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दो माह के लिए आगे टाले जाये जिला बैंक के चुनाव

  •  खविसं अध्यक्ष प्रशांत कालबांडे की मांग

  •  लॉकडाउन काल के दौरान संस्थाओं की बैठक लेना है मुश्किल

  •  बैंक के सभी सदस्य रहते है ग्रामीण क्षेत्रों में

  •  इन दिनों ग्रामीण क्षेत्रों में हालात है बेहद बिकट

अमरावती/प्रतिनिधि दि.8 –  इस समय जिले में चहुंओर कोविड संक्रमण का कहर जारी है और ग्रामीण क्षेत्रों में बडे पैमाने पर कोविड संक्रमित मरीज पाये जा रहे है. इस बात के मद्देनजर जिला प्रशासन द्वारा अमरावती जिले में आगामी 15 मई तक बेहद कडे प्रतिबंधात्मक आदेश लागू करते हुए संचारबंदी को बेहद सख्त किया गया है. वहीं दूसरी ओर किसानों की बैंक कही जानेवाली जिला मध्यवर्ती सहकारी बैंक के चुनाव की प्रक्रिया शुरू की गई है और इस चुनाव में मतदान का अधिकार रहनेवाली संस्थाओं को आगामी 25 मई तक मतदान प्रतिनिधि के संदर्भ में निर्णय लेते हुए इस आशय का प्रस्ताव भेजने को कहा गया है. किंतु सबसे बडी समस्या यह है कि, फिलहाल जारी कोविड संक्रमण की स्थिति और संचारबंदी के दौरान प्रस्ताव पारित करवाने हेतु संस्थाओं के संचालक मंडलों की बैठक आयोजीत नहीं की जा सकती. साथ ही इस समय खुद जिला प्रशासन द्वारा जिले के करीब 110 गांवों को कंटेनमेंट झोन घोषित किया गया है. ऐसे में उन गांवों में जिला निबंधक कार्यालय का प्रतिनिधि भी बैठक में हिस्सा लेने हेतु नहीं जा सकता. ऐसे हालात में यह बेहद जरूरी हो चला है कि, आपत्ति व्यवस्थापन प्राधिकरण के अध्यक्ष के तौर पर प्राप्त अधिकारों का उपयोग करते हुए जिलाधीश शैलेश नवाल द्वारा जिला मध्यवर्ती बैंक के चुनाव को कम से कम दो माह के लिए आगे टाल दिया जाये. इस आशय की मांग अमरावती तहसील खरीदी-बिक्री संघ के अध्यक्ष प्रशांत कालबांडे द्वारा की गई है.
इस संदर्भ में दैनिक अमरावती मंडल से विशेष तौर पर बातचीत करते हुए प्रशांत कालबांडे ने बताया कि, इस समय समूचे देश में कोविड संक्रमण को लेकर हालात चिंताजनक है और देश की बडी अदालतों ने भी ऐसे हालात के बीच किसी भी तरह का चुनाव लेने पर रोक लगा दी है. लेकिन इसके बावजूद पुणे स्थित राज्य सहकारी चुनावी प्राधिकरण द्वारा अमरावती की जिला मध्यवर्ती सहकारी बैंक का चुनाव जुलाई माह के मध्य में लेने की घोषणा करते हुए चुनाव से जुडी प्रक्रिया को शुरू कर दिया गया है. जिसके तहत सभी सेवा सहकारी सोसायटियों तथा खरीदी-बिक्री संघ सहित इस चुनाव में मतदान का अधिकार रहनेवाली संस्थाओं को अपने मतदान प्रतिनिधि का 25 मई से पहले चयन करने और इससे संबंधित प्रस्ताव जिला प्रशासन व प्राधिकरण के पास भेजने का निर्देश दिया गया है. ऐसा निर्णय लेने एवं प्रस्ताव पारित करने हेतु सभी सोसायटियोें व संस्थाओं को अपने संचालकों व सदस्यों की आमसभा बुलानी होगी. किंतु इस समय जिले में विशेषकर ग्रामीण इलाकों में कोविड संक्रमण को लेकर हालात बेहद बिकट है और जिला बैंक के लगभग सभी सदस्य जिले के ग्रामीण इलाकों से ही वास्ता रखते है. ऐसे में संचारबंदी काल के दौरान संस्थाओं की विशेष अथवा आमसभा बुलाना संभव नहीं है. साथ ही इस समय जिलाधीश द्वारा 9 मई से 15 मई तक समूचे जिले में संचारबंदी को लेकर कडे प्रतिबंधात्मक नियम लागू किये गये है और कोविड संक्रमण के लिहाज से हॉटस्पॉट बन चुके करीब 110 गांवों को कंटेनमेंट झोन घोषित करते हुए सील कर दिया गया है. ऐसे में वहां पर न तो सभा आयोजीत की जा सकती है और न ही ऐसी सभाओं में सचिव के तौर पर जिला निबंधक कार्यालय का प्रतिनिधी ही उपस्थित हो सकता है. ऐसे हालात में मतदान प्रतिनिधि के बारे में निर्णय लेना और प्रस्ताव पारित करना बेहद मुश्किल है. अत: यह बेहद जरूरी है कि, जिले के मौजूदा हालात को देखते हुए जिला आपत्ति व्यवस्थापन प्राधिकरण के अध्यक्ष के तौर पर प्राप्त अधिकारों का इस्तेमाल करते हुए जिलाधीश शैलेश नवाल द्वारा इस चुनाव को कम से कम दो माह के लिए आगे टाल दिया जाये और हालात नियंत्रित होने के बाद चुनावी प्रक्रिया शुरू की जाये. प्रशांत कालबांडे के मुताबिक उन्होंने इस संदर्भ में जिलाधीश शैलेश नवाल को एक लिखित पत्र भी सौंपा है. ऐसे में अब यह देखनेवाली बात होगी कि, जिला प्रशासन द्वारा जिला मध्यवर्ती सहकारी बैंक के चुनाव को लेकर क्या निर्णय लिया जाता है.

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