट है कि, उद्धव ठाकरे द्बारा विगत जून माह में खुद इस्तीफा दिए जाने की वजह से आज सुप्रीम कोर्ट में शिंदे सरकार बच गई. ज्ञात रहे कि, इसी बात को लेकर राकांपा सुप्रीमो शरद पवार ने भी अपनी नाराजगी जताई थी और शरद पवार ने साफ तौर पर कहा था कि, गटबंधन वाली सरकार में यदि कोई इस्तीफा देता है, तो उसे इसका अधिकार है. लेकिन ऐसा करने से पहले अन्य सहयोगी दलों से संवाद साधना भी जरुरी है. क्योंकि बिना चर्चा किए फैसला लेने के आगे चलकर दुष्परिणाम सामने आते है. राकांपा सुप्रीमो शरद पवार ने अपनी किताब ‘लोक माझे सांगाती’ में भी इस बात का उल्लेख किया है और आज सुप्रीम कोर्ट का फैसला आने के बाद शरद पवार की यह बात पूरी तरह से सही साबित हुई है.

* नैतिकता के आधार पर शिंदे सरकार दें इस्तीफा – चव्हाण
वहीं कांग्रेस के वरिष्ठ नेता व राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री पृथ्वीराज चव्हाण ने इस मामले को लेकर अपनी प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि, सुप्रीम कोर्ट के फैसले से यह तो साफ हो गया है कि, शिंदे-फडणवीस सरकार पूरी तरह से वैध नहीं है और यदि तत्कालीन मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने खुद इस्तीफा नहीं दिया होता, तो आज सुप्रीम कोर्ट में ठाकरे सरकार को वापिस लाया होता. ऐसे में नैतिकता के आधार पर सीएम शिंदे और उनकी सरकार को सत्ता में बने रहने का कोई अधिकार नहीं है. अत: शिंदे-फडणवीस सरकार ने तुरंत इस्तीफा देना चाहिए.

* कुछ दिनों के लिए शिंदे सरकार को मिली मोहलत – परब
ठाकरे गुट के नेता अनिल परब के मुताबिक यद्यपि सुप्रीम कोर्ट द्बारा सुनाए गए फैसले के चलते शिंदे-फडणवीस सरकार बच गई है. लेकिन यह सरकार ज्यादा दिनों तक सत्ता में नहीं रह सकती. क्योंकि सुप्रीम कोर्ट के फैसले से सरकार को जीवनदान नहीं, बल्कि कुछ दिनों का समय मिला है. जिसके बाद इस सरकार को सत्ता से हटना ही होगा. क्योंकि विधायकों पर अपात्रता से संबंधित मामला कोर्ट ने विधानसभा अध्यक्ष के पास भेजा है. जिसमें साफ तौर पर कहा गया है कि, उस समय के वीप का आदेश लागू होगा. चूंकि उस समय सुनील प्रभू सदन में शिवसेना के प्रतोद हुआ करते थे और उनके द्बारा जारी वीप का उल्लंघन हुआ था. यह स्पष्ट हो चुका है. जो रिकॉर्ड पर भी है. ऐसे में अब केवल कुछ तकनीकी बातें रह गई है. इसके बाद पार्टी से बगावत करने वाले 16 विधायकों को अपात्र घोषित कर दिया जाएगा और इसके साथ ही शिंदे-फडणवीस सरकार को सत्ता से बाहर होना पडेगा.

* सुप्रीम कोर्ट ने भी माना कि सरकार है गैरकानूनी – राउत
वहीं शिवसेना नेता व राज्यसभा सांसद संजय राउत ने इस मामले को लेकर अपनी प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि, शिंदे-फडणवीस सरकार पूरी तरह से गैरकानूनी व गैर संवैधानिक है. इस बात पर आज खुद सुप्रीम कोर्ट ने अपनी मुहर लगा दी है. मूल रुप से शिंदे गुट द्बारा जारी वीप ही गैरकानूनी साबित होने के चलते इसके बाद की पूरी प्रक्रिया ही गैरकानूनी साबित होती है. इसके साथ ही किसी भी गुट के द्बारा शिवसेना यानि पार्टी पर दावा नहीं किया जा सकता. यह अपने आप ेमें बेहद महत्वपूर्ण निर्णय है. इसके अलावा राज्यपाल द्बारा अपनाई गई प्रत्येक भूमिका को भी सुप्रीम कोर्ट ने गैरकानूनी व संविधानबाह्य माना है और सबसे महत्वपूर्ण यह है कि, सुप्रीम कोर्ट ने यह कहकर स्पष्ट संकेत दिए है कि, अगर उस समय उद्धव ठाकरे ने इस्तीफा नहीं दिया होता, तो आज उन्हें दोबारा सत्ता सौंपी जा सकती थी. इसका सीधा मतलब है कि, मविआ की सरकार नाहक ही गिर गई और मौजूदा सरकार पूरी तरह से नियमबाह्य है.

* दरेकर पहुंचे राज ठाकरे से मिलने, चर्चाओं का बाजार गर्म
वहीं सुप्रीम कोर्ट द्बारा महाराष्ट्र के सत्ता संघर्ष को लेकर आज अपना फैसला सुनाए जाने के दौरान ही भाजपा विधायक प्रवीण दरेकर द्बारा मनसे अध्यक्ष राज ठाकरे से मुलाकात की गई. यद्यपि इस मुलाकात को पूरी तरह से अनौपचारिक बताया जा रहा है. लेकिन इस मुलाकात को लेकर कई तरह की राजनीतिक कयासबाजी हो रही है. जिसकी ओर सभी का ध्यान लगा हुआ है.

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